स्वतंत्रता क्या है ? स्वतंत्रता की नकारात्मक एवं सकारात्मक धारणा का वर्णन करें।

Ans. स्वतंत्रता का अंग्रेजी शब्द ‘लिबर्टी’ (Liberty) लैटिन भाषा के ‘लिबर’ (Liber) शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है -बंधनों का अभाव। अर्थात्, मनुष्य की इच्छा और कार्य पर किसी प्रकार की रुकावट न हो। हॉब्स, रूसो, बेंथम आदि विचारक इसके समर्थक रहे हैं। 

हॉब्स के शब्दों में  “स्वतंत्रता का अर्थ बंधनों के अभाव से है । ‘ 

बेंथम के अनुसार  “मनुष्य की जो इच्छा हो वह करें।’ 

परन्तु स्वतंत्रता का उपर्युक्त अर्थ भ्रमपूर्ण है। स्वतंत्रता का अभिप्राय बंधनों एवं रुकावटों का अभाव नहीं है। इससे स्वेच्छाचारिता एवं उच्छृंखलता को बढ़ावा मिलेगा तथा समाज में अराजकता फैल जायेगी। इसमें ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ की कहावत चरितार्थ होगी तथा केवल सबल व्यक्ति ही स्वतंत्र रहेंगे, निर्बलों की स्वतंत्रता समाप्त हो जायगी। एक सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज में रहते हुए मनुष्य असीमित स्वतंत्रता का उपभोग नहीं कर सकता। तात्पर्य यह कि स्वतंत्रता निरंकुश, स्वेच्छाचारी एवं असीमित नहीं हो सकती जैसा कि हॉब्स, बेंथम आदि विचारकों ने बतलाया है। 

स्वतंत्रता का सही अर्थ बंधनों का अभाव नहीं है, बल्कि सामाजिक बंधनों से जकड़ा हुआ अधिकार है। स्वतंत्रता मानवीय प्रकृति और सामाजिक जीवन के दो विरोधी तत्वों-बंधनों का अभाव और नियमों के पालन में सामंजस्य का नाम है। स्वतंत्रता वह सब कुछ करने की. शक्ति का नाम है जिससे दूसरे व्यक्तियों को आघात न पहुँचे। सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ. है— मनुष्य को जंगली पशुओं की भाँति अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए शक्ति द्वारा मनमानी करने का अधिकार न होना तथा अपने अधिकारों का इस तरह प्रयोग करना जिससे सामाजिक नियम, राज्य के कानून तथा दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन न हो। 

स्वतंत्रता के वास्तविक अर्थ को स्पष्ट करने के प्रयास में विभिन्न विद्वानों ने जो. स्वतंत्रता की परिभाषाएँ दी हैं, उनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं – 

मैकनी : “स्वतंत्रता सभी प्रकार की पाबंदियों का नाम नहीं, बल्कि अनुचित के स्थान पर उचित पाबंदियों की स्थापना है।” (“Freedom is not the absence of all restraints, but rather the substitution of rational ones for the irrational”.). 

हर्बर्ट स्पेंसर : “प्रत्येक मनुष्य वह करने को स्वतंत्र है जिसकी वह इच्छा करता है, यदि वह किसी मनुष्य की समान स्वतंत्रता का हनन नहीं करता हो । ” (Every man is free to do that which he will provided he enfringes not equal freedom of any other man”.) 

लास्की : “आधुनिक सभ्यता में मनुष्य के व्यक्तिगत सुख की गारंटी के लिए जो सामाजिक परिस्थितियाँ आवश्यक हैं, उनके अस्तित्व में किसी प्रकार के प्रतिबंध के अभाव का नाम ही स्वतंत्रता है।” (“Liberty is the absence of restraints upon the existence of those social conditions which in modern civilisation are the necessary guarantees of new happiness”) 

बर्न्स (Burns) “प्राकृतिक ढंग से बढ़ने तथा अपनी योग्यताओं में वृद्धि करने की शक्ति को स्वतंत्रता कहा जाता है। 

है । ” 

लॉस्की ने स्वतंत्रता की दो परिभाषाएँ दी है- एक नकारात्मक दृष्टिकोण की तथा दूसरी सकारात्मक दृष्टिकोण की । 

स्वतंत्रता की विभिन्न परिभाषाओं के विश्लेषण के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि स्वतंत्रता के दो पहलू हैं— (i) नकारात्मक या निषेधात्मक (Negative) तथा (ii) भावात्मक था सकारात्मक (Positive ) । स्वतंत्रता के सही अर्थ को समझने के लिए इन दोनों पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है। 

(i) स्वतंत्रता का नकारात्मक पहलू : स्वतंत्रता का नकारात्मक अर्थ है एक निश्चित सीमा के अंतर्गत बंधनों का अभाव। बंधनों के अभाव का अर्थ अराजकता या स्वच्छंदता नहीं है। दूसरे शब्दों में, स्वतंत्रता का नकारात्मक अर्थ है उन बंधनों तथा नियंत्रणों या रुकावटों को दूर करना, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के मार्ग में अवरोध पैदा करे। प्रो० लॉस्की के शब्दों में, “स्वतंत्रता इन सामाजिक स्थितियों के ऊपर नियंत्रण का अभाव है, जो कि आधुनिक सभ्यता के अंतर्गत व्यक्ति के सुख के लिए आवश्यक है।” दूसरे शब्दों में, नकारात्मक अर्थ में स्वतंत्रता निश्चित सीमा के भीतर बंधनों का अभाव है। किन्तु, सभी प्रकार के बंधनों के अभाव को हम स्वतंत्रता नहीं कह सकते। सभी प्रकार के बंधनों के अभाव का अर्थ होगा- अराजकता, स्वच्छंदता तथा अय्यासी । मेक्केनी के कथनानुसार, “सब प्रकार के प्रतिबंधों के अभाव को नहीं, अपितु अनुचित के स्थान पर युक्तिमूलक प्रतिबंधों की व्यवस्था को स्वतंत्रता कहा जाता है।’ 

(ii) स्वतंत्रता का सकारात्मक पहलू : स्वतंत्रता की पूर्ण व्याख्या केवल नकारात्मक अर्थ में नहीं की जा सकती। इसकी सही और वास्तविक व्याख्या नकारात्मक और सकारात्मक अर्थ से अधिक सशक्त और महत्वपूर्ण है। सकारात्मक अर्थ स्वतंत्रता के एक अंश पर ही प्रकाश डालता है। जिस प्रकार सौंदर्य का अर्थ केवल कुरुपता का अभाव नहीं, अपितु और भी कुछ है, उसी प्रकार स्वतंत्रता के अंतर्गत केवल बंधनों या प्रतिबंधों का अभाव नहीं, बल्कि कुछ और भी है। 

सकारात्मक अर्थ में स्वतंत्रता आत्मविश्वास अथवा अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए उपलब्ध समुचित अवसर को कहा जाता है। प्रो० लॉस्की के शब्दों में. “स्वतंत्रता का अभिप्राय उस वातावरण के संचारण से है, जिसके अंतर्गत मनुष्य को अपने सर्वोत्तम रूप में प्रकट होने का अवसर मिलता है।” संक्षेप में, स्वतंत्रता का अभिप्राय उन अधिकारों तथा उन अवसरों से है, जो नागरिकों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। अत:, हम इस नतीजे पर आते हैं कि स्वतंत्रताविहीन नागरिक अंधकार के गर्त में गोता लगानेवाले के समान हैं, किन्तु यह भी उतना ही ध्यान देने योग्य है कि स्वतंत्रता का अभिप्राय अराजकता से न लगाया जाए। स्वतंत्रता और कानून एक-दूसरे के पूरक हैं। कानूनी बंधन के अभाव में स्वतंत्रता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।


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