प्रश्न – आर्थिक भूगोल के अन्य विषयों से सम्बन्ध का वर्णन करें ।
आर्थिक भूगोल का अन्य विषयों से सम्बन्ध निम्नलिखित है :
1. आर्थिक भूगोल तथा अर्थशास्त्र : आर्थिक भूगोल का सबसे घनिष्ठ सम्बन्ध अर्थशास्त्र से है। आर्थिक भूगोल अर्थशास्त्र से इतना अधिक सम्बन्धित है कि कभी-कभी यह भ्रम हो जाता है कि आर्थिक भूगोल, अर्थशास्त्र का ही एक अंग है। अर्थशास्त्र को सैद्धान्तिक कहा जाता है, तो आर्थिक भूगोल को आनुभविक । अर्थशास्त्र में उत्पादन प्रक्रिया, बाजार प्रक्रिया, मुद्रा विनिमय, वस्तुओं के उत्पादन, विनिमय, वितरण एवं उपभोग के सैद्धान्तिक पक्ष का अध्ययन किया जाता है। इसमें आर्थिक समस्याओं पर प्रभाव डालनेवाले कारणों और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से उनके समाधान का अध्ययन करते हैं। आर्थिक भूगोल इन्हीं पक्षों का स्थान (Space) के सन्दर्भ में अध्ययन करता है जैसे कि आर्थिक क्रिया कहाँ हो रही है और उससे कितना उत्पादन हो रहा है।
2. आर्थिक भूगोल तथा इतिहास : इतिहास मानव की क्रियाओं और उसके विचारों का समुचित, समयानुसार ब्यौरा है। ऐतिहासिक घटनाओं की पृष्ठभूमि भूगोल द्वारा ही तैयार होती है, क्योंकि ऐतिहासिक घटना का एक विशिष्ट स्थान और वातावरण होता है। भूतकाल में मानव द्वारा किए गए आर्थिक कार्यों, देश के विकास की योजनाओं, विभिन्न उत्पादनों आदि से सम्बन्धित सभी पहलुओं और समस्याओं का अध्ययन इतिहास में किया जाता है। आर्थिक भूगोल इसी आधार पर वर्त्तमान विकास की समस्याओं तथा भविष्य के आर्थिक विकास के पहलुओं का अध्ययन करता है । इसप्रकार आर्थिक भूगोल व इतिहास में आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है।
3. आर्थिक भूगोल तथा राजनीतिविज्ञान : राजनीतिविज्ञान का मूल उद्देश्य विभिन्न राज्यों की प्रकृति, राजनीति व्यवस्था, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय नीति तथा उनके आपसी सम्बन्धों पर पड़नेवाले भौगोलिक अवस्था के प्रभावों की खोज करता है। राजनीतिशास्त्र के अन्तर्गत राज्य और राज्य की शासन सम्बन्धी अनेक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जिनमें आर्थिक कियाएँ सबसे प्रमुख हैं। आर्थिक भूगोल इन आर्थिक क्रियाओं का समुचित ज्ञान दिलाता है। । इसप्रकार आर्थिक भूगोल और राजनीतिशास्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध है ।
4. आर्थिक भूगोल तथा समाजशास्त्र : आर्थिक भूगोल व समाजशास्त्र में गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि सामाजिक व्यवस्था और अर्थतन्त्र में अन्तर्सम्बन्ध होता है। समाजशास्त्र के अन्तर्गत मानव की सामाजिक क्रियाओं तथा उस पर मानव के विभिन्न आर्थिक कार्यो के पड़नेवाले प्रभाव का अध्ययन करते हैं, जबकि आर्थिक भूगोल में मानव की आर्थिक क्रियाओं तथा उस पर समाजिक क्रियाओं के पड़नेवाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। समाज में आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के कारण अनेक अवरोध पाए जाते हैं, जैसे- गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, तीव्र जनसंख्या वृद्धि जबकि विकसित अर्थतंत्र में ऐसी कठिनाइयों का निवारण कर लिया जाता है। आज विकसित, विकासशील और अल्प – विकसित अर्थतंत्र में सामाजिक व्यवस्था की विविधता स्पष्टतः दृष्टिगोचर होती है। इसप्रकार आर्थिक भूगोल तथा समाजशास्त्र एक-दूसरे से निकट सम्बन्धित हैं।
5. आर्थिक भूगोल तथा रसायनशास्त्र : आर्थिक भूगोल अनेक तकनीकी बातों के लिए रसायनशास्त्र पर निर्भर है। आर्थिक भूगोल की प्रमुख शाखा कृषि भूगोल है तथा कृषि के अन्तर्गत भूमि की उर्वरा शक्ति और उसके रासायनिक तत्त्वों की जानकारी के लिए रसायनशास्त्र की मदद लेनी पड़ती है। औद्योगिक उत्पादन के अन्तर्गत भी आर्थिक भूगोल को रसायनों के ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है। इसप्रकार आर्थिक भूगोल और रसायनशास्त्र आपस में सम्बन्धित हैं।
6. आर्थिक भूगोल तथा जलवायु विज्ञान : भूगोल के अध्ययन का जलवायु से घनिष्ठ सम्बन्ध है। जलवायु विज्ञान के अन्तर्गत हम जलवायु की दशाओं का अध्ययन करते हैं। जलवायु दशाओं का मानव के उत्पादन कार्यों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। अत:, आर्थिक भूगोल का जलवायु विज्ञान से घनिष्ठ सम्बन्ध है ।
7. आर्थिक भूगोल तथा भू-विज्ञान : आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत हम विभिन्न उद्योगों तथा कच्चे पदार्थों का अध्ययन करते हैं। कच्चे पदार्थों में खनिज पदार्थ प्रमुख हैं। खनिज पदार्थों की प्राप्ति, खनिजों का स्वरूप, मिट्टी तथा विभिन्न शैलों का अध्ययन भू-विज्ञान के अन्तर्गत होता है। इसप्रकार आर्थिक भूगोल तथा भू-विज्ञान में पारस्परिक सम्बन्ध है।
8. आर्थिक भूगोल तथा समुद्र विज्ञान : समुद्र विज्ञान के अन्तर्गत समुद्र के जल की गहराई, जल का प्रकार, समुद्री धाराओं का प्रभाव, समुद्र के जल का खारापन आदि बातों का अध्ययन किया जाता है। समुद्र विज्ञान के ये सभी तत्त्व मानव की विविध आर्थिक क्रियाओं, यथा— समुद्री यातायात, मत्स्योत्पादन, जलयान निर्माण उद्योग आदि पर प्रभाव डालते हैं, जिनका अध्ययन आर्थिक भूगोल में किया जाता है। इसप्रकार आर्थिक भूगोल एवं समुद्र विज्ञान में आपस में सम्बन्ध है।
9. आर्थिक भूगोल तथा प्राणिशास्त्र : प्राणिशास्त्र समस्त प्राणियों की उत्पत्ति, संरचना, वितरण आदि का विश्लेषणात्मक अध्ययन करता है। इन प्राणियों की बनावट, वृद्धि, स्वरूप, स्वभाव आदि तत्त्वों के ज्ञान से इनके द्वारा होनेवाले आर्थिक लाभों में सहायता मिलती है। इस प्रकार एक निश्चित सीमा तक आर्थिक भूगोल प्राणियों के ज्ञान के लिए प्राणिशास्त्र पर निर्भर है। अतः, आर्थिक भूगोल प्राणिशास्त्र से सम्बन्धित है।
10. आर्थिक भूगोल तथा वनस्पतिशास्त्र : वनस्पतिशास्त्र में विभिन्न प्रकार के पेड़- पौधों, घास, झाड़ियों, समुद्री पौधों एवं काई का विस्तृत अध्ययन किया जाता है, जबकि आर्थिक भूगोल में इस वनस्पति से होनेवाले आर्थिक उत्पादन (कृषि फसलें एवं वनोत्याद) और उस पर आधारित लघु एवं कुटीर उद्योगों का अध्ययन किया जाता है। इसप्रकार आर्थिक भूगोल और वनस्पतिशास्त्र में घनिष्ठ सम्बन्ध है ।
11. आर्थिक भूगोल और पर्यावरण विज्ञान : पर्यावरण विज्ञान का अध्ययन आर्थिक क्रिया-कलापों के कारण पर्यावरण के अवनयन से अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। आर्थिक लाभ के लिए संसाधनों का अनियमित दोहन, अपशिष्टों के निस्तारण के अनुचित ढंग, ऊर्जा के अधिक प्रयोग और उपभोक्तावादी मानवीय दृष्टिकोण के कारण पर्यावरण जीव सम्बन्ध बिगड गया है, जिसका कुफल मानवसहित अन्य जीवों को भी भोगना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण का सीधा सम्बन्ध उद्योग, परिवहन, उत्खनन आदि आर्थिक कार्यों से है। आर्थिक प्रगति को सन्तुलित कर पर्यावरण के सन्तुलन को बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे जीवन की गुणवत्ता बनी रहे। इसप्रकार पर्यावरण विज्ञान एवं आर्थिक भूगोल में पारस्परिक सम्बन्ध है।