प्रश्न- संगीत की उत्पत्ति पर प्रकाश डालें |
उत्तर- संगीत मानव जीवन की सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण कलाओं में से एक है। इसकी उत्पत्ति मनुष्य के अस्तित्व और उसकी प्राकृतिक संवेदनाओं से जुड़ी मानी जाती है। आदिकाल से मानव अपने आसपास की ध्वनियों—पक्षियों की चहचहाहट, हवा की सरसराहट, जल का कलकल प्रवाह, बादलों की गर्जना—से प्रभावित होता आया है। इन्हीं प्राकृतिक ध्वनियों ने मनुष्य को पहली बार संगीत की अनुभूति कराई। धीरे-धीरे उसने ध्वनियों में अंतर समझा और उन्हें सुरीले रूप में गढ़ना शुरू किया। यही प्रक्रिया आगे चलकर संगीत की उत्पत्ति का आधार बनी।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भारतीय संस्कृति में संगीत को दैवीय कला माना गया है। वेदों में संगीत का उल्लेख मिलता है। सामवेद को संगीत का मूल वेद कहा जाता है, क्योंकि इसमें मंत्रों को स्वर और छंद के साथ गाया जाता था। सामवेद के मंत्रों को गाने की विशेष पद्धति ने भारतीय संगीत को स्वर, लय और ताल का स्वरूप प्रदान किया। इस प्रकार वेदकाल में संगीत आध्यात्मिक, धार्मिक तथा सामाजिक सभी जीवन क्षेत्रों से जुड़ा था।
दूसरी ओर, मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ संगीत ने व्यावहारिक रूप भी ग्रहण किया। प्रारंभ में मनुष्य ने पत्थरों, लकड़ियों, हड्डियों और मिट्टी के बर्तनों पर प्रहार करके ध्वनियाँ उत्पन्न कीं, जिससे तालवाद्य का जन्म हुआ। बाद में उसने तारों का उपयोग करके वीणा जैसे वाद्य बनाए, जिनसे मधुर स्वर निकलते थे। इस प्रकार वाद्य संगीत भी विकसित हुआ।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में नाद को संगीत की आधारशिला माना गया है। नाद से ही स्वर बनता है और स्वर से संगीत। नाद दो प्रकार का होता है—आहत और अनाहत। आहत नाद वह है जो किसी वस्तु के टकराने से उत्पन्न होता है, जबकि अनाहत नाद मन की गहराई में महसूस किया जाता है। प्राचीन ऋषियों ने ध्यान और साधना के माध्यम से अनाहत नाद की अनुभूति की, जिससे आध्यात्मिक संगीत की परंपरा विकसित हुई।
समय के साथ संगीत ने विभिन्न रूपों—भक्ति संगीत, लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत, नृत्य संगीत—में विकास किया। विभिन्न क्षेत्रों की भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं ने संगीत को अलग–अलग शैली प्रदान की। भारत में हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत दो प्रमुख धाराएँ बनीं, जिनके अपने राग, वाद्य और गायन पद्धतियाँ हैं।
लोकपरंपरा ने भी संगीत की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ग्रामीण जीवन, खेती, त्योहार, विवाह, ऋतुएँ—इन सबके साथ लोकगीत स्वाभाविक रूप से जुड़े और संगीत जन–जन तक पहुँचा।
निष्कर्षत: संगीत की उत्पत्ति प्रकृति, मनुष्य की भावनाओं, धार्मिक आस्था और सामाजिक जीवन के समन्वय से हुई। प्राकृतिक ध्वनियों और मानव अभिव्यक्ति के मेल से संगीत विकसित हुआ और आज यह मानव जीवन की अनमोल धरोहर बन चुका है।
प्रश्न उत्तर समाप्त
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