सुमेरियन सभ्यता : आर्थिक व्यवस्था

सुमेरियन सभ्यता : आर्थिक व्यवस्था

अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, व्यापार, शिल्पकला और कर प्रणाली पर आधारित थी।

1. कृषि और सिंचाई प्रणाली

  • सुमेरियन अर्थव्यवस्था का आधार कृषि था । मेसोपोटामिया की उपजाऊ भूमि में फसल उत्पादन के लिए उन्नत सिंचाई प्रणाली विकसित की गई थी ।
  • नहरों और बांधों का निर्माण किया गया ताकि बाढ़ को नियंत्रित किया जा सके और जल का समुचित उपयोग हो।
  • प्रमुख फसलें: जौ, गेहूं, खजूर, तिल और सब्जियाँ
  • पशुपालन भी महत्वपूर्ण था, खासकर भेड़, बकरी और बैल

2. व्यापार और वाणिज्य

  • सुमेरियन नगर-राज्य व्यापार के लिए प्रसिद्ध थे ।
  • व्यापार मुख्यतः स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होता था ।
  • प्रमुख निर्यात वस्तुएँ: कपड़ा, मिट्टी के बर्तन, धातु के औजार, कृषि उत्पाद
  • प्रमुख आयात वस्तुएँ: लकड़ी (लेबनान से), धातुएँ (तुर्की और ईरान से), रत्न और कीमती पत्थर (भारत और अफगानिस्तान से)
  • व्यापार के लिए बार्टर प्रणाली (विनिमय प्रणाली) का उपयोग किया जाता था, लेकिन बाद में चाँदी और तांबे के टुकड़ों को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।

3. शिल्प और उद्योग

  • कुम्हारगिरी (Pottery), बुनाई, धातु-कर्म, और ईंट-निर्माण सुमेरियन अर्थव्यवस्था के प्रमुख उद्योग थे ।
  • कीलाक्षर लेखन (Cuneiform Script) के उपयोग से व्यापार और करों का लेखा-जोखा रखा जाता था ।
  • मंदिरों (Ziggurat) में कारीगरों और श्रमिकों को कार्य करने के लिए रखा जाता था।

4. कर और प्रशासनिक आर्थिक व्यवस्था

  • राजा और मंदिरों द्वारा कर वसूला जाता था, जो अनाज, पशु, और अन्य वस्तुओं के रूप में होता था ।
  • सरकार का एक बड़ा हिस्सा अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में लगा हुआ था, जिसमें अनाज के भंडारण और वितरण की देखरेख की जाती थी।
  • नगर-राज्यों की आर्थिक गतिविधियाँ मुख्य रूप से मंदिरों और महलों के इर्द-गिर्द केंद्रित थीं।

5. व्यापारिक मार्ग और जलमार्ग

  • सुमेरियन व्यापार स्थल और जलमार्ग दोनों के माध्यम से किया जाता था।
  • प्रमुख व्यापारिक मार्ग:
    • भूमि मार्ग: मेसोपोटामिया से एशिया माइनर, फारस, भारत और मिस्र तक।

जलमार्ग: यूफ्रेट्स और टिगरिस नदियों के माध्यम से माल की ढुलाई की जाती थी ।

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