सुमेर सभ्यता में कानून व्यवस्था

सुमेर सभ्यता में कानून व्यवस्था

  1. लिपिबद्ध कानून (Codified Laws): सुमेरियन समाज में पहले मौखिक परंपराओं और धार्मिक नियमों के आधार पर कानून लागू किए जाते थे । लेकिन जैसे-जैसे सभ्यता विकसित हुई, शासकों ने लिखित कानूनों को अपनाया । अतः सुमेरियाई समाज में पहली बार लिखित कानूनों की शुरुआत हुई । ये कानून आमतौर पर मिट्टी की पट्टिकाओं (Clay Tablets) पर लिखे जाते थे और प्रशासन तथा न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा थे ।

 

  1. उर-नम्मू संहिता (Ur-Nammu Code)
  2. इसे दुनिया की पहली ज्ञात कानूनी संहिता माना जाता है।
  3. इसमें हत्या, चोरी, झूठे आरोपों, और विवाह से संबंधित नियम निर्धारित किए गए थे।
  4. इस संहिता में “न्यायपूर्ण मुआवजा” (Just Compensation) का सिद्धांत अपनाया गया था, यानी अपराध के लिए उचित दंड दिया जाता था ।

 

  1. लिपित-इश्तार संहिता (Lipit-Ishtar Code)
    • यह कानून संहिता सुमेर के ईसिन (Isin) नगर-राज्य के शासक लिपित-इश्तार द्वारा बनाई गई थी ।
    • इसमें संपत्ति, उत्तराधिकार, और कर व्यवस्था से संबंधित कानून थे ।

 

  1. न्याय और दंड के नियम:
    • अपराधों के लिए दंड आमतौर पर सामाजिक वर्ग पर निर्भर करता था । उच्च वर्ग के लोगों को कम दंड दिया जाता था, जबकि निम्न वर्ग के लिए कठोर दंड होते थे ।
    • कुछ अपराधों के लिए आर्थिक दंड (Fines) दिए जाते थे, जबकि गंभीर अपराधों में मृत्यु दंड (Capital Punishment) भी दिया जाता था।
    • “आंख के बदले आंख” (Lex Talionis) जैसी अवधारणाएं विकसित होने लगी थीं, जो बाद में हम्मुराबी संहिता (Babylonian Hammurabi Code) में अधिक स्पष्ट हुईं ।

 

  1. न्याय प्रणाली (Judicial System):
    • राजा (King) न्याय का सर्वोच्च स्रोत था, लेकिन नगर-राज्यों में मंदिरों और प्रशासनिक कार्यालयों में न्यायालय (Courts) भी होते थे ।
    • न्यायिक अधिकारी (Judges) और गवाह (Witnesses) कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा होते थे ।

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