प्रश्न 1 : भारतवर्ष के पर्यायों का उल्लेख करें | अथवा भारतवर्ष के नामकरण के विभिन्न दृष्टिकोण की चर्चा करें | अथवा भारत नाम की प्राचीनता एवं शाश्वतता का वर्णन करें |
उत्तर : हमारा प्यारा देश भारत एक प्राचीन देश है | प्राचीन देश होने के कारण हमारे देश की स्थिति एक जैसी नहीं रही बल्कि समय-समय पर बदलती रही , जिस कारण अलग-अलग समय पर हमारा देश अलग-अलग नामों से जाना गया | अर्थात हमारे देश को कई नामों से पुकारा गया लेकिन उसकी आत्मा और पहचान सदा एक रही।
- जंबूद्वीप : भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण पर्याय “जंबूद्वीप” है। पुराणों और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, पृथ्वी को सात द्वीपों में बाँटा गया था, जिनमें सबसे बड़ा और प्रमुख द्वीप जंबूद्वीप था। कहते हैं कि इस द्वीप में जामुन (जंबू) के बहुत बड़े-बड़े वृक्ष थे, इसलिए इसे जंबूद्वीप कहा गया। भारतवर्ष इसी जंबूद्वीप का प्रमुख हिस्सा माना जाता था। पुराणों और जैन ग्रंथों में कहा गया है कि जंबूद्वीप के दक्षिणी भाग में ही भारतवर्ष स्थित है।
- आर्यावर्त: “आर्यावर्त” का अर्थ है ‘आर्यों की भूमि’। आर्य जाति, जिनकी सभ्यता और संस्कृति ने भारतीय उपमहाद्वीप को विशेष पहचान दिलाई, मुख्य रूप से इसी भू-भाग में निवास करती थी। इस नाम से यह संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र ज्ञान, धर्म, वेद और संस्कृति का केंद्र था, जहाँ आर्य परंपरा का विकास हुआ। आर्यावर्त शब्द केवल एक भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि उच्च आदर्शों, नैतिक मूल्यों और संस्कृति का प्रतीक भी बन गया।
- भारतवर्ष : भारतवर्ष एक ऐसा शब्द है, जो केवल एक भौगोलिक क्षेत्र को ही नहीं दर्शाता, बल्कि इसमें इस देश की प्राचीन संस्कृति, महान इतिहास और अद्भुत परंपराओं की पूरी आत्मा समाई हुई है। “भारतवर्ष” का अर्थ है – राजा भरत का देश। पुराणों और महाकाव्यों के अनुसार, इस देश का नाम महान सम्राट भरत के नाम पर पड़ा, जो अपनी वीरता, न्यायप्रियता और धर्मनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध थे। कहा जाता है कि भरत के वंशजों ने जिस भू-भाग पर शासन किया, वही आगे चलकर “भारतवर्ष” कहलाया।
- हिंदुस्तान: मध्यकाल में भारत को “हिंदुस्तान” के नाम से भी जाना जाने लगा। यह नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से बना, जो सिंधु नदी के क्षेत्र को कहा जाता था। फारसी में ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ के रूप में होता है, इसलिए सिंधु से हिंदू और फिर हिंदुस्तान बना। मुस्लिम शासकों और बाद में मुगल साम्राज्य के समय यह नाम बहुत प्रचलित हुआ। हिंदुस्तान शब्द भारत की साझा संस्कृति, विविधता और विशेषकर उत्तर भारत की पहचान से भी जुड़ा रहा।
- इंडिया: “इंडिया” नाम विदेशी स्रोतों से आया। प्राचीन यूनानी और रोमन यात्रियों ने सिंधु नदी को ‘इंडस’ कहा और इसी आधार पर इस क्षेत्र को ‘इंडिया’ कहा जाने लगा। ब्रिटिश शासन के दौरान यह नाम आधिकारिक रूप से प्रयोग में आया और आज भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को ‘इंडिया’ नाम से पहचाना जाता है। यह नाम भारत की वैश्विक पहचान का हिस्सा बन चुका है।
- हिन्द : भारत को मध्यकाल में एक अन्य नाम से पुकारा गया । यह ‘हिन्द’ नाम 13 वीं – 14 वीं सदी के विद्वान अमीर खुसरो द्वारा दिया गया । हजरत निजामुद्दीन औलिया का शिष्य तथा अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि अमीर खुसरो ने भारत को न केवल ‘हिन्द’ नाम से संबोधित किया बल्कि उसने हिन्द अर्थात् भारत को ‘पृथ्वी का स्वर्ग’ भी बताया ।
- अल-हिन्द : “अल-हिन्द” शब्द अरब देशों में प्रचलित था। यह शब्द भारत की प्रसिद्धि, व्यापारिक समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव को दर्शाता है। प्राचीन समय में भारतीय मसाले, वस्त्र, रत्न आदि विश्व के बाज़ारों में बहुत प्रसिद्ध थे, जिससे “अल-हिन्द” शब्द को गौरव मिला।
निष्कर्ष : भारतवर्ष के इन सभी पर्यायवाची नामों में केवल भौगोलिक अर्थ नहीं छुपा है, बल्कि यह नाम इस भूमि की आत्मा, उसकी संस्कृति, परंपरा और हजारों वर्षों की सभ्यता को दर्शाते हैं। “भारत” नाम से हमें अपने इतिहास और संस्कृति पर गर्व होता है, “जंबूद्वीप” हमें प्राचीन भारतीय भूगोल की याद दिलाता है, “आर्यावर्त” उस महान सभ्यता का स्मरण कराता है जिसने वेद और उपनिषद जैसे ज्ञान के स्रोत दिए, “हिंदुस्तान” इस देश की साझी संस्कृति और एकता का प्रतीक है, और “इंडिया” भारत की वैश्विक पहचान को दर्शाता है।
इन नामों के माध्यम से हम यह समझते हैं कि भारतवर्ष केवल एक देश नहीं, बल्कि विचार, संस्कृति और परंपरा की ऐसी अद्भुत भूमि है, जिसकी पहचान समय के साथ बदलती रही, पर उसकी आत्मा हमेशा एक रही। यही विविधता में एकता भारत की सबसे बड़ी विशेषता है, जो इसे पूरे विश्व में अद्वितीय बनाती है।
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