BA 3rd Semester History Major 3 Unit 5 Short Question Answer PDF Download
Q.34. गुप्त काल की धार्मिक दशा का
Ans. गुप्त काल के सभी सम्राट हिन्दू धर्म के अनुयायी थे, परन्तु वे अन्य धर्मो भी आदर करते थे। इस काल में जैन धर्म और बौद्ध धर्म का प्रभाव कम हो गया था। इसके विपरीत हिन्दू धर्म विकास की चरम सीमा पर था। इस काल में हिन्दू मन्दिरों का निर्माण कराया गया। यज्ञ, हवन आदि पुनः होने लगे। ब्राह्मणों का सम्मान बहुत था । सम्राट की ओर से सभी धर्मों को पूर्ण स्वतंत्रता थी कि वे अपनी मनचाही विधि से पूजा अर्चना करें। पदों पर नियुक्तियाँ धर्म या जाति के आधार पर न होकर योग्यता के आधार पर होती थीं। बौद्ध धर्म पतन की ओर जा रहा था। इसके प्रमुख कारण थे- राजकीय सहायता न मिलना एवं बौद्ध भिक्षुओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला ।
Q.35. गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्णयुग क्यों कहा जाता है ?
Ans. गुप्तकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण युग कहने का कारण निम्नलिखित हैं- गुप्तकालीन समाज एक आदर्श समाज था। लोग सद्भावनापूर्वक रहते थे। गुप्त राजाओं ने शकों को हराया और एक राष्ट्रीय साम्राज्य की स्थापना की। व्यापार और वाणिज्य की उन्नति हुई। चारों ओर धन और समृद्धि व्याप्त थी । ललित कलाएँ मूर्तिकला और स्थापत्य कला का बहुत विकास हुआ। कालिदास, विशाखदत्त, हरिसेन, भारवि और अमरसिंह इसी युग में हुए । महान ज्योतिषी और गणितज्ञ धराहमिहिर और आर्यभट्ट भी इसी काल में हुए । तक्षशिला, सारनाथ और नालन्दा के विश्वविद्यालयों में शिक्षा के लिए अन्य देशों से भी विद्यार्थी आते थे। लोगों का आदर्श जीवन था। इन्हीं कारणों से गुप्तकाल को स्वर्ण युग कहा जाता है।
Q.36. गुप्तकालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
Ans. गुप्तकाल में विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई थी । गणित, रसायन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, धातु विज्ञान और ज्योतिष आदि की इस काल में काफी प्रगति हुई थी। दशमलव-भिन्न की खोज और रेखागणित का अभ्यास इसी काल की देन है। आर्यभट्ट इस युग के ख्याति-प्राप्त गणितज्ञ और ज्योतिषी थे। उनका ग्रहण के संबंध में विचार वास्तव में वैज्ञानिक हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। चरक और सुश्रुत इस युग के प्रसिद्ध वैद्य थे। बराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त इस काल के ज्योतिषज्ञ थे। ब्रह्म सिद्धांत ब्रह्मगुप्त की ही रचना थी ।
(iii) तीसरी प्रकार के तराई के स्तम्भ लेख (The Tarai Pillar Edicts) है जो रूमिन्दी और निगलिवा (नेपाल की तराई ) में पाये गये हैं। इनमें अशोक द्वारा महात्मा बुद्ध की जन्मभूमि देखने हेतु यात्रा का वर्णन है ।
Q.37. समुद्रगुप्त का व्यक्तित्व व चरित्र
Ans. समुद्रगुप्त असाधारण सैनिक योग्यता धारक सम्राट् था। आर्यावर्त के शासकों का उन्मूलन और सुदूर दक्षिण के राज्यों पर आधिपत्य उसकी उत्कृष्ट सैनिक प्रतिभा का परिचायक है। विभिन्न युद्धों में समुद्रगुप्त ने जिन भिन्न-भिन्न नीतियों का अनुसरण किया उससे उसकी कूटनीति में निपुणता एवं राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय मिलता है। दक्षिणापथ के राज्यों के साथ समुद्रगुप्त द्वारा अपनाई गयी नीति तत्कालीन परिस्थितियों में सर्वथा उपयुक्त थी । इतिहासकार स्मिथ ने समुद्रगुप्त की वीरता से प्रभावित होकर उसे ‘भारतीय नेपोलियन (Indian Napoleon) कहा है।
समुद्रगुप्त उदार व दानशील शासक था। उसे विद्वानों को पुरस्कृत करने वाला तथा गाय एवं सुवर्ण मुद्राओं का दान करने वाला शासक बताया गया है। वह सज्जनों के लिए उदय तथा दुर्जनों के लिए प्रलय के समान था। असहायों एवं अनाथों को उसने आश्रय दिया था। उसकी प्रशस्ति में कहा गया है कि उसकी उदारता के फलस्वरूप ‘श्रेष्ठकाव्य (सरस्वती) तथा लक्ष्मी का शाश्वत् विरोध सदैव के लिए समाप्त हो गया।’ वह विभिन्न शास्त्रों का ज्ञाता भी था। समुद्रगुप्त ने वैदिक धर्म के अनुसार शासन किया। उसे ‘धर्म की प्राचीर’ कहा गया है। उसके शासन काल में ब्राह्मण धर्म का पुनरुत्थान हुआ। वस्तुतः वह सर्वगुण सम्पन्न सम्राट था।
Q.38. चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के विभिन्न सिक्कों का विवरण
Ans. चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने विशाल साम्राज्य के लिए अनेक प्रकार के सिक्कों का प्रचलन करवाया। उसकी कुछ मुद्राएँ पूर्णतया मौलिक एवं नवीन थीं। उसकी स्वर्ण के साथ-साथ रजत एवं ताम्र मुद्राएँ भी प्राप्त हुई हैं। इसके विभिन्न सिक्के विभिन्न प्रकार के थे, जिनका विवरण निम्नलिखित है-
(1) धनुर्धारी प्रकार के सिक्के सर्वाधिक प्रचलित थे। इसके मुख भाग पर धनुषबाण लिए हुए राजा अंकित हैं।
(2) छत्रधारी प्रकार के सिक्के में राजा के पीछे एक बौना नौकर उसके ऊपर छत्र ताने हुए खड़ा है।
(3) छत्रधारी प्रकार के सिक्के बहुत कम संख्या में प्राप्त हुए हैं। इसमें राजा पलंग पर बैठा है और उसके दायें हाथ में कमल है।
(4) सिंह – निहन्ता प्रकार के सिक्कों के मुख भाग पर सिंह को धनुषबाण अथवा कृपाण से मारते हुए राजा की आकृति उत्कीर्ण है।
(5) अश्वारोही प्रकार के सिक्के में घोड़ पर सवार राजा की आकृति अंकित है।
Tag : BA 3rd Semester History Major 3 Unit 5 Short Question Answer, History Major Short Notes PDF Download, BA History Semester 3 Important Questions, Unit 5 Short Answer Questions History Major, BA History 3rd Semester Notes in Hindi PDF, History Major 3 Unit 5 Study Material, BA History Short Question Answer Download, BA History Important Questions with Answers, BA History 3rd Semester Notes Download, History Major Unit 5 Short Notes, BA History 3rd Semester Short Questions in Hindi, BA History Major Notes PDF Free Download, BA History Short Question Answer in Hindi, BA History Unit 5 Notes PDF Download, University Exam Preparation Notes PDF, BA History Guess Paper Short Questions, BA History Important Short Notes in Hindi, BA History Exam Model Paper with Answers, BA History Major Important Notes PDF Download, BA History 3rd Semester Study Material PDF