प्रश्न : हम्मुराबी की विधि संहिता पर प्रकाश डालें
उत्तर : हम्मुराबी की विधि संहिता प्राचीन विश्व की सबसे पुरानी और सुव्यवस्थित कानून संहिताओं में से एक मानी जाती है। यह संहिता बाबिलोनिया के सम्राट हम्मुराबी द्वारा निर्मित की गई थी, जिन्होंने लगभग 1792 ई.पू. से 1750 ई.पू. तक शासन किया। यह संहिता केवल एक कानून ग्रंथ नहीं थी, बल्कि उस समय के समाज की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थिति को भी दर्शाती है। यह संहिता आज भी प्राचीन न्याय व्यवस्था के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में अध्ययन की जाती है।
हम्मुराबी की विधि संहिता की खोज और संरचना :
हम्मुराबी की विधि संहिता 1901 ई. में फ्रांसीसी पुरातत्वविदों द्वारा आधुनिक ईरान के सूसा नामक स्थान पर खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। यह एक काले डायराइट पत्थर पर खुदी हुई है और ऊपरी भाग में राजा हम्मुराबी को सूर्य देवता शमश से आदेश प्राप्त करते हुए दिखाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हम्मुराबी ने अपने शासन को दैवीय प्रेरणा से युक्त और धर्म आधारित बताया था। इस संहिता में कुल 282 कानून हैं, जो कीलाक्षर लिपि में अक्कादी भाषा में लिखे गए हैं।



1. मुख्य विषयवस्तु :
हम्मुराबी की विधि संहिता समाज के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करती थी। इसमें अपराध, सिविल विवाद, विवाह, तलाक, संपत्ति, व्यापार, ऋण, मजदूरी, दासता, परिवार और विरासत से संबंधित नियम निर्धारित किए गए थे। यह संहिता उस समय के बाबिलोनियाई समाज में कानून के शासन की अवधारणा को स्थापित करती थी।
2. न्याय का सिद्धांत :
हम्मुराबी की संहिता का मूल आधार “प्रतिशोध का सिद्धांत” था, जिसे आज ‘आंख के बदले आंख’ (eye for an eye) या लैटिन में lex talionis कहा जाता है। इसका अर्थ था कि अपराध के लिए अपराधी को वैसा ही दंड दिया जाए जैसा अपराध उसने किया हो। उदाहरणस्वरूप, यदि कोई व्यक्ति किसी का हाथ तोड़ता है, तो उसके बदले में उसका भी हाथ तोड़ा जाएगा। हालांकि यह न्याय प्रणाली वर्गों पर आधारित थी। उच्च वर्ग के अपराधियों को अपेक्षाकृत हल्की सजा मिलती थी, जबकि निम्न वर्ग और दासों को कठोर दंड दिया जाता था ।
3. धार्मिक और नैतिक आधार :
हम्मुराबी ने इस संहिता को ईश्वर का आदेश बताकर धार्मिक वैधता प्रदान की। इससे संहिता का पालन कराना आसान हुआ और समाज में इसका सम्मान बढ़ा। यह संहिता लोगों को यह विश्वास दिलाने में सफल रही कि राजा ईश्वर की ओर से नियुक्त न्याय का रक्षक है।
4. समाज में प्रभाव :
इस संहिता ने उस समय के बाबिलोनिया समाज को एक संगठित रूप देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कानूनों का पहला ऐसा व्यवस्थित दस्तावेज था जिसमें समाज के सभी वर्गों के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया था। यह एक केंद्रीकृत राज्य की अवधारणा को बल देता है, जिसमें राजा सर्वोच्च न्यायाधिकारी होता है।
5. महत्त्व और ऐतिहासिक योगदान:
हम्मुराबी की संहिता न केवल प्राचीन विधिक प्रणाली का प्रमाण है, बल्कि यह आज के आधुनिक विधि तंत्र की आधारशिला भी कही जा सकती है। इसने यह सिद्ध किया कि कानून समाज में अनुशासन, न्याय और समानता बनाए रखने का साधन है। इसके अध्ययन से यह समझा जा सकता है कि न्याय की अवधारणा कैसे समय के साथ विकसित हुई।
निष्कर्ष :
हम्मुराबी की विधि संहिता केवल कानूनों का संग्रह नहीं थी, बल्कि यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज थी जिसने प्राचीन सभ्यता में न्याय, शासन और सामाजिक अनुशासन की नींव रखी। यह संहिता आज भी इतिहासकारों, विधिविदों और समाजशास्त्रियों के लिए अध्ययन का एक मूल्यवान स्रोत है, जो यह दर्शाती है कि प्राचीन सभ्यताओं में भी कानून, दंड और समाजिक व्यवस्था का सम्यक् विकास हो चुका था।
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