भारतवर्ष को भारतवर्ष क्यों कहा जाता है ?

उत्तर : भारतवर्ष शब्द का उपयोग हमारे देश के लिए प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है। इस नाम के पीछे केवल एक ऐतिहासिक कारण ही नहीं, बल्कि कई गहरे सांस्कृतिक, पौराणिक और भावनात्मक कारण भी छिपे हुए हैं।

सबसे पहले, “भारतवर्ष” शब्द दो भागों से बना है — “भारत” और “वर्ष”। “भारत” का अर्थ है राजा भरत से जुड़ा हुआ, और “वर्ष” का अर्थ होता है देश, प्रदेश या क्षेत्र। इस तरह “भारतवर्ष” का मतलब होता है वह देश या प्रदेश, जिस पर कभी राजा भरत का शासन था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भरत चक्रवर्ती सम्राट थे, जिन्होंने अपने पराक्रम, न्यायप्रियता और धर्मनिष्ठा से पूरे देश को एकता के सूत्र में बाँध दिया था। कहते हैं कि उन्होंने अपने साम्राज्य को उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैलाया और देश के सभी हिस्सों को एक सशक्त प्रशासनिक व्यवस्था में जोड़ दिया। इसीलिए उनके नाम पर इस भू-भाग को “भारतवर्ष” कहा जाने लगा।

महाभारत, विष्णु पुराण, भागवत पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में “भारतवर्ष” का नाम कई बार आता है। इन ग्रंथों में बताया गया है कि राजा भरत के नेतृत्व में इस भूमि को एक नई पहचान और गौरव मिला। इससे यह स्पष्ट होता है कि “भारतवर्ष” केवल एक भौगोलिक नाम नहीं, बल्कि उस आदर्श राज्य की स्मृति है, जिसे राजा भरत ने अपने न्याय, वीरता और नीति से स्थापित किया था।



एक और दृष्टिकोण यह भी है कि “भारत” शब्द का एक अर्थ “ज्ञान को धारण करने वाला” भी होता है। संस्कृत में “भा” का अर्थ होता है प्रकाश या ज्ञान और “रत” का अर्थ होता है रत या संलग्न होना। इस तरह “भारत” का मतलब हुआ – जो ज्ञान में रत हो या ज्ञान को धारण करे। चूँकि यह भूमि प्राचीन काल से ही वेदों, उपनिषदों, योग, ध्यान, दर्शन और अनेक विद्याओं का केंद्र रही है, इसलिए इसे “भारत” कहा जाने लगा और फिर “भारतवर्ष” नाम प्रचलित हुआ।

संस्कृतिक दृष्टि से, भारतवर्ष केवल राजा भरत के नाम पर सीमित नहीं है, बल्कि यह उस महान सभ्यता का प्रतीक भी है जिसने पूरी दुनिया को अहिंसा, सत्य, धर्म और करुणा का संदेश दिया। यह भूमि राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक जैसे महापुरुषों की भूमि है, जिन्होंने अपने विचारों और कर्मों से मानवता को एक नई दिशा दी।

भौगोलिक दृष्टि से, पुराणों के अनुसार भारतवर्ष हिमालय के दक्षिण और समुद्र के उत्तर में फैला हुआ था। यह भू-भाग नदियों, पर्वतों, उपजाऊ मैदानों और घने वनों से समृद्ध था, जो यहाँ रहने वाले लोगों के जीवन का आधार बने। इस कारण भी इस विशाल भू-भाग को “भारतवर्ष” कहा जाने लगा, क्योंकि यह केवल राजा भरत का राज्य नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और भौगोलिक इकाई भी था।

निष्कर्ष : भारतवर्ष को “भारतवर्ष” कहने का कारण सिर्फ राजा भरत की वीरता या शासन ही नहीं है, बल्कि यह नाम हमारी संस्कृति, ज्ञान, एकता और मानवता के महान मूल्यों का भी प्रतीक है। यही कारण है कि आज भी हम अपने देश को गर्व से “भारतवर्ष” कहते हैं, क्योंकि यह नाम हमारी प्राचीन परंपरा और सभ्यता की याद दिलाता है।



  • जैन परंपरा और भागवत पुराण के अनुसार राजा भरत, ऋषभदेव के पुत्र थे।
  • महाभारत के पौरव वंश के अनुसार राजा भरत, राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे।
  • दोनों ही परंपराओं में राजा भरत महान चक्रवर्ती सम्राट माने जाते हैं और उन्हीं के नाम पर हमारे देश को भारत या भारतवर्ष कहा जाता है।

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