प्रश्न- हिमानियों के कार्य एवं उनके द्वारा उत्पन्न विभिन्न स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए|
उत्तर- हिमानियाँ (Glaciers) पृथ्वी की सतह पर विशाल बर्फ की नदियाँ हैं, जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से धीरे-धीरे नीचे की ओर प्रवाहित होती हैं। ये उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा और हिमपात से बनती हैं| नदियों की तरह, हिमानियाँ भी मुख्यतः तीन कार्य करती हैं: अपरदन, परिवहन और निक्षेपण।
- अपरदन : हिमानियों का अपरदन कार्य अत्यंत शक्तिशाली होता है, और यह दो मुख्य प्रक्रियाओं द्वारा होता है –
- उत्पाटन : इस प्रक्रिया में, हिमनद अपने रास्ते में आने वाली कमजोर या जोड़ों वाली चट्टानों के टुकड़ों को उखाड़ कर अपने साथ बहा ले जाते हैं।
- अपघर्षण : जब हिमनद में फंसी हुई चट्टानें और मलबा नीचे की चट्टानी सतह पर रगड़ते हैं, तो वह सतह घिस जाती है और चिकनी हो जाती है, जिसे अपघर्षण कहते हैं।
- परिवहन : हिमानी अपरदन द्वारा प्राप्त सभी शैल, मलबा, शैल चूर्ण को अपने साथ ले जाती है। यह सामग्री बर्फ के अंदर, ऊपर और नीचे भरकर ले जाई जाती है।
- निक्षेपण : जब हिमानी पिघलती है, तो वह अपने साथ लाए गए अपरदित पदार्थों को जमा कर देती है। इस निक्षेपित सामग्री को हिमोढ़ (Till) या हिमानी बहाव (Glacial Drift) कहते हैं। यह निक्षेपण निचले क्षेत्रों में विभिन्न स्थलाकृतियों को जन्म देता है।
अपरदन द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ
U-आकार की घाटी :- नदी द्वारा बनी ‘V’-आकार की घाटियाँ जब हिमनद से घिसकर चौड़े सपाट तल और खड़ी ढलानों वाली ‘U’-आकार की घाटियों में बदल जाती हैं तब घाटी चौड़ी और गहरी होती है| उदाहरण – कश्मीर, हिमालय और स्विट्ज़रलैंड की घाटियाँ।
- हैंगिंग वैली :- एक ऐसी घाटी होती है जो मुख्य (बड़ी) हिमनदी घाटी से ऊँचाई पर “लटकी” हुई दिखाई देती है। यह छोटी घाटी ऊँचाई पर रह जाती है — जिसे हैंगिंग वैली कहते हैं। परिणामस्वरूप झरने बनते हैं। उदाहरण – योसेमिटी में ब्राइडलवील फॉल्स।
- सर्क या हिमगह्वर :- यह एक कटोरे के आकार का गर्त होता है, जो हिमनद के शीर्ष पर अपरदन से बनता है। इसमें अक्सर एक छोटी झील बन जाती है जिसे टार्न कहते हैं।
- हॉर्न :- जब तीन या अधिक सर्क आपस में मिल जाते हैं तो बीच में एक तीखी नुकीली चोटी बनती है जिसे हॉर्न कहते हैं।उदाहरण – माउंट एवरेस्ट, माउंट मैटरहॉर्न (आल्प्स पर्वत में)।
निक्षेपण द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ
- हिमोढ़ :- हिमनद द्वारा जमा किए गए असंगठित मलबे (चट्टान, मिट्टी, रेत) के टीले। ये अपनी स्थिति के अनुसार कई प्रकार के होते हैं, जैसे
- ड्रमलिन :- हिमनद के नीचे जमा हुए अण्डे के आकार की लंबी, चिकनी पहाड़ियाँ। ये समूह में पाए जाते हैं और उल्टी नाव के समान दिखते हैं।
- एस्कर :- यह टेढ़ी-मेढ़ी कटक होती है जो हिमनद के नीचे की सुरंगों में बहने वाले जल द्वारा जमा किए गए रेत और बजरी से बनती है।
- आउटवॉश प्लेन :- हिमानी के सामने फैला रेत-बजरी का समतल मैदान। हिमपिघल जल द्वारा ले जाई गई सामग्री का जमाव।
हिमानियों का आर्थिक और पारिस्थितिकी महत्व
- हिमानी जल स्रोत प्रदान करती हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन के लिए आकर्षण स्थल बनाती हैं।
- कृषि और जलाशयों के लिए नदी जल की आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं।
- जलवायु संतुलन और प्राकृतिक विविधता बनाए रखने में मदद करती हैं।
निष्कर्ष : हिमानियाँ भू-आकृति निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे अपरदन, निक्षेपण और कटाव के माध्यम से धरती की सतह को आकार देती हैं। इनसे घाटियाँ, झीलें, मोरेन, ड्रमलिन जैसी भू-आकृतियाँ बनती हैं, जो न केवल भूगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि पारिस्थितिकी, जल संसाधन और मानव जीवन के लिए भी लाभकारी हैं।
प्रश्न उत्तर समाप्त