बागाती कृषि से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का वर्णन करें। PDF Download

प्रस्तावना (Introduction) : बागाती कृषि एक प्रकार का कृषि करने का तरीका है जिसमें एक बार फसल उगा लेने के बाद कई वर्ष तक उत्पादन प्राप्त किया जाता है। 

इसकी मुख्य फसलें चाय, रबर एवं कहवा होते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने गन्ने को भी बागात कृषि माना है क्योंकि एक बार बोने पर दो से दस वर्ष तक इसका उत्पादन होता है। 

विशेषताएँ (Characteristics) : इस खेती की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है : 

1. इसमें फसले प्राय: पेड़ों में- जैसे- रबड़, झाड़ियों में, जैसे चाय एवं कहवा होती है। इन सभी को एक बार उगा देने पर कई वर्षों तक उत्पादन होता है। 

2. यह कृषि क्षेत्र के एक छोटे भाग पर होती है। 

3. इसमें विशिष्टीकरण पाया जाता है जिसमें एक क्षेत्र में एक-दो फसलों का ही उत्पादन किया जाता है।

4. यह खेती बड़े फामों (Farms) पर होती है। इसमें कार्यालय, निवास गृह, कच्चे माल से पक्का माल बनाने के कारखाने, जैसे- रबड़ जमाने के सयंत्र, कॉफी पीसने के संयंत्र तथा पैकिंग के कारखाने लगे होते हैं। 

5. इसका उत्पादन मुख्य रूप से निर्यात के लिए होता है। 

6. इसमें पर्याप्त पूँजी तथा कुशल श्रमिकों (workers) की अधिक संख्या में जरूरत होती है। 

7. इसकी खेती ऊष्ण तथा उपोष्ण प्रदेशों में होती है जबकि इसकी खपत के अधिकांश क्षेत्र शीतोष्ण कटिबंध में स्थित होते हैं। 

8. इस खेती के लिए विकसित परिवहन की जरूरत होती है। 

निष्कर्ष (Conclusion ) : उपर्युक्त अध्ययन से पता चलता है कि बागाती कृषि एक प्रकार की खेती है जिसमें एक बार फसल लगाने पर उत्पादन कई सालों तक होता रहता है। 


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