हड़प्पा सभ्यता की आधारभूत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। इस सभ्यता के पतन के क्या कारण थे ?PDF DOWNLOAD

हड़प्पा सभ्यता का प्राचीन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। यह विश्व की अत्यन्त प्राचीन एवं मानवोपयोगी सभ्यताओं में गिनी जाती है। अपने श्रेष्ठतम एवं सुनियोजित नगरों, सुव्यवस्थित निवास व्यवस्था, उत्तम नागरिक प्रबन्ध, सुन्दर और उपयोगी कलाओं आदि अनेक विशेषताओं के कारण हड़प्पा सभ्यता की गिनती विश्व की उन्नत और श्रेष्ठ सभ्यताओं में की जाती है। 

हड़प्पा सभ्यता की आधारभूत विशेषताएँ :

हड़प्पा सभ्यता की आधारभूत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- 

1. कांस्य सभ्यता : हड़प्पा सभ्यता कांस्य-कालीन सभ्यता थी। इसमें कांस्य काल की सर्वश्रेष्ठ विशेषताएँ दिखाई देती हैं। 

2. नगर- प्रधान सभ्यता : हड़प्पा सभ्यता एक नगर-प्रधान सभ्यता थी। खुदाई से पता चलता है कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो कभी बड़े ही विशाल तथा सुन्दर नगर थे । इसके अन्तर्गत हड़प्पा-निवासियों ने आश्चर्यजनक उन्नति की थी। उन्हें नगरीय जीवन की अनेक सुविधाएँ प्राप्त थीं। विशाल नगरों, पक्के भवनों, सुव्यवस्थित सड़कों, नालियों, स्नानागारों के निर्माता तथा सुदृढ़ शासन व्यवस्था के व्यवस्थापक हड़प्पा- निवासियों ने एक गौरवपूर्ण सभ्यता का निर्माण किया था। 

3. व्यापार- प्रधान सभ्यता : हड़प्पा सभ्यता व्यापार-प्रधान सभ्यता थी। हड़प्पा के लोगों का व्यापार अत्यन्त उन्नत था। उनका आन्तरिक एवं वैदेशिक व्यापार उन्नत अवस्था में था। उनके सुमेरिया, ईरान, मिस्र आदि अनेक देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित थे। व्यापार की उन्नति के कारण हड़प्पा- प्रदेश धन-सम्पन्न बना हुआ था। 

4. औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता : हड़प्पा सभ्यता औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता थी। यहाँ के निवासियों का जीवन प्रमुखतया व्यापार एवं उद्योग-धन्धों पर आधारित था। हडणा-निवासियों का आर्थिक जीवन औद्योगिक विशिष्टीकरण तथा स्थानीयकरण पर आधारित था। अधिकांश व्यवसायी प्राय: एक ही व्यवसाय का अनुसरण करते थे। एक ही व्यवसाय करने वाले एक ही क्षेत्र में रहते थे। 

5. शान्ति प्रधान सभ्यता : हड़प्पा सभ्यता एक शान्ति प्रधान सभ्यता थी। हड़प्पा- निवासियों की युद्ध में रुचि नहीं थी। खुदाई में कवच, ढाल, टोप आदि हथियार नहीं मिले हैं तथा जो अन्य हथियार धनुष-वाण, भाले, कुल्हाड़ी आदि मिले हैं, उनका प्रयोग आत्म- रक्षा अथवा शिकार के लिए किया जाता था । 

6. समष्टिवादिनी : हड़प्पा सभ्यता समष्टिवादिनी थी। हड़प्पा- प्रदेश की खुदाई में राज- सामग्री के स्थान पर सार्वजनिक सामग्री ही मिली है। विशाल सभा भवन, विशाल स्टेडियम तथा स्नानागारों के अवशेष हड़प्पा-निवासियों के सामूहिक जीवन के परिचायक हैं। 

7. सामाजिक एवं आर्थिक साम्य : लोकतंत्रीय एवं शान्ति प्रधान सभ्यता होने के कारण इस सभ्यता में समानता का स्पष्ट आभास मिलता है। इसमें बहुत बड़ी सामाजिक तथा आर्थिक विषमता नहीं थी । 

8. द्विदेवतामूलक सभ्यता : हड़प्पा-निवासियों का धर्म द्विदेवतामूलक था। सिन्धु निवासी परम पुरुष तथा नारी के उपासक थे। पुरुष और नारी के चिन्तन द्वन्द्व का यह सुन्दर दैवीकरण हड़प्पा-निवासियों की निश्चित कल्पना का प्रमाण है। 

9. लिपि का ज्ञान : हड़प्पा-निवासियों को लिपि का भी ज्ञान था जिसके माध्यम से वे अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते थे। 

10. सुनियोजित नगर योजना : सुनियोजित नगरों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की एक आधारभूत विशेषता है। हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगरों – मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा आदि की नगर-योजना प्राय: समान है। प्रत्येक नगर के पश्चिम में एक ऊंचे चबूतरे पर गढ़ी या दुर्ग होता था तथा नीचे टीले पर मुख्य नगर होता था । गढ़ी के चारों ओर ईंटों से बनी हुई एक चहारदीवारी होती थी । यह सुरक्षा प्राचीर था। 

हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण :

हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे- 

1. जलवायु परिवर्तन : कुछ विद्वानों का मत है कि सिन्धु नदी के मार्ग बदलने से अनेक बस्तियाँ उजड़ गई और लोग बर्बाद हो गए। डॉ. राजबली पाण्डेय का कथन है कि “हड़प्पा के क्रान्तिकारी जलवायु परिवर्तन और सिन्धु नदी के मार्ग बदलने से यह सभ्यता इस क्षेत्र से समाप्त हो गई । ” प्रारम्भ में हड़प्पा हरे-भरे मैदानों, सघन वनों तथा नदियों से परिपूर्ण था। परन्तु कालान्तर में जलवायु शुष्क होती चली गई जिससे पृथ्वी की हरियाली तथा वनों का सफाया होने लगा तथा मरु भूमि का प्रसार होने लगा। 

2. पर्यावरण का सूखा होना : तांबे तथा कांसे के उत्पादन के लिए, ईट पकाने के लिए तथा अन्य कार्यों के लिए हड़प्पा निवासी बहुत अधिक लकड़ी जलाते थे जिससे आस- पास के क्षेत्र के जंगल तथा वन नष्ट हो गए और भूमि में नमी की कमी हो गई। इस कारण भी हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ। 

3. बाढ़ों का प्रकोप : कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु नदी की बाढ़ें इस सभ्यता के विनाश के लिए उत्तरदायी थीं। मैके के अनुसार चन्हुदड़ो के अन्तिम चरण में भयंकर बाढ़ के प्रमाण रेत की तह से स्पष्ट है। डॉ. दीनानाथ वर्मा ने लिखा है कि हड़प्पा सभ्यता के विनाश का एक अन्य कारण सिन्धु नदी की बाढ़ रही होगी। मोहनजोदड़ो नगर की खुदाई से प्रतीत होता है कि यह नगर सात बार बसा और उजड़ा था। 

4. भूकम्प : कुछ इतिहासकारों का मत है कि सम्भवत: किसी शक्तिशाली भूकम्प के द्वारा हड़प्पा सभ्यता का विनाश हुआ होगा । 

5. संक्रामक रोग : कुछ विद्वानों का विचार है कि हड़प्पा सभ्यता का विनाश मलेरिया अथवा किसी अन्य संक्रामक रोग के बड़े पैमाने पर फैलने से हुआ होगा। 

6. प्रशासनिक शिथिलता : कुछ विद्वानों का विचार है कि शासन का अपने पदाधिकारियों पर नियन्त्रण नहीं रहा था। मकान बनाते समय सड़कों एवं नालियों का अतिक्रमण होने लगा था। अत: प्रशासनिक शिथिलता के कारण जनता में असन्तोष व्याप्त था। 

7. विदेशी आक्रमण : कुछ विद्वानों का विचार है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हड़प्पा- प्रदेश पर आक्रमण करके अपना अधिकार कर लिया होगा । सम्भवतः ये आक्रमणकारी आर्य लोग थे। पिग्गट एवं ह्वीलर के अनुसार ” हड़प्पा सभ्यता का विनाश आर्यों के आक्रमण से हुआ। आर्य हड़प्पा – निवासियों की अपेक्षा अधिक कुशल योद्धा थे । ” मोहनजोदड़ो के भग्नावशेषों में बहुत बड़ी संख्या में अस्थि-पंजर प्राप्त हुए हैं, जिनमें कुछ स्त्रियों और बालक-बालिकाओं के भी कंकाल हैं। इनसे बर्बर आक्रमण तथा सामूहिक हत्या का अनुमान लगाया जाता है। डॉ. सुशील माधव पाठक लिखते हैं कि आर्यों जैसी शूरवीर एवं बलशाली जाति के निरन्तर तथा सुनियोजित आक्रमण से भी हड़प्पा सभ्यता का विनाश सम्भव हुआ है। 

8. हड़प्पा के नगरों का समुद्र तट से दूर होना : डेल्स के अनुसार समुद्रतटीय भूमि के सतत् ऊपर उठने, नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी के जमाव से उनके मुहानों के अवरुद्ध होने आदि प्राकृतिक कारणों से हड़प्पा के अनेक नगर समुद्र तट से दूर होते चले गये। परिणास्वरूप हड़प्पा के नगरों के व्यापार की प्रगति अवरुद्ध हो गई और उनकी सम्पन्नता नष्ट होती चली गई। 

9. आर्द्रता की कमी : घोष के अनुसार कुछ स्थानों पर आर्द्रता की कमी तथा भूमि की शुष्कता के कारण भी हड़प्पा सभ्यता का अन्त हुआ। सरस्वती नदी के सूखने के कारण इस क्षेत्र में रेगिस्तान का प्रसार हुआ और वहाँ के निवासी दूसरे स्थानों पर चले गये । 


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