असमानता (विषमता) का अर्थ स्पष्ट करें एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन करें। 

असमानता (विषमता) का अर्थ स्पष्ट करें एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन करें। 

प्रश्न – असमानता (विषमता) का अर्थ स्पष्ट करें एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन करें।  समता के विपरीत विषमता ( Inequality) का अर्थ है – व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व के पूर्ण विकास का समान अवसर प्राप्त नहीं होना, समाज में विशेषाधिकारों का पाया जाना, जन्म, जाति, प्रजाति, व्यवसाय, धर्म, भाषा, आय व सम्पत्ति के आधार पर … Read more

भारतीय संविधान में वर्णित समानता के अधिकार को स्पष्ट करें।

भारतीय संविधान में वर्णित समानता के अधिकार को स्पष्ट करें।

प्रश्न – भारतीय संविधान में वर्णित समानता के अधिकार को स्पष्ट करें। समानता का अधिकार ( अनुच्छेद 14 से 18 अनुच्छेद) : समानता लोकतन्त्र का एक प्रमुख सिद्धान्त है। समानता के अभाव में वास्तविक रूप से लोकतन्त्रात्मक शासन की स्थापना होनी असम्भव है। अतः भारतीय संविधान में समानता सम्बन्धी अधिकारों का विस्तृत वर्णन किया गया … Read more

समानता के विभिन्न आयामों की संक्षिप्त विवेचना करें।

समानता के विभिन्न आयामों की संक्षिप्त विवेचना करें।

प्रश्न – समानता के विभिन्न आयामों की संक्षिप्त विवेचना करें। समानता की अवधारणा समय की प्रगति के साथ परिवर्तित होती रही है। इसके अनुसार राजनीतिक चिंतक भी इसके परिवर्तित आयामों का विश्लेषण करते रहे हैं। ब्राइस ने इसके नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा प्राकृतिक आयामों पर जोर दिया है, तो वार्कर ने सामाजिक तथा कानूनी आयामों … Read more

समतावाद क्या है ? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। समाज में असमानताओं और भिन्नतापूर्ण व्यवहार के सन्दर्भ में इसकी भूमिका पर चर्चा करें।

समतावाद क्या है ? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। समाज में असमानताओं और भिन्नतापूर्ण व्यवहार के सन्दर्भ में इसकी भूमिका पर चर्चा करें।

प्रश्न – समतावाद क्या है ? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। समाज में असमानताओं और भिन्नतापूर्ण व्यवहार के सन्दर्भ में इसकी भूमिका पर चर्चा करें। समतावाद, जिसे अंग्रेजी में “Egalitarianism” कहा जाता है, एक ऐसी सामाजिक और राजनीतिक अवधारणा है जो सभी व्यक्तियों के साथ समानता और निष्पक्षता की वकालत करती है। यह सिद्धांत मानता … Read more

‘स्वतंत्रता और समानता एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।’ स्पष्ट करें। 

'स्वतंत्रता और समानता एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।' स्पष्ट करें। 

प्रश्न – ‘स्वतंत्रता और समानता एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।’ स्पष्ट करें।  स्वतंत्रता और समानता प्रजातंत्र के दो मूल आधार स्तम्भ हैं। स्वतंत्रता समाज- कल्याण के हित में व्यक्ति का वह मर्यादित अधिकार है जिसके अभाव में वह अपने जीवन का सर्वमुखी विकास नहीं कर सकता। अर्थात् समाजहित में अपने को … Read more

समानता के अर्थ की ब्याख्या कीजिए तथा इसके प्रकारों की विवेचना कीजिए।

समानता के अर्थ की ब्याख्या कीजिए तथा इसके प्रकारों की विवेचना कीजिए।

प्रश्न- समानता के अर्थ की ब्याख्या कीजिए तथा इसके प्रकारों की विवेचना कीजिए।  साधारण रूप से समानता का अर्थ समस्त व्यक्तियों का समान दर्जा माना जाता है। यह कहा जाता है कि सभी का जन्म-मरण होता है, सभी की एक-सी इन्द्रियाँ होती हैं, अतः ऊँच-नीच, धनी – निर्धन, रंग आदि में भेद नहीं होना चाहिए … Read more

अधिकार सम्बन्धी लॉस्की के विचारों की विवेचना करें।

अधिकार सम्बन्धी लॉस्की के विचारों की विवेचना करें।

प्रश्न- अधिकार सम्बन्धी लॉस्की के विचारों की विवेचना करें। मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना मानव का कोई अस्तित्व ही नहीं है। मानव समाज में ही पलकर विकसित होता है। मानव को समाज तथा राज्य द्वारा कार्य करने की मान्यता ही अधिकार कहलाती है।  मानव विकास के लिए अधिकार का होना आवश्यक है। … Read more

अधिकार और कर्तव्य एक ही वस्तु के दो पहलू हैं।” स्पष्ट करें। 

अधिकार और कर्तव्य एक ही वस्तु के दो पहलू हैं।" स्पष्ट करें। 

प्रश्न- अधिकार और कर्तव्य एक ही वस्तु के दो पहलू हैं।” स्पष्ट करें।  प्रत्येक सभ्य समाज में व्यक्ति को राज्य द्वारा कुछ अधिकार प्रदान किये जाते हैं। ये अधिकार उसे समाज और राज्य द्वारा दी गई वे सुविधाएँ होती हैं, जिनके अभाव में वह अपने व्यक्तित्त्व का विकास नहीं कर सकता। अधिकारों के साथ ही … Read more

मानवाधिकार से आप क्या समझते हैं ? भारतीय संविधान एवं न्यायिक निर्णयों के सन्दर्भ में मानवाधिकार की स्थिति स्पष्ट करें। 

मानवाधिकार से आप क्या समझते हैं ? भारतीय संविधान एवं न्यायिक निर्णयों के सन्दर्भ में मानवाधिकार की स्थिति स्पष्ट करें। 

प्रश्न- मानवाधिकार से आप क्या समझते हैं ? भारतीय संविधान एवं न्यायिक निर्णयों के सन्दर्भ में मानवाधिकार की स्थिति स्पष्ट करें।  मानवाधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम अमेरिका तथा फ्रांस की क्रान्तियों के पश्चात् हुई। उसके पश्चात् मानव के महत्त्वपूर्ण अधिकारों को विश्व समुदाय के द्वारा स्वीकार किया गया। 1941 ई० में अमेरिकी कांग्रेस में अमेरिका के … Read more

अधिकारों के कानूनी एवं आदर्शवादी (नैतिक) सिद्धान्त की विवेचना कीजिए। इनमें सर्वोत्तम सिद्धान्त कौन सा है ?

अधिकारों के कानूनी एवं आदर्शवादी (नैतिक) सिद्धान्त की विवेचना कीजिए। इनमें सर्वोत्तम सिद्धान्त कौन सा है ?

प्रश्न- अधिकारों के कानूनी एवं आदर्शवादी (नैतिक) सिद्धान्त की विवेचना कीजिए। इनमें सर्वोत्तम सिद्धान्त कौन सा है ? अधिकारों का कानूनी सिद्धान्त  (Legal Theory of Rights)  अधिकारों के कानूनी सिद्धान्त के अनुसार, अधिकार राज्य द्वारा निर्मित कानून की देन हैं। ये राज्य की इच्छा तथा कानून का परिणाम होते हैं। उन्हीं अधिकारों का हम वास्तविक … Read more

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