मौर्यकालीन सामाजिक दशा का वर्णन कीजिए ।

मौर्य काल में समाज ( Society in Mauryan ) : मौर्यों ने 324 ई०पू० से लेकर 185 ई०पू० तक शासन किया। इस काल के सामाजिक और आर्थिक दशा के विषय में कौटिल्य के अर्थशास्त्र, मैगस्थनीज के विवरण बौद्ध साहित्य, जैन साहित्य और पुराणों आदि से महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। मौर्यकालीन समाज सामान्य रूप से अच्छा था, जिसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखितं थीं— 

(1) जाति व्यवस्था (Caste System): इस समय का समाज चार वर्णों से निर्मित अनेक जातियों में विभाजित था। मैगस्थनीज के अनुसार समाज में सात वर्ण – दार्शनिक, किसान, ग्वाले, कारीगर, सैनिक, निरीक्षक अमात्य थे। अशोक के अभिलेखों से विभिन्न जातियों के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है, परन्तु ये जातियाँ चार वर्णों-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के अन्तर्गत थी। मैगस्थनीज ने मौर्यकालीन समाज के विषय में लिखा है- “मौर्यकालीन भारत का सामाजिक जीवन बड़ा ही सुन्दर था। प्रत्येक भारतीय नैतिकता के उच्च आदर्शों का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करता था ।” इस समय वर्ण व्यवस्था काफी कठोर थी, परन्तु कुछ लोग अपना पेशा छोड़कर दूसरा पेशा भी करने लगे थे। अपनी जाति के अलावा दूसरी जाति या वर्ण में भी विवाह कर लेते थे। इस काल में दास प्रथा भी थी। अशोक के अभिलेख में दास प्रथा का उल्लेख किया गया है। जाति जन्म पर आधारित थी। 

(2) विवाह प्रथा (Marriage System) : मौर्यकाल में विवाह प्रथा थी जिसमें स्त्री पुरुष एक दूसरे से एक सूत्र में बंधते थे। ऐसा करके दोनों देव, ऋषि तथा पितृ ऋण से मुक्त होते थे। विवाह के प्रकारों में ब्रह्म और देव विवाह अधिक प्रचलित थे। अन्तर्जातीय विवाहों का प्रचलन था। पुनर्विवाह का भी प्रचलन था । पुरुष एक से अधिक पत्नियाँ रख सकते थे। कुछ विशेष परिस्थितियों में तलाक भी हो सकता था। इस समय दहेज प्रथा भी थीं। 

(3) स्त्रियों की स्थिति (Poseition of Woman) : मौर्यकाल में स्त्रियों की दशा अच्छी थी। गृहस्थ को अपनी पत्नी के साथ यज्ञ में भाग लेना आवश्यक था। इस काल में स्त्री उत्पादिका और प्रतिपादिका थी और कष्ट में सांत्वना देने वाली थी। इस काल में स्त्रियों को पर्याप्त स्वतंत्रता प्राप्त थी । उनको दर्शन शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी । फिर वे प्रायः मकानों की चारदीवारी में रहती थीं तथा पुरुषों की आज्ञा के बिना घर से बाहर नहीं जा सकती थीं। उनका मुख्य कार्य पति की सेवा, बच्चों का पालन-पोषण था। समाज में कुछ वेश्याएँ भी थीं। कुछ स्त्रियाँ गुप्तचर विभाग में भी कार्य किया करती थीं। 

(4) भोजन एवं वस्त्र (Food and Dress ) : मौर्य काल में लोगों की आर्थिक दशा अच्छी थी। अतः लोगों का भोजन अच्छा था। भोजन में अनाज, दूध, सब्जी और फलों का प्रयोग करते थे। लोग मांस और शराब भी ग्रहण करते थे। 

सामान्य रूप से लोग सूती कपड़े पहनते थे लेकिन धनी लोग रेशम और मलमल के वस्त्रों का प्रयोग करते थे। मौर्य काल में लोगों को आभूषण पहनने का भी चाव था । 

(5) मनोरंजन ( Entertainment): इस समय के समाज में मनोरंजन के अनेक साधन प्रचलित थे। गैगस्थनीज के अनुसार लोग उस समय रथदौड़, मुड़दौड़ स दासीयुद्ध आदि के द्वारा अपना मनोरंजन किया करते थे। इसके अलावा नटनर्तक, गायन, वादन आदि लोगों का भी उल्लेख अर्थशास्त्र में मिलता है। इनके अलावा बागवानी, चित्रकला, मूर्तियाँ बनाना आदि भी मनोरंजन के अच्छे साधन थे। इस समय के लोग आमोद प्रमाद के शौकीन थे और शौक की वस्तुओं पर खूब पैसा खर्च करते थे। 

(6) त्यौहार (Festivals) : मौर्यकालीन भारत में त्योहार को पवित्र दृष्टि से देखा जाता था । प्रत्येक छोटे-बड़े त्यौहार पर सब लोग बड़ी खुशियाँ मनाया करते थे। वे एक दूसरे के घर जाकर उनको बधाई दिया करते थे। रात के समय रास-रंग की सभायें होती थी जिसमें सभी लोग शामिल होते थे । प्रत्येक धर्म के त्यौहारों को बहुत ही अच्छे ढंग से मनाते थे। 

इस प्रकार मौर्यकालीन समाज अत्यन्त प्रसन्न और सुखी था। इसमें सभी वर्गों के लोग शामिल थे। इनके मध्य अच्छे सम्बन्ध थे और एक दूसरे की सहायता करते थे। 


About The Author

Spread the love

Leave a Comment

error: Content is protected !!