सुमेरियन सभ्यता : धर्म ( धार्मिक जीवन )
- सुमेरिया सभ्यता में धर्म का अत्यधिक महत्त्व था । प्रारम्भ में वे एक ही देवता की पूजा करते थे किन्तु बाद में अनेक देवताओं की पूजा की जाने लगी ।
- प्राकृतिक शक्तियों में ये लोग सूर्य व चन्द्रमा की पूजा करते थे ।
- प्रारम्भ में सुमेरियन निवासियों के एकेश्वरवादी होने का संकेत मिलता है किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि 3500 ई. पू. के बाद सुमेरियन बहुदेववाद में विश्वास करने लगे थे । बहुदेववादी उपासना के फलस्वरूप प्रत्येक नगर में अलग-अलग देवताओं की उपासना होने लगी थी ।
- समाज में धार्मिक भावना का विकास कल्पना, भय एवं विश्वास पर आधारित था ।
- सुमेर के प्रत्येक नगरों के अपने-अपने देवी-देवता होते थे ।
- कभी-कभी एक ही देवता की पूजा दो अन्य नगरों में की जाती थी, किन्तु उनकी पूजन पद्धति, गुण एवं उनकी शक्तियाँ अलग-अलग होती थी ।
सुमेरियन समाज के धार्मिक जीवन की मुख्य विशेषताएँ निम्नवत् थीं-
- प्रमुख देवी-देवता
सुमेरियन धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी, जिनमें प्रत्येक का संबंध किसी विशेष प्राकृतिक शक्ति या सामाजिक तत्व से था । कुछ प्रमुख देवता निम्नलिखित हैं—
- अनु (Anu) – स्वर्ग (आसमान) का देवता और सभी देवताओं का राजा ।
- एनलिल (Enlil) – वायु, तूफान और पृथ्वी का देवता, जिसे सबसे शक्तिशाली देवता माना जाता था ।
- एनकी (Enki) – जल, ज्ञान, जादू और सृजन का देवता ।
- इनन्ना (Inanna) / इश्तर (Ishtar) – प्रेम, युद्ध और प्रजनन की देवी ।
- नान्ना (Nanna) / सीन (Sin) – चंद्रमा के देवता ।
- उतू (Utu) / शामश (Shamash) – सूर्य और न्याय के देवता।
सुमेरियन धर्म में प्रत्येक नगर का एक संरक्षक देवता होता था । उदाहरण के लिए—
- उरुक नगर की प्रमुख देवी इनन्ना थीं ।
- उर नगर के संरक्षक देवता नान्ना थे ।
- निप्पुर नगर में एनलिल की पूजा होती थी ।
- मंदिर और ज़िग्गुरैट
सुमेरियन धार्मिक जीवन का केंद्र ज़िग्गुरैट (Ziggurat) नामक विशाल मंदिर होते थे । ये सीढ़ीदार पिरामिड जैसी संरचनाएँ थीं, जिन्हें देवताओं के निवास के रूप में देखा जाता था । प्रत्येक प्रमुख नगर में एक ज़िग्गुरैट होता था, जिसमें केवल पुजारी और शासक वर्ग के लोग ही प्रवेश कर सकते थे ।
ज़िग्गुरैट में नियमित रूप से—
✔ देवताओं को अर्पण चढ़ाए जाते थे।
✔ बलि दी जाती थी ।
✔ धार्मिक अनुष्ठान किए जाते थे।
- पुजारी वर्ग और धार्मिक अनुष्ठान
सुमेरियन समाज में पुजारियों (Priests) की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी । वे न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करते थे, बल्कि प्रशासन, शिक्षा और चिकित्सा में भी योगदान देते थे । मुख्य पुजारी को “एन” (En) या “एनसि” (Ensi) कहा जाता था ।
कुछ प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार थे—
✔दैनिक पूजा – देवताओं के लिए भोजन और प्रसाद अर्पित किया जाता था ।
✔ बलि प्रथा –पशु और अन्य चीजों की बलि दी जाती थी ।
✔ ज्योतिष और भविष्यवाणी – पुजारी सितारों की चाल और अन्य संकेतों के आधार पर भविष्यवाणी करते थे ।
- 4. मृतक संस्कार ( Funerall ) –
सुमेरियन पुनर्जन्म में विश्वास करते थे । उनका मानना था कि व्यक्ति मृत्यु के पश्चात् पुनः जन्म लेता है । उनके धर्म में मृतक संस्कार का विशेष महत्त्व था । वह अपने मृतक परिवार के सदस्य को चटाइयों में लपेटकर घरों के अंदर कमरों में अथवा प्रांगण में दफनाते थे । मृतकों के लिए चतुर्भुजाकार समाधियाँ भी बनायी जाती थीं । जिस पर कच्ची ईंटों की मेहराब जैसी आकृति बना दी जाती थी । कभी-कभी मृतक शरीर को बड़े-बड़े मटकों में रखकर दफनाया जाता था । उत्खननों से प्राप्त कब्रों में सोने-चांदी के आभूषण, अस्त्र-शस्त्र, ताम – पत्र, बर्तन इत्यादि प्राप्त हुए हैं ।
विद्वान वूली के अनुसार, “राजा के मरने पर तो उसके साथ अस्त्र-शस्त्र, आभूषण, सेवक, रानियाँ दासियाँ तथा बैलों को भी दफना दिया जाता था । लोगों का विश्वास था कि मनुष्य को मृत्यु के पश्चात् भी इन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी ।” उर प्राप्त रानी शुब-अद की समाधि से उनके साथ दफनाए गए 74 अन्य व्यक्तियों के शव भी प्राप्त हुए हैं ।