प्रश्न : प्राचीन भारतीय चिकित्साशास्त्र ( आयुर्वेद ) पर प्रकाश डालें |अथवा प्राकृतिक चिकित्सा से आप क्या समझते है ?
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है, जिसने मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना विशिष्ट योगदान दिया। चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी देन “आयुर्वेद” है। आयुर्वेद शब्द का अर्थ है – “आयुः” अर्थात जीवन और “वेद” अर्थात ज्ञान । इस प्रकार आयुर्वेद का अर्थ है “जीवन का विज्ञान”। यह केवल रोगों का उपचार नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने की एक पूर्ण पद्धति है।
- आयुर्वेद की उत्पत्ति और विकास : आयुर्वेद की उत्पत्ति वेदों से मानी जाती है। अथर्ववेद को इसका मूल स्रोत कहा जाता है, जिसमें अनेक औषधीय पौधों और उपचार विधियों का वर्णन मिलता है। आगे चलकर महर्षि चरक और सुश्रुत जैसे महान विद्वानों ने इसे वैज्ञानिक रूप प्रदान किया। चरक ने “चरक संहिता” और सुश्रुत ने “सुश्रुत संहिता” नामक प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की, जो आज भी आयुर्वेद के आधार स्तंभ माने जाते हैं।
- चरक संहिता का योगदान : चरक संहिता में शरीर की प्रकृति, आहार-विहार, औषधियाँ, रोगों के प्रकार और उनके उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई है। चरक का मानना था कि “रोग का कारण शरीर में असंतुलन है और संतुलन ही स्वास्थ्य है।” उन्होंने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को समान महत्व दिया। चरक ने कहा कि आहार ही औषधि है और सही जीवनशैली से ही दीर्घायु प्राप्त की जा सकती है।
- सुश्रुत संहिता का योगदान : सुश्रुत को “शल्य चिकित्सा का जनक” कहा जाता है। उनके ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की लगभग 300 प्रकार की शल्य क्रियाओं और 120 से अधिक शल्य उपकरणों का उल्लेख है। उन्होंने नाक, कान और शरीर के अन्य भागों की पुनर्निर्माण सर्जरी (Plastic Surgery) की विधियाँ भी बताईं। यह दर्शाता है कि प्राचीन भारत में चिकित्सा विज्ञान अत्यंत उन्नत स्तर पर था।
- आयुर्वेद के मूल सिद्धांत : आयुर्वेद के अनुसार शरीर तीन दोषों – वात, पित्त और कफ – से बना है। जब ये तीनों संतुलित रहते हैं तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है, और असंतुलन की स्थिति में रोग उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद का उद्देश्य इस संतुलन को बनाए रखना है। इसमें औषधि उपचार के साथ-साथ आहार, योग, ध्यान, पंचकर्म और जीवनशैली सुधार को भी महत्वपूर्ण माना गया है।
- औषधि विज्ञान :आयुर्वेद में औषधियों का ज्ञान बहुत विस्तृत है। इसमें पौधों, धातुओं, खनिजों और पशु उत्पादों से बनी औषधियों का वर्णन मिलता है। आयुर्वेदिक औषधियाँ शरीर को बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करने में सक्षम होती हैं, क्योंकि वे प्राकृतिक तत्वों से बनी होती हैं।
- आधुनिक युग में आयुर्वेद का महत्व : आज जब आधुनिक चिकित्सा पद्धति दुष्प्रभावों और महंगे उपचारों से जूझ रही है, तब आयुर्वेद फिर से लोकप्रिय हो रहा है। भारत सरकार ने “आयुष मंत्रालय” की स्थापना कर इस प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी आयुर्वेद को मान्यता दी है।
निष्कर्ष : आयुर्वेद केवल चिकित्सा का विज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाता है कि स्वस्थ जीवन केवल औषधियों से नहीं, बल्कि सही सोच, सही आहार और संतुलित दिनचर्या से संभव है। प्राचीन भारतीय चिकित्साशास्त्र ने न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता को स्वास्थ्य, संतुलन और प्राकृतिक जीवन का संदेश दिया है। इसलिए आयुर्वेद भारतीय ज्ञान परंपरा की अमूल्य धरोहर है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी हजारों वर्ष पहले थी।
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