BA 1st Semester Indian Ancient History MJC Unit 2 Short Question Answer PDF Download
Q.23. महाजनपद से आप क्या समझते हैं ?
Ans. ऐसा क्षेत्र जिसपर कई जन यानी लोग, समूह या जनजाति अपना पाँव रखते हैं यानी स्थायी तौर से वहाँ बस जाते हैं, उस क्षेत्र को जनपद कहते हैं। छठी सदी में कई समूहों ने मिलकर जनपद स्थापित किया था जो आगे चलकर महाजनपद बने थे। अधिकांश महाजनपदों में राजा का शासन होता था । कहीं-कहीं कुलीनतांत्रिक व्यवस्था भी थी । प्रत्येक महाजनपद की अपनी राजधानी होती थी और अधिकांश राजधानियाँ किले से घिरी थीं। ये राजधानियाँ जनपद की तुलना में बड़ी होती थीं।
Q.24. छठी सदी के भारतीय इतिहास की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालें ।
Ans. इस सदी में महाजनपदों का उत्कर्ष हुआ, मगध साम्राज्यवाद, मौर्य प्रशासन तथा राजतंत्रवाद का विकास हुआ था। इस काल में समाजिक वर्गभेद, समाज में बदलाव हुआ था । कृषि का विकास, शिल्प-उद्योग तथा वाणिज्य – व्यापार में वृद्धि से आर्थिक जीवन में बदलाव हुआ था। लोहे का प्रयोग, ताँबा तथा सोने के सिक्के का प्रचलन हुआ था । विदेशी संपर्क स्थापित हुआ। साथ में उत्तर भारत में अनेक विदेशी आक्रमण हुए। इस सदी में बौद्ध तथा जैन धर्म के उदय से धार्मिक विचारधारा में परिवर्तन हुए। इस सदी की विभिन्न साहित्यिक रचनाएँ, अभिलेख तथा सिक्कों का प्रचलन इतिहास के प्रमुख स्रोत हुए। इस सदी में दूसरा में नगरीकरण एक महत्वपूर्ण घटना थी ।
Q.25. मगध के उत्कर्ष (Rise of Magadha) में विभिन्न शासकों के योगदान को लिखें।
Ans. महाभारत तथा पुराणों के अनुसार वृहद्रथ ने मगध की स्थापना की थी। इसका उत्कर्ष राजा बिंबिसार के समय में हुआ था। उसने कूटनीति तथा वैवाहिक संबंधों से मगध का विस्तार किया था। उसने अंग को पराजित कर मगध में मिलाया था। उसके पुत्र अजातशत्रु ने वैशाली को हराकर मगध में मिलाया था। शिशुनाग ने अवंति को पराजित किया था। नंदवंश के समय मगध का सर्वाधिक विस्तार हुआ था तथा मगध एक साम्राज्य बन गया था।
Q.26. मगध साम्राज्य के उदय के कारण बताइये ।
Ans. छठी शताब्दी ई. पू. में मगध एक महाजनपद था। चौथी शताब्दी ई. पू. तक इसकी शक्ति काफी बढ़ गयी। इसने छल-बल से कौशल, अवन्ति और वत्स को जीतकर एक विशाल साम्राज्य कायम कर लिया। इस नवीन साम्राज्यवादी शक्ति के उत्थान में निम्नलिखित परिस्थितियों ने योग दिया-
(i) मगध में खनिज पदार्थों की प्रचुरता थी । यहाँ लोहा मिलता था जिससे युद्ध- हथियार बनाए जाते थे। यह सुविधा अन्य राज्यों को प्राप्त नहीं थी ।
(ii) मगध भारत के विशाल तटवर्ती मैदानों के ऊपरी और निचले भागों के मध्य अति सुरक्षित स्थान था । उन दिनों राजधानी पर घेरा डालना एक दुष्कर कार्य था।
(iii) यहाँ की भूमि अत्यन्त उर्वरा थी तथा उद्योग-धन्धे विकसित थे । यह साम्राज्य आर्थिक दृष्टिकोण से काफी सम्पन्न था।
(iv) पाँचवीं शताब्दी में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र थी। यह गंगा, गंडक और सोन के संगम पर बसा हुआ था। इससे इसका सामरिक महत्व काफी था । अतः पाटलिपुत्र जलदुर्ग की तरह था और इस पर कब्जा करना कठिन था।
(v) मगध के राजाओं ने शहरों के उदय और सिक्कों के प्रचलन का भी लाभ उठाया।
(vi) सैन्य संगठन में मगध को विशेष सुविधाएँ प्राप्त थीं। मगध साम्राज्य की सेना का एक प्रमुख अंग हस्ति – सेना थी। यूनानी स्रोत के आधार पर हम जानते हैं कि नन्द की सेना में 6 हजार हाथी थे।
उपर्युक्त कारणों से ही मगध साम्राज्य का उत्कर्ष हुआ था।
Q.27. बिम्बसार के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए ।
Ans. बिम्बसार ने अपने राज्य का विस्तार वैवाहिक सम्बन्धों द्वारा, मित्रता द्वारा व विजयों द्वारा अत्यधिक कर लिया था। डॉ. आर. एस. त्रिपाठी का मानना है कि अनेक अन्य प्रदेश भी बिम्बसार के शासनकाल में ही मगध साम्राज्य के अधीन हुए। अपने मत के समर्थन में डॉ. त्रिपाठी भाष्यकार बुद्धघोष के लेख का उल्लेख करते हैं जिसमें कहा गया है कि बिम्बसार के शासनकाल में मगध की सीमाओं का प्रसार दोगुना हो गया था । ‘धम्मपदट्ठकथा’ के अनुसार बिम्बसार का राज्य तीन सौ योजन तक विस्तृत था। विनयपिटक उसके राज्य में नगरों की संख्या अस्सी हजार बताता है। इसके विशाल साम्राज्य की राजधानी गिरिव्रज थी। ह्वेनसांग ने लिखा है, “गिरिव्रज में बहुधा अग्निकाण्ड की घटनाएँ होती रहती थीं, अतः बिम्बसार ने एक नवीन नगर की स्थापना की जिसे राजगृह कहा गया है। ”
Q.28. साइरस का भारत पर आक्रमण का वर्णन करें।
Ans. साइरस अचमेनिद साम्राज्य का पहला शासक और संस्थापक था। 558 और 530 ईसा पूर्व के बीच साइरस ने ईरान के पूर्व में अभियानों की कमान संभाली। संभवतः उसने अपने युद्धों के दौरान भारतीय सीमा क्षेत्र में प्रवेश किया था।
साइरस ने सिंधु घाओ तक आक्रमण किया और गांधार साम्राज्य पर विजय प्राप्त की। इस अवधि के दौरान, गांधार, मद्र और कंबोज जैसे छोटे राज्य आपस में लड़ने में व्यस्त थे और साइरस ने इसका पूरा फायदा उठाया और उत्तर-पश्चिम भारत पर आक्रमण किया।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि एक भारतीय सम्राट ने साइरस को श्रद्धांजलि देने के लिए एक दूतावास भेजा था। इस आधार पर, यह माना जाता है कि साइरस ने भारतीय – ईरानी सीमा पर विजय प्राप्त की और कुछ भारतीय शासकों ने प्रशंसा प्राप्त की। साइरस के बारे में यह जानकारी बेहिस्टन शिलालेख में पाई जा सकती है।
Q.29. डेरियस प्रथम का भारत पर आक्रमण का वर्णन करें।
Ans. डेरियस प्रथम साइरस का उत्तराधिकारी और पोता था । उसने 516 ईसा पूर्व में अविभाजित भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग पर आक्रमण शुरू किया।
डेरियस प्रथम की विजय का उल्लेख हमादान (सोने और चांदी) शिलालेख में किया गया है। डेरियस ने भारत पर आक्रमण किया और पंजाब और सिंध क्षेत्र को जीत लिया। उसने झेलम नदी घाटी के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया।
गांधार का उल्लेख बेहिस्तुन शिलालेख में डेरियस के साम्राज्य के एक क्षेत्र के रूप में किया गया है, जिसे उसने साइरस से प्राप्त किया होगा। इसे डेरियस के सुसा पैलेस शिलालेख द्वारा भी समर्थन दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि सम्राट के महल के निर्माण के लिए सागौन को गांधार से लाया गया था। गांधार पाकिस्तान के पेशावर और रावलपिंडी के समकालीन शहरों को संदर्भित करता है।
डेरियस प्रथम ने पश्चिमी पंजाब के कुछ हिस्सों पर भी आक्रमण किया और उसके समय में फारसी साम्राज्य का सबसे अधिक विस्तार हुआ।
Q.30. ईरानी आक्रमण का भारत पर प्रभाव / परिणाम की विवेचना कीजिए।
Ans. ईरानी आक्रमणों के कारण भारत में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत सारे परिवर्तन आये। ये आक्रमण लगभग 200 वर्षों तक चले। इन आक्रमणों के प्रभाव इस प्रकार हैं-
1. ईरानियों ने एक बिल्कुल नई लेखन पद्धति शुरू की जिसे खरोष्ठी लिपि के नाम से जाना जाता है। खरौष्ठी लिपि अरबी लिपि के समान है, जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती है।
2. मौर्यकालीन वास्तुकला में मूर्ति निर्माण का ईरानी / फारसी रूप दृष्टिगोचर होता है । फारसी मॉडल ने अशोक के स्मारकों की घंटी के आकार को प्रेरित किया। भारतीय सम्राट अशोक ने फारस से परिष्कृत और पॉलिश पत्थर स्तंभ वास्तुकला के उपयोग के लिए अपनाया।
3. इसी समय फारस से भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज की गई। इस समय ईरान और भारत के बीच व्यापार शुरू हुआ, जिसमें कपास, नील, रेशम और मूल्यवान धातुओं का व्यापार होता था ।
4. बड़ी संख्या में विदेशी भारतीय धरती पर बस गये।
5. भारतीय दार्शनिक, कवि, विद्वान और बुद्धिजीवी भारतीय संस्कृति का प्रसार करने के लिए फारस गए।
6. फारसी चांदी के सिक्के को खूबसूरती से डिजाइन किया गया था और भारतीय राजाओं ने भी इसी प्रकार के कलात्मक सिक्के को मुद्रा के रूप में अपनाया था ।
7. आक्रमणों के बाद भारतीय लोगों ने फारस के कुछ अनुष्ठानों और समारोहों को अपनाया।
8. ईरानी आक्रमण के बाद भारत में कुछ सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन हुए।
Q.31. सिकन्दर का भारत आक्रमण का विवेचन करें।
Ans. सिकंदर 327 ईo पूर्व भारत पहुँचा। उसके भारत पर आक्रमण के पूर्व पश्चिमोत्तर भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था। ये राज्य थे – अश्मक, गौर, पूर्वी अश्मक, नीसा, पश्चिमी गांधार, पूर्व गांधार, उरसा, अभिसार, पौरव, ग्लुचूकयन, अद्रिज, कठ, सौभूति, मंगल अगलेसाय, क्षुद्रक, मालवख, अम्बष्ठ, क्षत्रि, शूद्र, मूषिक, प्रोस्थ, शाम्ब और पटल। इनमें अधिकतर राज्य गणराज्य थे। तक्षशिला, पुरू और अभिसार राजतन्त्रीय राज्य थे। इन राज्यों के बीच अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते थे।
आपसी फूट और ईर्ष्या के शिकार इन राज्यों में किसी भी विदेशी आक्रमणकारी के विरोध की क्षमता नहीं थी। ऐसी ही परिस्थिति में सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया।