प्रश्न : मिस्र सभ्यता का धार्मिक जीवन का वर्णन करे |
उत्तर : मिस्र की सभ्यता का धार्मिक जीवन अत्यंत समृद्ध और जटिल था । यह बहुदेववादी था, जिसमें सैकड़ों देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी । मिस्रवासियों का मानना था कि देवताओं ने सृष्टि की रचना की और वे प्रकृति एवं जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं। फराओ को देवताओं का प्रतिनिधि और स्वयं एक देवता माना जाता था ।
1.मिस्रवासियों की धार्मिक मान्यताएँ
मिस्रवासियों का मानना था कि सृष्टि का निर्माण विभिन्न देवताओं द्वारा किया गया था और वे जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करते थे । उनके धर्म की कुछ प्रमुख मान्यताएँ निम्नलिखित थीं:
- देवताओं की पूजा : वे मानते थे कि देवता प्रकृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे सूर्य, नील नदी, मृत्यु, पुनर्जन्म आदि ।
- फराओ (Pharaoh) का दैवीय रूप: मिस्र के राजा (फराओ) को देवता का अवतार माना जाता था और वह धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
- मृत्यु के बाद जीवन : मिस्रवासी मानते थे कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है।
- ममीकरण : शरीर को संरक्षित करने की परंपरा ताकि आत्मा (Ka और Ba) परलोक में प्रवेश कर सके ।
- मंदिरों और धार्मिक स्थलों का महत्व: मिस्र में कई विशाल मंदिर बनाए गए, जहाँ देवताओं की पूजा और अनुष्ठान होते थे ।

2. प्रमुख मिस्री देवता और उनकी पूजा
मिस्रवासियों ने विभिन्न देवताओं की पूजा की, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
(i) रा (Ra) – सूर्य देवता
- रा को सबसे महत्वपूर्ण देवता माना जाता था ।
- वह सृष्टि का रचयिता और सूर्य का प्रतीक था ।
- उसकी पूजा विशेष रूप से हेलियोपोलिस (Heliopolis) शहर में की जाती थी।
(ii) ओसिरिस (Osiris) – मृत्यु और पुनर्जन्म के देवता
- ओसिरिस को परलोक का शासक और पुनर्जन्म का देवता माना जाता था।
- वह न्याय करता था और यह तय करता था कि कौन परलोक में जाएगा ।
(iii) आइसिस (Isis) – मातृत्व और जादू की देवी
- वह प्रेम, मातृत्व और जादू की देवी थी ।
- उन्होंने अपने पति ओसिरिस को पुनर्जीवित किया और अपने पुत्र होरस (Horus) को बड़ा किया ।
(iv) होरस (Horus) – युद्ध और न्याय के देवता
- होरस को फराओ का संरक्षक माना जाता था ।
- उसे बाज़ के सिर वाले मानव के रूप में चित्रित किया जाता था ।
(v) सेत (Seth) – अराजकता और विनाश के देवता
- सेत को अराजकता, रेगिस्तान और तूफानों का देवता माना जाता था।
- उसने ओसिरिस को मारकर सत्ता हासिल करने की कोशिश की, लेकिन अंततः होरस से हार गया ।
(vi) थोथ (Thoth) – ज्ञान और लेखन के देवता
- वह लेखन, ज्ञान और जादू का देवता था ।
- उसे इंसान के शरीर और आइबिस पक्षी के सिर के साथ चित्रित किया जाता था।
3. धार्मिक अनुष्ठान और ग्रंथ
(i) मंदिर अनुष्ठान और पूजा
- मिस्र के मंदिरों में देवताओं की मूर्तियाँ रखी जाती थीं ।
- पुजारी (Priests) देवताओं के लिए भोजन, जल और धूप चढ़ाते थे ।
- मंदिरों में विशेष त्यौहार और उत्सव मनाए जाते थे।
(ii) मृतकों की पुस्तक (Book of the Dead)
- यह ग्रंथ मरने के बाद आत्मा के मार्गदर्शन के लिए लिखा गया था।
- इसमें मंत्र, प्रार्थनाएँ और अनुष्ठान होते थे।
(iii) पिरामिड ग्रंथ (Pyramid Texts)
- यह मिस्र के सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथों में से एक है, जो मुख्य रूप से फराओ की आत्मा के परलोक में प्रवेश के अनुष्ठानों से जुड़ा था।
(iv) ओपेट महोत्सव (Opet Festival)
- यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव था, जिसमें अमुन-रा (Amun-Ra) की मूर्ति को कर्णक मंदिर से लक्सर मंदिर तक ले जाया जाता था।
4. मृत्यु के बाद जीवन और ममीकरण
मिस्रवासियों को विश्वास था कि मृत्यु के बाद आत्मा दो भागों में विभाजित होती है:
- का (Ka): यह शरीर की ऊर्जा या आत्मा होती थी।
- बा (Ba): यह आत्मा का वह भाग था, जो परलोक में प्रवेश करता था ।
(i) न्याय का सिद्धांत (Weighing of the Heart)
मृत्यु के बाद आत्मा को ओसिरिस के न्यायालय में ले जाया जाता था । यहाँ मृतक के दिल को एक तराजू में रखा जाता था, दूसरी तरफ मात (Maat) (सत्य और न्याय की देवी) का पंख रखा जाता था । यदि दिल हल्का होता, तो आत्मा को परलोक (Field of Reeds) में प्रवेश मिलता। यदि दिल भारी होता, तो उसे अम्मित (Ammit) नामक दानव खा जाता और आत्मा नष्ट हो जाती ।
(ii) ममीकरण प्रक्रिया
शव को विशेष रसायनों से संरक्षित किया जाता और पट्टियों में लपेटा जाता था । ममी को ताबूत में रखा जाता था और साथ में भोजन, आभूषण और अन्य वस्तुएँ भी रखी जाती थीं।
5. धार्मिक जीवन का सामाजिक प्रभाव
- मिस्र का धर्म उनकी कला, साहित्य और स्थापत्य कला पर गहरा प्रभाव डालता था ।
- देवताओं से जुड़े मंदिर और स्मारक बनाए जाते थे।
- मृत्यु और पुनर्जन्म की मान्यता के कारण पिरामिडों और मकबरों का निर्माण किया गया ।
- धर्म ने फराओ की सत्ता को वैधता प्रदान की और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखा ।
मिस्रवासियों का धार्मिक जीवन उनकी संस्कृति और सभ्यता का आधार था। उनकी धार्मिक मान्यताएँ, अनुष्ठान और देवी-देवताओं की पूजा ने उनके समाज को गहराई से प्रभावित किया। मृत्यु के बाद जीवन की अवधारणा और ममीकरण जैसी परंपराएँ उनकी अनूठी संस्कृति को दर्शाती हैं। आज भी मिस्र के मंदिर, पिरामिड और ग्रंथ इस महान धार्मिक परंपरा की गवाही देते हैं ।
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