औपचारिक पत्र
प्रधानाचार्य, पदाधिकारियों, व्यापारियों, ग्राहक, पुस्तक विक्रेता, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं । औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता । इसमें शालीन भाषा तथा शिष्ट शैली का प्रयोग किया जाता है । औपचारिक पत्र के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र, शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, सम्पादकीय पत्र तथा आवेदन पत्र का वर्णन किया गया है ।
औपचारिक पत्र के भाग
1. पत्र भेजने वाले ( प्रेषक ) का पता औपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है। प्रेषक का पता बायीं ओर लिखा जाता है।
2. तिथि / दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस दिन की दिनांक लिखी जाती है।
3. पत्र प्राप्त करने वाले का पता दिनांक के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका पता, पद आदि का वर्णन किया जाता है।
4. विषय जिस सन्दर्भ में पत्र लिखा जा रहा है, उसे संक्षिप्त में विषय के रूप में लिखा जाता है।
5. सम्बोधन सभी औपचारिकताओं के बाद पत्र – प्राप्तकर्ता के लिए महोदय, महोदया, मान्यवर आदि सम्बोधन के रूप में लिखा जाता है।
6. विषय वस्तु सम्बोधन के पश्चात् पत्र की मूल विषय-वस्तु को लिखा जाता है। विषय-वस्तु में प्रत्येक बात के लिए अलग-अलग अनुच्छेदों का प्रयोग किया जाता है।
7. अभिवादन के साथ समाप्ति पत्र की समाप्ति पर पत्र प्राप्तकर्ता का अभिवादन किया जाता है।
8. स्वनिर्देश / अभिनिवेदन पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाले का नाम आदि का. वर्णन किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर हस्ताक्षर भी किए जाते हैं ।
औपचारिक पत्र के प्रकार
औपचारिक पत्रों के प्रकार –
- प्रार्थना-पत्र
- शिकायती पत्र
- व्यावसायिक पत्र
- सम्पादकीय पत्र
- आवेदन पत्र
औपचारिक पत्र के सम्बोधन , अभिवादन तथा अभिनिवेदन
पत्र के प्रकार | पत्र पाने वाले | सम्बोधन | स्वनिर्देश /अभिनिवेदन |
आवेदन पत्र /प्रार्थना पत्र | प्रधानाचार्य , सम्बंधित अधिकारी | महोदय , महोदया , मान्यवर | आपका ,कृपाकांक्षी , भवदीय |
शिकायती पत्र | सम्बंधित अधिकारी | महोदय ,महाशय | भवदीय |
कार्यालयी पत्र /सरकारी पत्र | सम्बंधित अधिकारी | मान्यवर , महोदय | भवदीय , विनीत |
सम्पादकीय पत्र | संपादक | महोदय | भवदीय |
व्यावसायिक पत्र | पुस्तक विक्रेता , बैंक प्रबंधक , व्यावसायिक संस्था | श्रीमान , महोदय | भवदीय , आपका |
प्रार्थना-पत्र
सामान्यतः स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा अपने अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्र प्रार्थना-पत्र की श्रेणी में आते हैं। छात्र-छात्राएँ अपने महाविद्यालय के प्राचार्य, विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, शिक्षा सचिव, शिक्षा मन्त्री को पत्र के माध्यम से अपनी तथा सामूहिक समस्याओं से अवगत कराते हैं।
• अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए प्रार्थना की गई हो ।
642, मुखर्जी नगर,
दिल्ली ।
दिनांक 21 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
रा.उ.मा. विद्यालय,
गणेशपुर,
रुड़की ।
विषय : कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र। महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम दसवीं कक्षा के छात्र यह अनुभव करते हैं कि आज के कम्प्यूटर युग में प्रत्येक व्यक्ति को कम्प्यूटर की जानकारी होनी चाहिए। हम देख भी रहे हैं कि दिनोंदिन कम्प्यूटर शिक्षा की माँग बढ़ती जा रही है। ऐसे में हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए भी कम्प्यूटर का ज्ञान होना अनिवार्य है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि कृपा करके हमारे विद्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा आरम्भ करें। हम आपके प्रति कृतज्ञ होंगे। आशा है, आप हमारे अनुरोध को स्वीकार करेंगे।
धन्यवाद ।
प्रार्थी
मुकेश , काजल , हितेश , हितान्शी
कक्षा दसवीं ‘अ’
• अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति प्राप्त कराने का आग्रह करते हुए प्रार्थना पत्र लिखिए ।
424, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 18 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
आदर्श माध्यमिक विद्यालय,
सिद्धार्थ नगर,
आगरा।
विषय : छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर
सविनय निवेदन यह है कि मैं दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं सदा विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता हूँ। पिछले कई वर्षों से मैं लगातार प्रथम आ रहा हूँ। इसके अतिरिक्त मैं भाषण – प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में कई बार विद्यालय के लिए जोनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर इनाम जीत कर लाया हूँ। खेल-कूद में भी मेरी गहन रूचि है। मैं स्कूल की क्रिकेट टीम का कप्तान भी हूँ। सभी अध्यापक मेरी प्रशंसा करते हैं।
मुझे अत्यन्त दु:ख के साथ आपको बताना पड़ रहा है कि मेरे पिताजी को एक असाध्य रोग ने आ घेरा है, जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। पिताजी स्कूल से मेरा नाम कटवाना चाहते हैं। वे मेरा मासिक-शुल्क देने में असमर्थ हैं।
मैंने अपनी पाठ्य-पुस्तकें तो खरीद ली हैं, लेकिन शेष व्यय के लिए आपसे नम्र निवेदन है कि मुझे तीन सौ रुपये मासिक की छात्रवृत्ति देने की कृपा करें, जिससे मैं अपनी पढ़ाई सुचारु रूप से चला सकूँ।
यह छात्रवृत्ति आपकी मेरे प्रति विशेष कृपा होगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं खूब मेहनत से पढूँगा और इस स्कूल का नाम रोशन करूँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
विशाल
कक्षा दसवीं
अनुक्रमांक-15
शिकायती पत्र
किसी विशेष कार्य, समस्या अथवा घटना की शिकायत करते हुए सम्बन्धित अधिकारी को लिखा गया पत्र ‘शिकायती पत्र’ कहलाता है। शिकायती पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। शिकायत हमेशा विनम्रता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए।
• माल प्राप्त न होने पर रेल विभाग के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
राज क्लॉथ एम्पोरियम,
नन्द नगरी, दिल्ली।
दिनांक 26-5-20XX
सेवा में,
मण्डल रेल प्रबन्धक,
दिल्ली रेल मण्डल, दिल्ली।
विषय: माल की प्राप्ति न होने के सम्बन्ध में।
महोदय,
हमने दिनांक 15 मई, 20XX को दिल्ली रेलवे स्टेशन स्थित पार्सल घर से चार बण्डल सूती कपड़ा मै. बजाज एण्ड कम्पनी, कानपुर को भेजने के लिए पैसेन्जर रेलगाड़ी से बुक करवाया था, जिसका R/R नं. 55/XX है। यह माल अभी तक अपने गन्तव्य तक नहीं पहुँचा है।
आपसे अनुरोध है कि कृपया जाँच-पड़ताल कर एक हफ्ते के अन्दर हमें यह बताएँ कि इस माल का क्या हुआ । यदि माल गलती से कहीं ओर पहुँच गया हो, तो माल को शीघ्रातिशीघ्र उक्त गंतव्य तक पहुँचाने की व्यवस्था करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर
(दीपक श्रीवास्तव)
प्रबन्धक
राज क्लॉथ एम्पोरियम
व्यावसायिक पत्र
आजकल व्यापार तथा व्यवसाय में काफी वृद्धि होने के कारण व्यावसायिक – पत्रों में भी वृद्धि होती जा रही है। दो व्यापारिक संस्थाओं अथवा व्यापारिक संस्था और ग्राहक के मध्य होने वाला पत्र-व्यवहार व्यावसायिक पत्राचार कहलाता है। व्यावसायिक पत्र – लेखन भी एक कला है, इसकी विशिष्ट शैली होती है। इन पत्रों में शिष्टता, सहजता, सहृदयता के दर्शन होते हैं। व्यापारिक पत्रों में सामान मँगवाने, उनकी जानकारी, शिकायतें तथा शिकायतों के निवारण जैसे विषय होते हैं।
आपको कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के व्यवस्थापक को सूचित करते हुए शीघ्र पुस्तक भिजवाने हेतु एक पत्र लिखिए |
19- कौशलपुरी, कानपुर।
दिनांक 15-5-20XX
सेवा में,
सर्वश्री व्यवस्थापक,
नागरी प्रचारिणी सभा,
वाराणसी (उ.प्र.)।
विषय : पुस्तकें मँगवाने हेतु ।
महोदय,
निवेदन है कि मुझे निम्नलिखित पुस्तकों की आवश्यकता है। कृपया इन्हें शीघ्र ही वी.पी. डाक द्वारा ऊपर लिखे पते पर भेज दें। वी.पी. आते ही छुड़ा ली जाएगी।
पुस्तक का नाम | लेखक | प्रतियाँ |
हिन्दी शब्दानुशासन | आचार्य किशोरीदास वाजपेयी | एक प्रति |
हिन्दी व्याकरण | पं. कामताप्रसाद गुरु | एक प्रति |
हिन्दी का सरल भाषा विज्ञान | गोपाल लाल खन्ना | एक प्रति |
चरित चर्चा और जीवन दर्शन | डॉ. सम्पूर्णानन्द | एक प्रति |
हिन्दी साहित्य का इतिहास | आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | एक प्रति |
सधन्यवाद ।
भवदीय
नन्द कुमार
सम्पादकीय — पत्र
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ हमारे ज्ञानवर्द्धन, बौद्धिक तुष्टि और मनोरंजन के साधन हैं। इनमें हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित अनेक सूचनाएँ, विज्ञापन और सुझाव भी प्रकाशित होते रहते हैं। हमें लेख, कविता और कहानी आदि प्रकाशित कराने, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं को प्रकाशित कराकर जन-जन तक पहुँचाने के लिए सम्पादक से सम्पर्क करना पड़ता है। इसके लिए हमें समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखना पड़ता है, ऐसे पत्र सम्पादकीय-पत्र कहलाते हैं। ऐसे पत्र एक विशिष्ट शैली में लिखे जाते हैं। यह पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं, जबकि मुख्य विषय-वस्तु जन सामान्य को लक्षित करके लिखा जाता है।
• अपने शहर में उत्पन्न पानी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए ।
12, पन्त सदन, ढूँगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 15-1-20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक ‘स्वतन्त्र भारत’
विधानसभा मार्ग,
लखनऊ (उ.प्र.)।
विषय: अल्मोड़ा में पानी की समस्या ।
महोदय,
आपके दैनिक समाचार-पत्र में ‘अल्मोड़ा में पानी की समस्या’ पर अपने विचार प्रकाशनार्थ भेज रहा हूँ। आशा है आप इसे प्रकाशित कर हमें अनुगृहीत करेंगे। पिछले दो सप्ताह से यहाँ पानी की बड़ी समस्या हो गई है। नलों में पानी नहीं आता है। यदि आता भी है तो बहुत कम मात्रा में आता है। एक बाल्टी पानी के लिए काफ़ी समय बर्बाद हो जाता है।
स्रोतों पर बड़ी भीड़ होती है, पानी की पूर्ति न होने से घण्टों इन्तज़ार करना पड़ता है। आजकल अल्मोड़ा में ऐसा लग रहा है जैसे पानी का अकाल पड़ गया हो। जल विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क करने पर कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। कर्मचारी बात को लापरवाही से टाल देते हैं।
अत: अधिकारी वर्ग से निवेदन है कि नगरवासियों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की उचित व्यवस्था कराने की कृपा करें, जिससे समय पर पानी मिल सके।
भवदीय
मुकेश श्रीवास्तव
आवेदन-पत्र
आवेदन-पत्र किसी फर्म-अधिकारी या किसी मन्त्रालय, विभाग या कार्यालय के अधिकारी को लिखे जाते हैं। स्कूल अथवा कॉलेज के प्रबन्धक अथवा प्रधानाचार्य को लिखे गए पत्र भी आवेदन पत्र कहलाते हैं। चूँकि, आवेदन-पत्र अधिकारियों को लिखे जाते हैं। अतः इन्हें ‘आधिकारिक – पत्र’ भी कहा जाता है। आवेदन-पत्रों का प्रारूप अन्य पत्रों से भिन्न होता है।
• दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में पुस्तकालय सहायक के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
508 इंदिरा विकास कालोनी,
दिल्ली।
दिनांक 25 मार्च, 20XX
सेवा में,
निदेशक महोदय,
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी,
टाउन हाल, चाँदनी चौक, नई दिल्ली।
विषय : पुस्तकालय सहायक पद हेतु आवेदन-पत्र ।
महोदय,
दिनांक 24 मार्च, 20XX के दैनिक समाचार-पत्र ‘ हिन्दुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि आपके प्रतिष्ठित पुस्तकालय संस्थान में सहायक का एक पद रिक्त है। इस पद हेतु मैं अपना जीवन-वृत्त आपको भेज रही हूँ। मेरा विवरण निम्नलिखित है
नाम : अर्चना गुप्ता
पिता का नाम : श्री विकास गुप्ता
जन्म तिथि : 27 नवम्बर, 19XX
जन्म-स्थान : बी 16/1, इन्दिरा विकास कालोनी, दिल्ली- 110009
शैक्षणिक योग्यताएँ
1. हाईस्कूल केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 2005 50%
2. इण्टरमीडिएट केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 2007 65%
3. स्नातक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय 2009 55%
कार्यानुभव
गत तीन वर्ष से ज्योति मॉडल स्कूल आदर्श नगर, दिल्ली में पुस्तकालय सहायक के पद पर कार्यरत हूँ।
मुझे विश्वास है, आप मुझे एक बार सेवा का सुअवसर अवश्य प्रदान करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीया
हस्ताक्षर…..
अर्चना गुप्ता