भू-आकृति विज्ञान की प्रकृत्ति और विषय – क्षेत्र की व्याख्या करें |

उत्तर- भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) भूगोल की एक महत्त्वपूर्ण शाखा है, जो पृथ्वी की सतह पर स्थित विभिन्न आकृतियों – जैसे पर्वत, पठार, मैदान, घाटियाँ, रेगिस्तान, आदि – के निर्माण, विकास एवं उनके परिवर्तनों का अध्ययन करती है।

  1. भू-आकृति विज्ञान की प्रकृति: भू-आकृति विज्ञान प्राकृतिक विज्ञानों और सामाजिक विज्ञानों के मध्य एक सेतु का कार्य करता है। यह पृथ्वी की सतह की बनावट और उसकी विकास प्रक्रिया का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसका मूल उद्देश्य यह समझना है कि प्राकृतिक शक्तियाँ जैसे वायुमंडलीय प्रक्रियाएँ, जल प्रवाह, हिमनद, समुद्र-तरंगें और भूगर्भीय शक्तियाँ (भूकंप, ज्वालामुखी, प्लेट विवर्तनिकी आदि) किस प्रकार पृथ्वी की सतह को आकार देती हैं।
  2. भू-आकृति विज्ञान का विषय-क्षेत्र: भू-आकृति विज्ञान का विषय-क्षेत्र अत्यंत व्यापक है और इसमें पृथ्वी की सतह की सभी प्रकार की स्थलाकृतियों और उन्हें प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन शामिल है। इसके प्रमुख विषय-क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
  3. संरचनात्मक भू-आकृतियों का वर्णन और वर्गीकरण: इसमें पहाड़ों, पठारों, मैदानों, घाटियों, डेल्टाओं, रेगिस्तानों, तटीय क्षेत्रों, हिमनदी भू-आकृतियों, ज्वालामुखीय भू-आकृतियों आदि जैसी विभिन्न स्थलाकृतियों की पहचान, उनका वर्णन और उनका वर्गीकरण शामिल है।
  4. भू-आकृतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन: यह भू-आकृतियों को आकार देने वाली आंतरिक (जैसे विवर्तनिकी, ज्वालामुखी) और बाह्य (जैसे जल, पवन, बर्फ, गुरुत्वाकर्षण, अपक्षय) प्रक्रियाओं की क्रियाविधि, उनके प्रभावों और उनकी दरों का विश्लेषण करता है।
  5. जलवायु और भू-आकृति संबंध: यह अध्ययन करता है कि जलवायु (वर्षा, तापमान, आदि) भू-आकृतियों के निर्माण और परिवर्तन को कैसे प्रभावित करती है, जिससे विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में विशिष्ट भू-आकृतियों का विकास होता है।
  6. मानवीय प्रभाव: मानव गतिविधियों (जैसे खनन, कृषि, शहरीकरण, वनोन्मूलन) के भू-आकृतियों पर पड़ने वाले प्रभावों और उनसे उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं (जैसे मृदा अपरदन, भूस्खलन) का भी अध्ययन किया जाता है।
  7. अनुप्रयुक्त भू-आकृति विज्ञान: इसमें भू-आकृतिक ज्ञान का उपयोग विभिन्न व्यावहारिक समस्याओं जैसे प्राकृतिक खतरों (बाढ़, भूस्खलन, तटीय अपरदन) के प्रबंधन, जल संसाधन योजना, क्षेत्रीय विकास, और इंजीनियरिंग परियोजनाओं में किया जाता है।
  8. समुद्री और उप-समुद्री भू-आकृतियाँ: यह महासागरों के नीचे की स्थलाकृतियों (महासागरीय खाइयाँ, मध्य-महासागरीय कटक, महाद्वीपीय शेल्फ आदि) और उन्हें प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं का भी अध्ययन करता है।

निष्कर्ष:- भू-आकृति विज्ञान पृथ्वी की सतह को समझने का वैज्ञानिक माध्यम है। यह प्राकृतिक शक्तियों एवं मानवीय हस्तक्षेपों के द्वारा भू-आकृतियों के निर्माण और परिवर्तन को स्पष्ट करता है। इसके अध्ययन से न केवल भूगोल बल्कि पर्यावरण प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन आदि क्षेत्रों में भी लाभ होता है। इस प्रकार, भू-आकृति विज्ञान का विषय-क्षेत्र अत्यंत व्यावहारिक एवं व्यापक है।


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