स्रोतों का सर्वेक्षण : प्रारंभिक और मध्यकालीन विश्व सभ्यता

स्रोतों का सर्वेक्षण : प्रारंभिक और मध्यकालीन विश्व सभ्यता

प्रारंभिक और मध्यकालीन विश्व सभ्यताओं का अध्ययन विभिन्न पुरातात्त्विक (Archaeological) और साहित्यिक (Literary) स्रोतों के माध्यम से किया जाता है । ये स्रोत हमें उन सभ्यताओं की राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था, धर्म, संस्कृति और तकनीकी विकास की जानकारी प्रदान करते हैं ।

 

मिस्र सभ्यता स्रोतों का सर्वेक्षण

मिस्र सभ्यता (Egyptian Civilization) विश्व की सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण सभ्यताओं में से एक है, जिसका विकास नील नदी के किनारे हुआ था । इस सभ्यता के अध्ययन के लिए विभिन्न स्रोत उपलब्ध हैं, जिन्हें मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है—पुरातात्त्विक स्रोत और साहित्यिक स्रोत

  1. पुरातात्त्विक स्रोत (Archaeological Sources)

मिस्र सभ्यता के अवशेषों और स्मारकों से हमें इस संस्कृति की राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संरचना की जानकारी मिलती है।

(i) पिरामिड और मकबरे (Pyramids and Tombs)

  • गीज़ा के महान पिरामिड (Great Pyramid of Giza)
  • राजाओं की घाटी (Valley of the Kings)
  • स्फिंक्स (Sphinx)
    ये स्मारक मिस्र के शासकों की शक्ति, धार्मिक विश्वासों और स्थापत्य कला के बारे में जानकारी देते हैं ।

(ii) मंदिर (Temples)

  • कर्णक मंदिर (Karnak Temple)
  • लक्सर मंदिर (Luxor Temple)
  • अबू सिम्बेल मंदिर (Abu Simbel Temple)
    ये मंदिर मिस्र के धार्मिक जीवन, देवताओं की पूजा और शासकों की महिमा को दर्शाते हैं ।

(iii) चित्रलिपि और शिलालेख (Hieroglyphs and Inscriptions)

मिस्र की चित्रलिपि (Hieroglyphs) को मंदिरों, समाधियों और पपीरस पर अंकित किया गया था । रोसेटा स्टोन (Rosetta Stone) एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिससे इस लिपि को समझा गया ।

 

  1. साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)

मिस्र सभ्यता की जानकारी हमें विभिन्न ग्रंथों और लिखित सामग्रियों से भी मिलती है।

(i) प्रशासनिक और धार्मिक ग्रंथ

  • डेड सी स्क्रॉल्स (Dead Sea Scrolls)
  • बुक ऑफ द डेड (Book of the Dead)
  • मिस्री धर्मग्रंथ (Egyptian Religious Texts)
    ये ग्रंथ धार्मिक मान्यताओं, मृत्यु के बाद जीवन की अवधारणा और अनुष्ठानों की जानकारी देते हैं।

(ii) राजकीय अभिलेख (Royal Records)

  • शासकों द्वारा लिखवाए गए अभिलेख
  • युद्ध अभियानों और प्रशासनिक सुधारों के लेख
    ये अभिलेख शासकों की विजय, शासन प्रणाली और समाज में सत्ता की स्थिति को समझने में सहायक हैं ।

(iii) यात्रियों और इतिहासकारों के विवरण

  • यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस ने मिस्र सभ्यता का वर्णन किया था ।
  • अन्य यूनानी और रोमन लेखकों के वृत्तांत भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

 

मिस्र सभ्यता का अध्ययन पुरातात्त्विक और साहित्यिक स्रोतों के माध्यम से किया जाता है । पिरामिड, मंदिर, चित्रलिपि, राजकीय अभिलेख और धार्मिक ग्रंथ इस सभ्यता के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं ।

 

सुमेर सभ्यता के साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य

सुमेर सभ्यता (लगभग 4500-1900 ईसा पूर्व) मेसोपोटामिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक थी। इसके साहित्यिक और पुरातात्विक साक्ष्य सभ्यता की उन्नत सांस्कृतिक, धार्मिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था को दर्शाते हैं।

साहित्यिक साक्ष्य

सुमेर निवासियों ने पहली लेखन पद्धति क्यूनिफॉर्म लिपि / किलाक्षर लिपि  विकसित की, जिसे गीली मिट्टी की तख्तियों पर लिखकर संरक्षित किया गया । धार्मिक ग्रंथ, प्रशासनिक अभिलेख, व्यापारिक दस्तावेज़, तथा विश्व की प्रथम महाकाव्य कृति “गिलगमेश महाकाव्य” इसी लिपि में लिखी गई थी । इसके अलावा, कानूनी संहिताएँ, जैसे उर-नम्मू संहिता, तत्कालीन न्याय व्यवस्था की झलक देती हैं।

पुरातात्विक साक्ष्य

सुमेर सभ्यता के प्रमुख पुरातात्विक स्थल ऊर, उरुक, लागाश एवं निप्पुर हैं, जहाँ से मंदिर (जिगुरात), मिट्टी के बर्तन, शिल्पकृतियाँ एवं मोहरें प्राप्त हुई हैं। ऊर का जिगुरात उनकी धार्मिक आस्थाओं को दर्शाता है । खुदाई में मिले शाही कब्रिस्तान और धातु व पत्थर की मूर्तियाँ उनके समृद्ध कला व शिल्पकौशल के प्रमाण हैं ।

इन साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों से सुमेर की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक स्थिति का व्यापक ज्ञान मिलता है ।

 

बेबीलोन सभ्यता के साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य

बेबीलोन सभ्यता (मेसोपोटामिया) अपने समृद्ध साहित्य और पुरातात्विक अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है । इसका साहित्यिक साक्ष्य मुख्य रूप से मिट्टी की पट्टिकाओं पर पाई जाने वाली सुमेरियन एवं अक्कादी भाषा में लिखित क्यूनिफॉर्म लिपि / किलाक्षर लिपि  में संरक्षित है । इनमें सबसे प्रमुख ग्रंथ गिलगमेश महाकाव्य है, जिसे विश्व की पहली महाकाव्य रचना माना जाता है। इसके अलावा, हम्मुराबी संहिता, जो दुनिया की सबसे पुरानी विधि संहिताओं में से एक है, कानूनी, सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्थाओं की झलक प्रदान करती है ।

पुरातात्विक साक्ष्यों में बेबीलोन नगर के भग्नावशेष, प्रसिद्ध ईश्तर द्वार, जिग्गुरात (सीढ़ीदार मंदिर), और टावर ऑफ बेबीलोन (बेबीलोन की मीनार) शामिल हैं । निनेवह और उर नगरों में मिली पट्टिकाएँ, व्यापार, शासन, धर्म और खगोलशास्त्र से जुड़ी जानकारी देती हैं। बेबीलोन की लटकती हुई बाग़ीचे, जिसे विश्व के सात प्राचीन आश्चर्यों में गिना जाता है, भी इसी सभ्यता की उन्नति दर्शाते हैं । ये साक्ष्य बेबीलोन की उच्च विकसित संस्कृति, ज्ञान और प्रशासनिक क्षमता को दर्शाते हैं ।

 

 असीरिया सभ्यता के साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य

साहित्यिक साक्ष्य

असीरियाई साहित्य मुख्यतः अक्कादी भाषा में लिखा गया था और इसका अधिकांश भाग क्यूनिफॉर्म लिपि में मिट्टी की तख्तियों पर अंकित है । निनवे में स्थित राजा अश्शुरबनीपाल (7वीं सदी ईसा पूर्व) की विशाल ग्रंथालय से हजारों तख्तियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें गिलगमेश महाकाव्य, प्रशासनिक अभिलेख, धार्मिक ग्रंथ, चिकित्सा, खगोलशास्त्र और ऐतिहासिक विवरण शामिल हैं।

पुरातात्विक साक्ष्य

असीरिया की राजधानी निनवे, अर्बीला और अश्शुर में खुदाई से भव्य महल, भित्तिचित्र, मूर्तियाँ, स्तंभ लेख, शिलालेख और युद्ध दृश्यों के चित्र मिले हैं। ये साक्ष्य असीरियाई कला, संस्कृति और उनके सैन्य अभियानों की जानकारी देते हैं।

 

चीन की सभ्यता के साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य

चीन की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और उन्नत सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। इसके साहित्यिक और पुरातात्विक साक्ष्य हमें इसके सामाजिक, धार्मिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक विकास की विस्तृत जानकारी देते हैं।

  1. साहित्यिक साक्ष्य

चीन की प्राचीन लेखन प्रणाली ऑरेकल बोन स्क्रिप्ट (शांग राजवंश, 1600-1046 ईसा पूर्व) में मिलती है, जो पशुओं की हड्डियों और कछुओं के कवच पर अंकित थी । झोउ राजवंश (1046-256 ईसा पूर्व) में दार्शनिक और ऐतिहासिक ग्रंथों की रचना हुई, जैसे “आई चिंग” (बुक ऑफ चेंजेस), “शु चिंग” (बुक ऑफ हिस्ट्री) और “शि चिंग” (बुक ऑफ पोएट्री)। कन्फ्यूशियस (551-479 ईसा पूर्व) द्वारा “लुनयू” (एनालेक्ट्स) लिखा गया, जो नैतिकता और राजनीति पर आधारित था । ताओवाद से जुड़े “ताओ ते चिंग” और बौद्ध धर्मग्रंथ हान राजवंश (206 ईसा पूर्व – 220 ईस्वी) के दौरान महत्वपूर्ण बने।

  1. पुरातात्विक साक्ष्य

पुरातत्वविदों ने चीन में कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं, जैसे टेरीकोटा सेना (सम्राट किन शी हुआंग का मकबरा), ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, हान राजवंश के चित्रित मकबरे, कांस्य पात्र, तथा डुनहुआंग गुफाएँ, जिनमें बौद्ध कला और संस्कृति के प्रमाण मिलते हैं। ये साक्ष्य चीन की स्थापत्य कला, धार्मिक परंपराओं और सैन्य शक्ति को दर्शाते हैं।

                    चीन की सभ्यता के साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य इसके दार्शनिक विचारों, प्रशासनिक कुशलता और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रमाणित करते हैं।

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