BA 3rd Semester Geography Minor 3 Unit 3 Short Question Answer PDF Download
Q.18. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से आप क्या समझते हैं?
Ans. सामान्य रूप से व्यापार वस्तुओं के आपसी आदान-प्रदान को कहते हैं । विश्व में व्यापार की प्रथा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। प्रारम्भ में मानव आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत करता था क्योंकि उसकी आवश्यकताएँ सीमित थीं, जिनकी आपूर्ति वह अपने वातावरण से प्राप्त वस्तुओं से कर लेता था, लेकिन जब मानव का ज्ञान बढ़ा, आवश्यकताएँ बढ़ीं जिनकी पूर्ति वह स्वयं नहीं कर सकता था, तो उसे दूसरों पर निर्भर होने के लिए विवश होना पड़ा। फलत: लोग आपस में वस्तुओं का आदान-प्रदान करने लगे। यही व्यापार का प्रारिम्भक रूप था। जैसे-जैसे पारस्परिक निर्भरता बढ़ती गयी, व्यापार का विस्तार होता गया।
Q.19. व्यापार कितने प्रकार के होते हैं ?
Ans. व्यापार मुख्यतः चार प्रकार का होता है
(i) स्थानीय प्रकार : किसी एक ही क्षेत्र के निवासियों में जो आपस में व्यापार होता है, उसे स्थानीय व्यापार कहते हैं।
(ii) प्रादेशिक व्यापार : एक प्रदेश का जब दूसरे प्रदेश से व्यापार होता है, तो वह प्रादेशिक व्यापार कहलाता है।
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार : एक देश का जब दूसरे देश से व्यापार होता है, तो वह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।
(iv) विदेशी व्यापार : अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में एक देश के दृष्टिकोण से अन्य देशों का जों व्यापार होता है, वह विदेशी व्यापार कहलाता है।
Q.20. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या लाभ है ?
Ans. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से अनेक लाभ हैं, जिनमें कुछ प्रमुख निम्नवत हैं-
1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से प्राकृतिक आपदा में सहायता प्राप्त होती है। उदाहरणार्थ- यदि किसी भी देश में अकाल पड़ जाये तो विदेशों से खाद्यान्नों का आयात कर करोड़ों लोगों की जान बचायी जा सकती है।
2. उपभोक्ताओं को अपनी मनचाही वस्तुएँ जो उसके देश में उत्पन्न नहीं होती हैं, आसानी से मिल जाती हैं।
3. जिन देशों में आवश्यक कच्चे माल का अभाव होता है, उन्हें आयात द्वारा प्राप्त किया जा सकता है तथा औद्योगिक विकास किया जा सकता है।
4. जिन देशों के पास अन्य संसाधन का अभाव होता है तथा कच्चे माल की अधिकता होती है, वे अपने कच्चे माल का निर्यात करके अन्य आवश्यक वस्तुएं प्राप्त कर सकते हैं।
5. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के परिणामस्वरूप विभिन्न देशों के व्यापारियों में प्रतिस्पर्द्धा बनी रहती है। फलतः उत्तम प्रकार की वस्तुओं का निर्माण होता है तथा कम कीमत पर उपभोक्ताओं को ये वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं।
Q.21: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या हानियाँ हैं ?
Ans. व्यापार का मूल उद्देश्य लाभ है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में कुछ हानियाँ भी होती हैं—
(i) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण देश गुटों में बँट जाते हैं।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग नहीं हो पाता, ‘जैसे’ भारत अपने लौह अयस्क एवं कपास का उसी रूप में निर्यात कर देता है।
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के फलस्वरूप किसी देश की अर्थव्यवस्था को बहुत हद तक विदेशों पर अवलम्बित रहना पड़ता है जो कि कभी-कभी अति हानिकारक सिद्ध होता है, क्योंकि यदि युद्ध या अन्य किसी कारणवश व्यापार बन्द हो जाता है, तो समस्त आर्थिक ढाँचा ही लड़खड़ा जाता है।
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी देश में आर्थिक अथवा औद्योगिक अव्यवस्था या असंतुलन उत्पन्न कर देता है। इस अवस्था का प्रभाव उन देशों पर भी पड़ता है जिससे उसका संबंध होता है। यही कारण है कि आर्थिक मन्दी या तेजी किसी एक देश तक ही सीमित नहीं रहती।
(v) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार राजनीतिक कुचक्र को जन्म देता है तथा अनेक देशों के विकास को भी शिथिल कर देता है।
Q.22. विश्व व्यापार संगठन क्या है?
Ans. WTO गैट का ही उत्तराधिकारी है। गैट के सदस्य देश समय-समय पर एकत्रित होकर विश्व व्यापार की समस्याओं पर वार्ता करते थे और उन्हें सुलझाते थे, परन्तु WTO अब एक सुव्यवस्थित और स्थायी विश्व व्यापार संस्था बन गयी है। इसकी एक कानूनी स्थिति है और यह विश्व बैंक (World Bank) तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) के समकक्ष ही स्थान रखता है। यह एक नयी विश्व व्यापार प्रणाली है।
संक्षेप में, WTO सरकार के विभिन्न देशों के बीच अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने तथा सीमा शुल्क के बन्धनों को कम करने के लिए किया गया आवश्यक सिद्धान्तों तथा नियमों से सम्बन्धित एक बहुपक्षीय समझौता और बन्धनमुक्त (Loose) संगठन है। यह एक बहुपक्षीय सन्धि है जो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों का निर्धारण करती है।
Q.23. विश्व व्यापार संगठन के कार्यों (Functions of WTO) के बारे में बताएँ।
Ans. विश्व व्यापार संगठन के निम्नांकित कार्य हैं-
1. व्यापार एवं प्रशुल्क से सम्बन्धित मुद्दों के लिए एक उचित मंच सदस्यों के लिए प्रदान करना।
2. विश्व संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करना।
3. विश्व स्तर पर आर्थिक नीति निर्माण में अधिक सामंजस्य उत्पन्न करने के लिए IMF एवं IBRD का सहयोग करना ।
4. व्यापार नीति समीक्षा प्रक्रिया से सम्बन्धित नियमों एवं प्रावधानों को लागू करना ।
5. विश्व व्यापार समझौते एवं बहुपक्षीय, बहुवचनीय समझौते के कार्यान्वयन, प्रशासन एवं परिचालन हेतु सुविधाएँ प्रदान करना ।
6. सदस्यों के बीच उत्पन्न विवादों के निपटारे हेतु सम्बन्धित नियमों एवं प्रक्रियाओं को प्रशासित करना।
Tag : Geography Minor 3 Unit 3 Notes, BA Geography 3rd Semester Notes, Geography Minor 3 Unit 3 Study Material, Geography Short Question Answer PDF, BA Geography Notes Download, Geography Minor 3 Important Notes, Geography Minor 3 Unit 3 Hindi Medium Notes, Geography Unit 3 Short Notes PDF, Geography Minor Paper 3 Notes, Geography Notes for Bihar University, Geography Minor 3 Unit 3 Important Topics, BA 3rd Semester Geography Notes PDF, Geography Minor 3 Study Guide, Geography Notes for LNMU, Geography Notes for TMBU, Geography Notes for JPU, Geography Notes for BRABU, Geography Notes for PPUP, Geography Notes for VKSU, Geography Minor 3 Unit 3 Important Question Answer, Geography Minor 3 Unit 3 Hindi Notes, Geography Short Question Answer in Hindi, Geography Minor 3 Unit 3 PDF Free Download, Geography Minor 3 Unit 3 Notes for Students, Geography Unit 3 Important Short Notes, Geography Unit 3 Summary, Geography Notes for University Exams, Geography Minor 3 Notes in Hindi, Geography Minor 3 Notes.