सुमेर सभ्यता में कानून व्यवस्था
- लिपिबद्ध कानून (Codified Laws): सुमेरियन समाज में पहले मौखिक परंपराओं और धार्मिक नियमों के आधार पर कानून लागू किए जाते थे । लेकिन जैसे-जैसे सभ्यता विकसित हुई, शासकों ने लिखित कानूनों को अपनाया । अतः सुमेरियाई समाज में पहली बार लिखित कानूनों की शुरुआत हुई । ये कानून आमतौर पर मिट्टी की पट्टिकाओं (Clay Tablets) पर लिखे जाते थे और प्रशासन तथा न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा थे ।
- उर-नम्मू संहिता (Ur-Nammu Code)
- इसे दुनिया की पहली ज्ञात कानूनी संहिता माना जाता है।
- इसमें हत्या, चोरी, झूठे आरोपों, और विवाह से संबंधित नियम निर्धारित किए गए थे।
- इस संहिता में “न्यायपूर्ण मुआवजा” (Just Compensation) का सिद्धांत अपनाया गया था, यानी अपराध के लिए उचित दंड दिया जाता था ।
- लिपित-इश्तार संहिता (Lipit-Ishtar Code)
- यह कानून संहिता सुमेर के ईसिन (Isin) नगर-राज्य के शासक लिपित-इश्तार द्वारा बनाई गई थी ।
- इसमें संपत्ति, उत्तराधिकार, और कर व्यवस्था से संबंधित कानून थे ।
- न्याय और दंड के नियम:
- अपराधों के लिए दंड आमतौर पर सामाजिक वर्ग पर निर्भर करता था । उच्च वर्ग के लोगों को कम दंड दिया जाता था, जबकि निम्न वर्ग के लिए कठोर दंड होते थे ।
- कुछ अपराधों के लिए आर्थिक दंड (Fines) दिए जाते थे, जबकि गंभीर अपराधों में मृत्यु दंड (Capital Punishment) भी दिया जाता था।
- “आंख के बदले आंख” (Lex Talionis) जैसी अवधारणाएं विकसित होने लगी थीं, जो बाद में हम्मुराबी संहिता (Babylonian Hammurabi Code) में अधिक स्पष्ट हुईं ।
- न्याय प्रणाली (Judicial System):
- राजा (King) न्याय का सर्वोच्च स्रोत था, लेकिन नगर-राज्यों में मंदिरों और प्रशासनिक कार्यालयों में न्यायालय (Courts) भी होते थे ।
- न्यायिक अधिकारी (Judges) और गवाह (Witnesses) कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा होते थे ।