प्रश्न – सत्ता से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न स्रोतों का वर्णन करें।
सत्ता वह आचरण हैं, जिसके आधार पर कोई भी अपनी शक्ति का प्रयोग करता है। हम कह सकते हैं कि अधिकारों को कानूनी रूप प्रदान करने वाली वस्तु को ही सत्ता कहा जाता है। यह प्रभाव तथा शक्ति जैसी राजनीतिक विचारों का मूल उपकरण है, साथ ही राजव्यवस्था – रूपी शरीर की आत्मा । सत्ता के अर्थ को हम शक्ति, प्रभाव तथा औचित्य के संदर्भ में ही समझ सकते हैं। सत्ता एक विशेष प्रकार का औचित्यपूर्ण प्रभाव है।
बीयर्सटेड (Bierstedt) के अनुसार, “सत्ता शक्ति के प्रयोग का संस्थात्मक अधिकार है। है, स्वयं शक्ति नहीं।” स्पष्ट है कि अधिकार का सत्ता के साथ जुड़ा रहना आवश्यक है
बीच (Beach) ने सत्ता की व्याख्या करते हुए बताया है कि “दूसरे के कार्यों को प्रभावित एवं निर्देशित करने के औचित्यपूर्ण अधिकार को सत्ता कहते हैं।” 1955 ई० में दी गई यूनेस्को की एक रिपोर्ट के अनुसार, “सत्ता एक स्वीकृत, सम्मानित ज्ञान तथा औचित्यपूर्ण शक्ति है। ‘
हर्बर्ट साइमन के अनुसार, “सत्ता का अस्तित्व तभी होता है, जब वरिष्ठ एवं अधीनस्थ के बीच संबंध स्थापितं होता है । ”
रो के अनुसार, “सत्ता व्यक्ति या व्यक्तिसमूह के राजनीतिक निश्चयों के निर्माण तथा राजनीतिक व्यवहारों को प्रभावित करने का अधिकार है।” स्पष्ट है कि सत्ता एक ऐसा सहमति और औचित्यपूर्ण अधिकार है, जो कानूनी दावे के साथ दूसरों के व्यवहार में परिवर्तन करने के लिए अपनाई जाती है। यह औपचारिक भी है, क्योंकि यह राजनीतिक दावे को प्रतिस्थापित करती है।
सत्ता की प्रकृति (Nature of Authority): पहला, औपचारिक सत्ता- सिद्धांत (Formal Authority Theory) तथा दूसरा स्वीकृत सिद्धांत (Acceptance Theory)। औपचारिक सत्ता-सिद्धांत के अनुसार सत्ता का प्रभाव ऊपर से नीचे की ओर चलता है। सत्ता आदेश देने का अधिकार है, जो नौकरशाही का गठन करता है । स्वीकृत सिद्धांत के अनुसार, सत्ता कानूनी रूप से केवल औपचारिक होती है और इसे वास्तविक आधार तभी प्राप्त होता है, जब अधीनस्थों द्वारा इसकी स्वीकृति होती है। स्वीकृत सिद्धांत (Acceptance Theory) का प्रयोग व्यवहारवादियों ने किया है।
सत्ता के प्रकार या स्रोत
(Kinds or Sources of Authority)
मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन प्रकारों का वर्णन किया है- परंपरागत (Traditional), बौद्धिक कानूनी ( Rational Legal) तथा चमत्कारिक (Charismatic)। जब अधीनस्थ – वर्ग वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन इसलिए करते हैं कि ऐसा हमेशा होता आया है, तब इसे हम परंपरागत सत्ता कहते हैं। जब अधीनस्थ वरिष्ठ के किसी आदेश को कानूनी और औचित्यपूर्ण समझने के कारण स्वीकृत करते हैं, तब उसे हम बौद्धिक कानूनी सत्ता कहते हैं। जब अधीनस्थ वरिष्ठ अधिकारी के व्यक्तित्व के कारण उसकी आज्ञा मानते हैं और उसे स्वीकार करते हैं, तब हम सत्ता के चमत्कारिक रूप के दर्शन करते हैं।
मैक्स वेबर ने औचित्यपूर्णता के आधार पर सत्ता के तीन प्रकार बतलाये हैं-
1. परम्परागत सत्ता (Traditional Authority) : परम्परागत सत्ता उस समय कहलाती है जब अधीनस्थ अधिकारी अथवा व्यक्ति वरिष्ठ अधिकारी की आज्ञाओं का पालन इस आधार पर करें कि इस प्रकार पालन होता आया है। इस प्रकार की सत्ता में अधीनस्थों को सेवक से अधिक नहीं समझा जाता। अधीनस्थ आज्ञापालन परम्पराओं के प्रतीक किसी व्यक्ति विशेष के कारण करते हैं।
2. बौद्धिक – कानूनी ( Rational-Legal) : जब कोई नियम अथवा निर्देश अधीनस्थों द्वारा इस आधार पर स्वीकार किया जाये कि वह नियम अथवा निर्देश उच्च स्तर के अमूर्त नियमों के साथ सम्मत है, तब सत्ता को बौद्धिक-कानूनी माना जाता है। इस प्रकार की सत्ता का उदाहरण आधुनिक नौकरशाही है।
3. चमत्कारी सत्ता (Charismatic Authority) : जब अधीनस्थ व्यक्ति श्रेष्ठ सत्ताधारी के आदेशों को उसके व्यक्तिगत चमत्कारी प्रभाव के कारण स्वीकार करते हैं तो इस प्रकार की सत्ता को चमत्कारी सत्ता कहा जाता है। इस सत्तास्थिति में अधीनस्थ व्यक्ति अपने प्रिय नेता के अनुयायी होते हैं तथा वे उसके चमत्कारों अथवा आदर्शवादी व्यक्तित्व के कारण उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं। उदाहरणतया भारत में पण्डित जवाहरलाल नेहरु, तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा, इण्डोनेशिया में राष्ट्रपति सुकारनी की सत्ता का आधार उनका चमत्कारी व्यक्तित्व था ।
सत्ता के एक दो रूप और भी हो सकते हैं—-
4. राजनीतिक सत्ता (Political Authority) : साधारणत: राजनीतिक सत्ता का अर्थ शासन सत्ता ही लिया जाता है। परन्तु यह विचार ठीक नहीं है। राजनीतिक सत्ता शासन सत्ता से व्यापक होती है। शासन सत्ता तो प्रशासन का संचालन करने वाले कुछ व्यक्तियों के हाथों में केन्द्रित होती है, परन्तु राजनीतिक सत्ता उन महान राजनेताओं के पास होती है जो शासन में भाग लेते हुए भी शासन संबंधी राजनीतियों और निर्णयों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। जब किसी राजनेता के अनुयायियों द्वारा उसके आदेशों का पालन उसके राजनीतिक ज्ञान; राजनीतिक सूझ-बूझ व राजनीतिक गुणों के कारण किया जाता है तो उस राजनेता की सत्ता को राजनीतिक सत्ता कहते हैं। उदाहरणत: भारत में महात्मा गाँधी शासन सत्ता न धारण किये हुए भी राजनीतिक सत्ता के स्वामी थे। क्योंकि भारतीय लोगों को उनके राजनीतिक गुणों और राजनीतिक सूझ-बूझ में पूर्ण विश्वास था । महात्मा गाँधी द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये जो महान् राजनीतिक आन्दोलन चलाये गये, लोगों ने उनमें बढ़-चढ़ कर भाग लिया और उनको सफल बनाने में भी राजनेता को पूर्ण ‘सहयोग और समर्थन दिया।
5. धार्मिक सत्ता (Religious Authority) : जब अधीनस्थ व्यक्ति सत्ताधारी व्यक्ति की आज्ञाओं का पालन उस व्यक्ति के धार्मिक गुरु होने अथवा अपने धार्मिक विश्वासों के कारण करते हैं तो इस प्रकार की सत्ता को धार्मिक सत्ता कहते हैं । प्राचीन काल में राजाओं की शक्ति का आधार उनकी धार्मिक सत्ता होती थी। राजा लोगों का धार्मिक गुरु होता था तथा लोग उसकी धार्मिक सत्ता को स्वीकार करते हुए उसके आदेशों का पालन करते थे। आज भी कई देशों में शासक की आज्ञाओं का पालन उसकी धार्मिक सत्ताओं के कारण किया जाता है । ईरान में अयातुल्ला खुमैनी के शासन का आधार उसकी धार्मिक सत्ता है । खुमैनी ईरान के मुसलमानों का धार्मिक गुरु है तथा उसकी धार्मिक सत्ता के कारण ही लोगों द्वारा उसके आदेशों का पालन किया जाता है।