प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या करें।
प्रश्न- प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या करें। यह अत्यन्त प्राचीन सिद्धान्त है। इसके अनुसार व्यक्तियों के अधिकार प्राकृतिक और जन्मसिद्ध होते हैं। प्रो० आशीर्वादम के शब्दों में, “अधिकार उसी प्रकार मनुष्य की प्रकृति के अंग हैं, जिस प्रकार उसकी खाल का रंग। इनकी विस्तृत व्याख्या करने या औचित्य बताने की कोई आवश्यकता नहीं … Read more