प्रश्न – समतावाद क्या है ? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। समाज में असमानताओं और भिन्नतापूर्ण व्यवहार के सन्दर्भ में इसकी भूमिका पर चर्चा करें।
समतावाद, जिसे अंग्रेजी में “Egalitarianism” कहा जाता है, एक ऐसी सामाजिक और राजनीतिक अवधारणा है जो सभी व्यक्तियों के साथ समानता और निष्पक्षता की वकालत करती है। यह सिद्धांत मानता है कि सभी लोग समान अधिकार, अवसर और संसाधन पाने के हक़दार हैं, चाहे उनकी, जाति, धर्म, लिंग, आर्थिक स्थिति, या किसी अन्य आधार पर भिन्नता क्यों न हो। समतावाद का उद्देश्य समाज में व्याप्त असमानताओं और भिन्नतापूर्ण व्यवहार को समाप्त करना है और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करना है। समतावाद विभिन्न क्षेत्रों में लागू हो सकता है, जैसे कि आर्थिक समता, सामाजिक समता और राजनीतिक समता। समतावाद का उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहाँ हर व्यक्ति को उसकी योग्यता और जरूरत के आधार पर समान अवसर और संसाधन मिल सकें।
समतावाद के प्रमुख उद्देश्य / भूमिका
1. समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करना : समतावाद का प्राथमिक उद्देश्य समाज में सभी व्यक्तियों के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करना है। यह मानता है कि हर व्यक्ति को समान रूप से जीवन के सभी क्षेत्रों में अवसर मिलने चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति के क्यों न हों। इसका उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहाँ हर व्यक्ति अपनी क्षमता और योग्यता के आधार पर प्रगति कर सके।
2. आर्थिक असमानता को कम करना : समतावाद का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य आर्थिक असमानता को कम करना है। यह मानता है कि समाज में धन और संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ताकि हर व्यक्ति अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी कर सके। इसके लिए समतावादी नीतियाँ जैसे प्रगतिशील कर प्रणाली, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ, और न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
3. सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना : समतावाद का उद्देश्य समाज में जाति, धर्म, लिंग, और अन्य आधारों पर हो रहे भेदभाव को समाप्त करना है। यह मानता है कि हर व्यक्ति को समान सम्मान और गरिमा मिलनी चाहिए। इसके लिए सामाजिक जागरूकता अभियान, शिक्षा और कानूनी उपायों का सहारा लिया जा सकता है ताकि भेदभावपूर्ण सोच और व्यवहार को खत्म किया जा सके।
4. राजनीतिक समानता की स्थापना : समतावाद का उद्देश्य राजनीतिक क्षेत्र में भी समानता स्थापित करना है। यह मानता है कि हर व्यक्ति को राजनीतिक प्रक्रिया में समान भागीदारी का अधिकार होना चाहिए। इसके लिए मताधिकार का अधिकार, चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में समानता सुनिश्चित करना आवश्यक है ।
5. शिक्षा में समानता : समतावाद का एक प्रमुख उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में समानता सुनिश्चित करना है। यह मानता है कि हर व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार होना चाहिए। इसके लिए सरकारें और शैक्षणिक संस्थाएँ मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्तियाँ, और भेदभाव रहित शैक्षणिक नीतियाँ लागू कर सकती हैं।
6. स्वास्थ्य सुविधाओं की समान उपलब्धता : समतावाद का उद्देश्य स्वास्थ्य सुविधाओं की समान उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह मानता है कि हर व्यक्ति को समान और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ मिलनी चाहिए। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ, और स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ लागू की जा सकती हैं।
7. सामाजिक न्याय की स्थापना : समतावाद का एक व्यापक उद्देश्य समाज में सामाजिक न्याय की स्थापना करना है। यह मानता है कि हर व्यक्ति को न्यायपूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है। इसके लिए कानूनी सुधार, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ और न्याय प्रणाली में सुधार आवश्यक हैं ताकि हर व्यक्ति को न्याय मिल सके।
8. समतावादी समाज का निर्माण : समतावाद का अंतिम उद्देश्य एक समतामूलक समाज का निर्माण करना है जहाँ हर व्यक्ति को समान अधिकार, अवसर, और संसाधन मिलें। यह समाज में शांति, सद्भावना और न्याय की भावना को बढ़ावा देता है। इसके लिए सामुदायिक प्रयास, सामाजिक जागरूकता और नीतिगत सुधार आवश्यक है।
असमानताओं और भिन्नतापूर्ण व्यवहार का प्रभाव
समाज में असमानता और भिन्नतापूर्ण व्यवहार के कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं। सबसे पहले, यह लोगों के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है। जंब किसी व्यक्ति को उसके जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति के आधार पर भिन्नतापूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ता है, तो वह खुद को दूसरों से कमतर महसूस करने लगता है। इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
दूसरा, असमानता और भिन्नतापूर्ण व्यवहार से समाज में तनाव और असंतोष की स्थिति उत्पन्न होती है। जब कुछ लोग अधिक संसाधनों और अवसरों का लाभ उठाते हैं. जबकि अन्य लोग बुनियादी जरूरतों से वंचित रहते हैं, तो इससे सामाजिक असंतुलन और संघर्ष की स्थिति पैदा होती है। इससे समाज में शांति और समृद्धि में कमी आती है।
तीसरा, समानता और भिन्नतापूर्ण व्यवहार से समाज का समग्र विकास भी प्रभावित होता है। जब सभी लोगों को समान अवसर और संसाधन नहीं मिलते, तो समाज की प्रगति में बाध उत्पन्न होती है। इससे विकास की गति धीमी हो जाती है और समाज में गरीबी और पिछड़ापन बढ़ता है।
