स्वास्थ्य में योग के महत्व का वर्णन करें |

प्रश्न : स्वास्थ्य में योग के महत्व का वर्णन करें |

उत्तर : योग भारत की प्राचीनतम और सबसे प्रभावशाली जीवनशैली पद्धतियों में से एक है। संस्कृत में “योग” शब्द का अर्थ है — “जुड़ना” या “एकता”। अर्थात् योग वह साधना है जो शरीर, मन और आत्मा को एकता के सूत्र में बांधती है। योग न केवल शारीरिक व्यायाम है, बल्कि यह मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी संतुलित करता है। आज के समय में जब मानव तनाव, रोग और असंतुलित जीवनशैली से ग्रसित है, तब योग स्वास्थ्य का सबसे विश्वसनीय साधन बन गया है।

योग का ऐतिहासिक आधार: योग की उत्पत्ति भारत में हजारों वर्ष पूर्व हुई। इसका उल्लेख वेदों, उपनिषदों और भगवद्गीता में मिलता है। महर्षि पतंजलि को योग का प्रवर्तक माना जाता है, जिन्होंने “योग सूत्र” नामक ग्रंथ की रचना की। पतंजलि के अनुसार — “योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः” अर्थात् योग मन की चंचल वृत्तियों को रोकने की क्रिया है। यह परिभाषा बताती है कि योग मानसिक शांति और आत्मनियंत्रण का मार्ग है।

योग और शारीरिक स्वास्थ्य: योग के नियमित अभ्यास से शरीर सशक्त, लचीला और ऊर्जावान बनता है। आसन, प्राणायाम और ध्यान जैसी योग क्रियाएँ शरीर के प्रत्येक अंग को सक्रिय करती हैं।

  • योग से रक्त संचार ठीक रहता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
  • यह पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र और स्नायु तंत्र को मजबूत बनाता है।
  • नियमित योगाभ्यास मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, जोड़ों के दर्द और हृदय रोग जैसी बीमारियों को नियंत्रित करता है।
  • सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, त्रिकोणासन, ताड़ासन, और पद्मासन जैसे आसन शरीर को संतुलित और सुदृढ़ बनाते हैं।

योग और मानसिक स्वास्थ्य: योग केवल शरीर का नहीं, बल्कि मन का भी उपचार है। ध्यान (Meditation) और प्राणायाम (Breathing Exercises) मन को शांति प्रदान करते हैं और तनाव, चिंता व अवसाद को दूर करते हैं।

  • योग से एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • यह नींद की गुणवत्ता सुधारता है और मन को सकारात्मक बनाता है।
  • योग आत्म-नियंत्रण, धैर्य और संतुलन का अभ्यास कराता है, जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी शांत रह पाता है।

योग और आध्यात्मिक स्वास्थ्य: योग व्यक्ति को आत्म-चेतना की ओर ले जाता है। इसके अभ्यास से व्यक्ति अपने भीतर की शांति को अनुभव करता है और ईश्वर से जुड़ाव महसूस करता है। योग का अंतिम लक्ष्य “मोक्ष” अर्थात् आत्मा और परमात्मा का मिलन माना गया है।

आधुनिक समय में योग का महत्व: आज के युग में अस्वस्थ जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण और मानसिक दबावों के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। योग एक ऐसी प्राकृतिक चिकित्सा है जो बिना किसी दवा के शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखती है। इसी कारण 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” मनाया जाता है, जिससे विश्वभर में योग के महत्व को पहचान मिली है।

निष्कर्ष: योग स्वास्थ्य का ऐसा साधन है जो शरीर, मन और आत्मा – तीनों को संतुलित रखता है। यह हमें केवल रोगमुक्त नहीं बनाता, बल्कि संपूर्ण रूप से स्वस्थ, शांत और सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, जो आज संपूर्ण विश्व को स्वस्थता और शांति की दिशा में मार्गदर्शन कर रही है। इसलिए कहा गया है —
“योगः कर्मसु कौशलम्” — अर्थात् योग जीवन के प्रत्येक कार्य में कुशलता और संतुलन का नाम है।


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