प्रश्न- लय किसे कहते है? लय और लयकारी में क्या अंतर है?
उत्तर- लय संगीत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। सरल शब्दों में, लय उस नियमित गति या ताल को कहते हैं, जिसके आधार पर संगीत की सारी धुनें, बोल, ताल, नृत्य और वाद्य संचालन व्यवस्थित होते हैं। लय वह प्राकृतिक प्रवाह है जो स्वर और ताल को संतुलित रखता है। जैसे हमारे हृदय की धड़कन एक निश्चित गति से चलती है, उसी प्रकार संगीत में लय एक निश्चित चाल से आगे बढ़ती है। लय के बिना संगीत अव्यवस्थित, असंगत और बेसुरा हो जाता है। लय संगीत को जीवंतता, गति और सौंदर्य प्रदान करती है।
संगीत में लय मुख्य रूप से तीन प्रकार की मानी जाती है—
1. विलंबित लय: बहुत धीमी गति, जिसमें संगीत गंभीर और विस्तृत लगता है।
2. मध्य लय: सामान्य गति, जो अधिकतर गायन में उपयोग होती है।
3. द्रुत लय: तेज गति, जिसमें उत्साह, जोश और मनोरंजन की भावना अधिक रहती है।
इन तीनों गतियों के आधार पर ही गायन, वादन और नृत्य का स्वरूप बदलता रहता है। कलाकार रचना की भाव-भंगिमा और प्रकृति को देखते हुए लय का चुनाव करता है।
अब बात करते हैं लयकारी की। लयकारी का अर्थ है—लय में रहकर ताल को विविध रूपों में सजाना, संवारना और उसका कलात्मक संचालन करना। यानी लय तो गति है, लेकिन लयकारी उसी गति के भीतर ताल की सूक्ष्म गणनाओं, तोड़ों और प्रस्तुतियों को सुंदर तरीके से निभाना है। उदाहरण के लिए, एक ताल को एक ही लय में रहकर विभिन्न मात्राओं में बाँटना, दोगुन, तिगुन, चौगुन करना या ताल की विभिन्न गतियों का प्रयोग करना—ये सब लयकारी कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि एक ताल 16 मात्राओं की है, तो कलाकार उसी ताल को कभी दोगुन (दो-दो मात्रा में), कभी तिगुन, कभी चौगुन में प्रस्तुत कर सकता है। इसे ही लयकारी कहा जाता है। यह सामान्य गति में भी हो सकती है और तेज गति में भी, लेकिन कलाकार को हमेशा मुख्य लय में ही रहना होता है।
लय और लयकारी में अंतर
- लय संगीत की गति है, जबकि लयकारी लय के भीतर ताल का कलात्मक खेल है।
- लय स्वाभाविक और स्थिर रहती है, पर लयकारी बदलती रहती है और कलाकार की रचनात्मकता पर निर्भर होती है।
- लय संगीत की आधारभूमि है, जबकि लयकारी उस आधारभूमि को सजाती-संवारती है।
- लय उपकरणों जैसे मेट्रोनोम, ताल या धड़कन की तरह नियमित होती है, जबकि लयकारी उसे विभिन्न रूपों में प्रस्तुत करती है।
- लय को सभी संगीतज्ञ समान रूप से निभाते हैं, लेकिन लयकारी केवल दक्ष, अभ्यासशील और रचनात्मक कलाकार ही सुन्दर ढंग से कर पाते हैं।
इस प्रकार, लय और लयकारी दोनों संगीत के महत्वपूर्ण अंग हैं। लय संगीत को आधार देती है और लयकारी उसे सुन्दर, प्रभावशाली और कलात्मक रूप प्रदान करती है। दोनों के बिना संगीत अधूरा माना जाता है।