सुमेरियन सभ्यता : शिक्षा

सुमेरियन सभ्यता : शिक्षा

सुमेरियन सभ्यता (लगभग 4500-1900 ईसा पूर्व) में शिक्षा अत्यधिक विकसित थी और इसमें लेखन, गणित, कानून, प्रशासन, धर्म और व्यापार से संबंधित विषयों को सिखाया जाता था । इस सभ्यता ने दुनिया की पहली लेखन प्रणाली – कीलाक्षर लिपि (Cuneiform Script) विकसित की, जो शिक्षा प्रणाली का प्रमुख आधार बनी ।


1. शिक्षा प्रणाली का संगठन

  • सुमेरियन शिक्षा का केंद्र “एदुब्बा” (Edubba) कहलाता था, जिसका अर्थ है “मिट्टी की तख्तियों का घर”। ये प्राचीन विद्यालय विशेष रूप से लेखकों (scribes) को प्रशिक्षित करने के लिए बनाए गए थे ।
  • शिक्षा मुख्य रूप से उच्च वर्ग के लड़कों के लिए उपलब्ध थी ।
  • विद्यार्थियों को कठोर अनुशासन के तहत पढ़ाया जाता था, और दंड देने की भी प्रथा थी ।

2. शिक्षा के प्रमुख विषय

सुमेरियन शिक्षा प्रणाली में निम्नलिखित विषयों को महत्व दिया जाता था:

(क) लेखन और भाषा

  • कीलाक्षर लिपि मिट्टी की तख्तियों पर नुकीले औजारों से लिखी जाती थी।
  • साहित्य, व्यापारिक अनुबंध, सरकारी दस्तावेज़, और धार्मिक ग्रंथ लिखने की शिक्षा दी जाती थी ।
  • महाकाव्य साहित्य, जैसे गिलगमेश की कथा (Epic of Gilgamesh), इसी युग की देन है ।

(ख) गणित और ज्यामिति

  • सुमेरियन सभ्यता में 60-आधारित गणना प्रणाली (Sexagesimal System) प्रचलित थी, जिसका उपयोग समय मापन (60 सेकंड = 1 मिनट) और कोण गणना में आज भी होता है।
  • जोड़, घटाव, गुणा, भाग, क्षेत्रफल, और आयतन की गणना सिखाई जाती थी ।
  • व्यापार, कर संग्रह, और भवन निर्माण में गणित का उपयोग किया जाता था ।

(ग) प्रशासनिक और कानूनी शिक्षा

  • सरकारी अधिकारी, कर संग्रहकर्ता और प्रशासकों के लिए विशेष शिक्षा दी जाती थी ।
  • सुमेरियन सभ्यता की न्याय प्रणाली लिखित कानूनों पर आधारित थी, जो बाद में हम्मुराबी संहिता (Hammurabi’s Code) के लिए प्रेरणा बनी ।

(घ) विज्ञान और चिकित्सा

  • चिकित्सा पद्धति विकसित थी और इसमें जड़ी-बूटियों और अन्य प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जाता था।
  • खगोल विज्ञान (Astronomy) का ज्ञान भी विकसित था, जिससे कृषि कैलेंडर बनाए जाते थे।

(ङ) वास्तुकला और इंजीनियरिंग

  • मंदिरों (Ziggurats), नहरों, और सिंचाई प्रणालियों के निर्माण की शिक्षा दी जाती थी।
  • भवन निर्माण के लिए गणित और ज्यामिति का गहन उपयोग किया जाता था।

3. शिक्षा का सामाजिक प्रभाव

  • सुमेरियन शिक्षा ने शासन, व्यापार, और धार्मिक अनुष्ठानों को सुव्यवस्थित करने में मदद की ।
  • यह शिक्षा प्रणाली मेसोपोटामिया की अन्य सभ्यताओं (बेबीलोन, अक्काद, असुर) पर भी प्रभावशाली रही।
  • लेखन प्रणाली के विकास ने इतिहास, साहित्य और प्रशासन के क्षेत्र में क्रांति ला दी ।

सुमेरियन सभ्यता : लिपि

1. कीलाक्षर लिपि का विकास

  • प्रारंभ में सुमेरियन लोग चित्रलिपि (Pictographic Writing) का उपयोग करते थे।
  • समय के साथ यह चित्रलिपि कीलाक्षर लिपि (Cuneiform) में बदल गई, जिसमें तिकोने (wedge-shaped) चिह्नों का प्रयोग होता था।
  • इसे नरम मिट्टी की तख्तियों (Clay Tablets) पर एक नुकीले औजार (Stylus) से लिखा जाता था, फिर इन तख्तियों को सुखाकर कठोर बना दिया जाता था।

2. लिपि की विशेषताएँ

  • लिपि का नाम: कीलाक्षर (Cuneiform)
  • लिखने की विधि: दाईं से बाईं ओर
  • माध्यम: मिट्टी की तख्तियाँ
  • प्रारंभिक स्वरूप: चित्रात्मक (Pictographic)
  • बाद का स्वरूप: प्रतीकात्मक एवं ध्वन्यात्मक (Symbolic and Phonetic)

3. उपयोग और महत्व

  • प्रशासनिक अभिलेख: कर संग्रह, व्यापारिक सौदों, तथा जनगणना को दर्ज करने के लिए।
  • धार्मिक ग्रंथ: देवताओं की स्तुति, मंत्र, और अनुष्ठान संबंधी लेखन।
  • न्यायिक प्रणाली: कानूनों, निर्णयों और समझौतों को लिखने के लिए।
  • साहित्यिक रचनाएँ: गिलगमेश महाकाव्य (Epic of Gilgamesh) सुमेरियन लिपि में लिखा गया था ।

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