अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओ की विवेचना करें |

उत्तर :अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएँ वे बुनियादी प्रश्न हैं, जिनका सामना हर समाज को संसाधनों की सीमित उपलब्धता और विभिन्न आवश्यकताओं के कारण करना पड़ता है । अर्थशास्त्र में इन समस्याओं को आर्थिक समस्या या संसाधन आवंटन की समस्या के रूप में भी जाना जाता है । मुख्यतः ये तीन प्रमुख केंद्रीय समस्याएँ होती हैं

  1. क्या उत्पादन किया जाए ?
  2. कैसे उत्पादन किया जाए ?
  3. किसके लिए उत्पादन किया जाए ?

अर्थव्यवस्था की पहली केन्द्रीय समस्या का सम्बन्ध चयन की समस्या (Problem of choice) से है । प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली समस्या यह है कि कौन-सी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाए जिससे व्यक्तियों की अधिकतम आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके । साधनों की सीमितता एवं उनके वैकल्पिक प्रयोग के कारण प्रत्येक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि किन आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जाए और किन आवश्यकताओं को छोड़ा जाए? इस समस्या का हल इस आधार पर किया जाता है कि कौन सी वस्तुएं समाज के लिए अधिक आवश्यक हैं और किससे समाज का अधिकतम कल्याण हो सकता है | जब एक अर्थव्यवस्था यह तय कर लेती है कि कौन-सी वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन करना है तो उसे यह भी निर्णय लेना पड़ता है कि उन वस्तुओं का कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए ?

    अर्थव्यवस्था के सामने दूसरी समस्या यह है कि चयनित वस्तु का उत्पादन कैसे किया जाए ? वास्तव में यह तकनीक के चुनाव (Choice of Technique) की समस्या है । उत्पादन की तकनीक दो प्रकार की होती है-

    • श्रम – प्रधान तकनीक (Labour-intensive Technique ) – इस तकनीक में पूँजी की तुलना में श्रम का उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता है । इस तकनीक के प्रयोग से रोजगार में वृद्धि होती है तथा बेरोजगारी का समाधान होता है ।
    • पूँजी – प्रधान तकनीक (Capital-intensive Technique) – इस तकनीक में श्रम की तुलना में पूँजी का उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता है । इस तकनीक के प्रयोग से उत्पादन कुशलता एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है ।

                            यह निर्णय इस बात पर भी निर्भर करता है कि कौन सी तकनीक ज्यादा किफायती और पर्यावरण के लिए अनुकूल है । उत्पादन की विधि का चयन देश की अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है ।

    यह समस्या इस बात से संबंधित है कि जो वस्तुएं और सेवाएं उत्पादित की गई हैं, उनका वितरण किस प्रकार किया जाएगा। इसका अर्थ है कि समाज में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को किन लोगों के बीच बांटा जाएगा। इसका निर्णय लोगों की आय, क्रय शक्ति, और उनकी आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। इस समस्या का समाधान समाज की आर्थिक नीतियों और वितरण की नीति पर निर्भर करता है, जैसे कि पूंजीवादी व्यवस्था में आय के आधार पर वितरण होता है, जबकि समाजवादी व्यवस्था में संसाधनों का वितरण समान रूप से करने का प्रयास किया जाता है।

                           इन तीन समस्याओं के समाधान के लिए हर देश अपनी आर्थिक नीतियों और योजनाओं का निर्माण करता है ताकि सीमित संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग हो सके और समाज में संतुलन बना रहे ।

    अर्थव्यवस्था में साधन आबंटन की तीन मौलिक समस्याओं के अतिरिक्त अर्थशास्त्रियों स्टिगलर एवं लेफ्टविच ने अर्थव्यवस्था में दो अतिरिक्त केन्द्रीय समस्याओं का उल्लेख किया है-

                 साधनों के आबंटन से जुड़ी तीनों समस्याएँ क्या ? कितना ? कैसे ? और किसके लिए ? (What? How much? How ? and for Whom ?) के समाधान के बाद अर्थव्यवस्था की अगली मुख्य समस्या उत्पादन साधनों का कुशलतम विदोहन (Optimum utilisation) सुनिश्चित करना है । प्रत्येक अर्थव्यवस्था में साधन सीमित होते हैं। अतः प्रत्येक अर्थव्यवस्था के सामने अगली मुख्य समस्या यह होती है कि इन सीमित साधनों का पूरा-पूरा उपयोग कैसे किया जाए ? इस समस्या के दो पहलू हैं-

    1. उत्पादन के सभी साधनों; जैसे- भूमि, श्रम, पूँजी आदि को पूर्ण रोजगार प्रदान करना ।
    2. अर्थव्यवस्था के सीमित साधनों का पूर्ण अथवा कुशलतम उपयोग करना ।

                      इस प्रकार एक अर्थव्यवस्था को पूर्ण रोजगार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधनों की बेरोजगारी और उनके अल्प – रोजगार से सम्बन्धित समस्या का समाधान करना होता है और साथ ही सीमित साधनों का पूर्ण अथवा कुशलतम विदोहन सुनिश्चित करना पड़ता है ।

    प्रत्येक अर्थव्यवस्था अपने उत्पादन स्तर में वृद्धि करके आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना चाहती है । देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख समस्या है । इसके अलावा सीमित संसाधनों के लगातार प्रयोग से साधन और भी सीमित होते चले जाते हैं । इसलिए आवश्यक है कि साधनों का भी लगातार उत्पादन और विकास किया जाए तथा वैकल्पिक साधनों की भी खोज की जाए, ताकि अर्थव्यवस्था में उत्पादन स्तर को बढ़ाकर आर्थिक विकास किया जा सके।


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