विश्व में लोहा-इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें। PDF Download

 प्रस्तावना (Introduction) : लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक भौतिक सभ्यता की रीढ़ है। यह प्रत्येक राष्ट्र के सभी उद्योगों की आधारशिला है, क्योंकि अनेक आकार-प्रकार के कल-पुर्जे, बड़ी-बड़ी मशीनरी, यातायात के साधन, कृषि-यंत्र, रक्षा सामग्री आदि सभी इसी उद्योग पर निर्भर है। यही कारण है कि किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास का मापदण्ड लोहा- इस्पात उद्योग माना जाता है। संयुक्त राज्य एवं सोवियत रूस, जहाँ लोहा-इस्पात उद्योग अत्यन्त विकसित दशा में है, विश्व के सर्वाधिक सम्पन्न एवं विकसित देश हैं। धातु विशेषल बीन पूर जोन्स के अनुसार, “लोहा एवं कार्बन की मिश्रित धातु को, जो इस्पात कहलाता है, अलग कर दिया जाय तो मानव जाति के समक्ष एक ऐसा संसार होगा, जिसमें रेलें, जलयान, वायुयान, अनेक प्रकार के यंत्र तथा उपकरण एवं परिवहन के साधन न रहेंगे और इस प्रकार का समाज आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएँ तैयार करने में पूर्णतया असमर्थ रहेगा ।” निःसन्देह लोहा-इस्पात उद्योग एक मूलभूत उद्योग (Key Industry) है। 

वितरण (Distribution) 

(A) संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) : विश्व में लोहा – इस्पात उत्पादन में संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रथम स्थान है। यह विश्व का लगभग 20 प्रतिशत इस्पात तैयार करता है। यहाँ के लोहा-इस्पात उद्योग क्षेत्रों को निम्नांकित भागों में बाँटा जाता है- 

1. उत्तरी अप्लेशियन प्रदेश (The Northern Appalachian Region ) : इस प्रदेश का विस्तार पेन्शिलवानिया तथा पूर्वी ओहियो राज्य में, ओहियो नदी की घाटी में है । यहाँ संयुक्त राज्य का लगभग 35 प्रतिशत इस्पात तैयार किया जाता है। यहाँ के मुख्य केन्द्र पिट्सवर्ग, यंग्स्टाउन, वहीलिंग, जोन्सटाउन, कानेगी, आपरटन, पोर्टस माउथ, एशलैण्ड, होमस्टेड आदि है। 

2. झील प्रदेश (The Lake Region) : इस प्रदेश में इरी, मिशिगन एवं सुपीरियर झीलों के समीपवर्ती क्षेत्र आते हैं। यहाँ संयुक्त राज्य के कुल इस्पात उत्पादन का एक तिहाई से अधिकं इस्पात तैयार किया जाता है। 

3. एटलांटिक तटीय प्रदेश (The Atlantic Seaboard Region) : यह एटलांटिक तट के सहारे मैसाचुएट्स राज्य के मेरीलैंड तक फैला हुआ है। इस्पात उद्योग का श्रीगणेश यहीं से हुआ था। इसका मुख्य केन्द्र सौरोज पाइन्ट (Sparrow point), मैरिसविले, वेथलेहम, स्टीलटन, एलनटाउन, फिलिस्सवर्ग आदि हैं। 

4. दक्षिणी अप्लेशियन या अलावामा प्रदेश (The Southern Appalachian or Alabama Region) : इसका विस्तार अलाबामा राज्य के उत्तरी तथा टैनैसी राज्य के दक्षिणी भागों में है। बरमियम में पहला लौह-इस्पात कारखाना तैयार किया गया था। 

5. पश्चिमी प्रदेश (The Western Region ) : यहाँ इस्पात कारखाने केलिफोर्निया, वाशिंगटन, ओरेयन तथा कोनेरेडो राज्य में यत्र-तत्र फैले हुए हैं। यहाँ इस्पात का केन्द्र प्यूबलो, जिनेवा, मैसफॉसिसकम, लासएन्जिल, मोन्टाना आदि हैं। 

(B) सोवियत संघ (U.S.S.R.) : यह विश्व का द्वितीय वृहत्तम लोहा-इस्पात उत्पादक देश है। यहाँ विश्व का 22 प्रतिशत इस्पात तैयार किया जाता है। यहाँ के इस्पात क्षेत्रों को अग्रलिखित चारं भागों में बाँटा जा सकता है- 

1. मध्यवर्ती एवं दक्षिणी यूराल प्रदेश (The Central and Southern Urals) : यह रूस का सबसे पुराना एवं वृहत्तम लोहा-इस्पात उत्पादक प्रदेश है। इसका विस्तार यूराल पर्वत के दोनों ओर लगभग 500 मील की लम्बाई तथा 300 मील की चौड़ाई में है। इस प्रदेश में 50 से अधिक इस्पात केन्द्र हैं, जिनमें प्रमुख मैगनिटोओर्स्क, चेल्पानिस्क, स्वडलोयस्क, निझनीतागिल, नेलोरेन्स्क, बलपाप वस्क, कस्नोयूरालस्क सर्वो आदि हैं। 

(I) यूक्रेन प्रदेश (1) क्रिवायराग, (2) नीप्रोट्झरझिस्क, (3) झापरोझाये, (4) नींप्रोट्रोवरक (5) डोनेत्ज, (6) झडानोव, (7) माकेयव्का, (8) येनाक्रेवो। 

(II) मास्को- गोर्की प्रदेश – (9) मास्को, (10) चेरेपोवेल्स, (11) गोर्की । 

(III) यूराल प्रदेश-(12) मैगनीटोगोर्स्क, (13) चिलियाबिन्स्क, (14) स्वर्डलोवस्क  (15) निझनीतागिल । 

(IV) कुजबास प्रदेश – (16) नोवोसिविर्स्क, (17) नोवोकुजनेत्स्का 

2. कुजनन्स्क बेसिन (The Kuznetsk Basin): इस क्षेत्र का विस्तार दक्षिणी-पश्चिमी साइबेरिया में है। इस प्रदेश के मुख्य केन्द्र नोवोसिविर्स्क, स्टालिनिस्क, मंजुनेस्कयी, असा, तुरोचक, कामेन आदि हैं। यहाँ देश का दस प्रतिशत इंस्पात तैयार होता है। 

3. दक्षिणी यूक्रेन प्रदेश (The Southern Ukrain Region) : यह काले सागर तथा अजोब सागर तटवर्ती क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ से रूस का 50 प्रतिशत से अधिक इस्पात तैयार होता है। इस प्रदेश में इस्पात उद्योग का केन्द्रीयकरण तीन स्थानों पर हुआ हैं— 

(i) कोयले की खानों पर डोनवास क्षेत्र : मुख्य केन्द्र-स्टैलीनो, डोनेत्स्क, माकेयेका, वोरोशिलेविस्क, यानकिवो आदि । 

(ii) लोहे की खानों के समीप या नीपर क्षेत्र : मुख्य केन्द्र–क्रवापरॉग, निकोपोल, जापोरोझये, नीओ-दजरमिस्क। 

(iii) लोहे या कोयले की खानों के मध्य में या कर्च झडानोद क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – कच, क्रस्नीसुलिन, झडानोव, पेमनरॉग आदि। 

4. मध्यवर्ती तुला-मास्को प्रदेश (The Tula-Mascow Region) : इस प्रदेश का विस्तार यूरोपीय रूस के मध्य भाग में है। इसका मुख्य केन्द्र -मास्को, तुला, लिपेस्कू, इलैक्ट्रोस्ताल, विस्का आदि हैं। 

(C) ग्रेट ब्रिटेन (U.K.) : यह आज विश्व का केवल 8 प्रतिशत इस्पात उत्पादन करता तथा विश्व में इसका पाँचवाँ स्थान है। यहाँ के मुख्य लौह-इस्पात क्षेत्र अग्रलिखित हैं- 

  • दक्षिणी वेल्स क्षेत्र : मुख्य केन्द्र- कार्डिफ, स्वानसी, लैनेली, पोर्ट टालवट आदि। 
  • उत्तरी पूर्वी क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – मिडिल्सबरो, डरहम, साउथफील्ड, न्यूकैसिल, स्टाक्टान । 
  • शेफील्ड क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – शेफील्ड, राथरडम, चेस्टर फील्ड। →
  • लिंकनशायर क्षेत्र : मुख्य केन्द्र–स्केनथोर्प एवं फोर्डन्धिम।  
  • स्कप्लैड क्षेत्र : मुख्य केन्द्र-ग्लासगो, कोटेब्रिज, मदरवैल आदि । 
  • लंकाशायर क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – इग्लास, मेल्टन, मौबे आदि । 

(D) जापान (Japan) : यह एशिया का प्रथम तथा विश्व का तृतीय वृहत्तम इस्पात उत्पादक देश है। इसे ‘एशिया का ब्रिटेन’ भी कहा जाता है। यहाँ के इस्पात प्रदेश को तीन भागों में बाँटा जा सकता है- 

  • मौजी क्षेत्र : मुख्य इस्पात केन्द्र – काकुरा, तोबाता तथा नागासाकी आदि। 
  • कैमिशी क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – आमागासाकी, वाकोयामा, हिरोहितो आदि ।
  • युरावान क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – मुरारान एवं कैमेसी । 

(E) पश्चिमी जर्मनी (West Germany) : यह विश्व का चौथा वृहत्तम इस्पात उत्पादक देश है। यहाँ मुख्य लोहा-इस्पात केन्द्र, अग्रलिखित हैं- 

  • रूर प्रदेश : मुख्य केन्द्र – बोचम, आखेन, एसेन, गिलसेन, किरचेन, डुइंसवर्ग, डूसल- डोर्फ, सोलिजन, मानहिम आदि । 
  • सार प्रदेश : मुख्य केन्द्र – सार बूसन । 
  • दक्षिणी प्रदेश : मुख्य केन्द्र – मेन्डा, फ्रैंकफट, मानहीम, स्टूगार्ट, कार्ल्सरूहे. आदि । 

(F) फ्रांस (France) : यह विश्व का छठा वृहत्तम इस्पात उत्पादक देश है। यहाँ के उद्योग को तीन क्षेत्रों में बाँटते हैं- 

  • पूर्वी या लारेन क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – नान्सी, मेत्ज, लोंगवी आदि। 
  •  उत्तरी क्षेत्र : मुख्य केन्द्र-दिनेन, हाटमांट, ज्यूका, आंजिन। 
  • मध्य क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – सेन्ट इटीने, लिपोस, फीमिनी आदि । 

(G) इटली (Italy ) : यहाँ के इस्पात केन्द्र यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा नये हैं। यहाँ के क्षेत्र निम्नलिखित हैं- पश्चिमी तटवर्ती भाग, दक्षिणी तटवर्ती भाग, एडियाटिक सागर क्षेत्र, रोम का उत्तरी भाग, लिगुरियन का उत्तरी पश्चिमी समुद्रतटीय भाग एवं अल्पाइन क्षेत्र आदि । 

(H) चीन (China) : मानसूनी एशिया का यह दूसरा वृहत्तम इस्पात उत्पादक देश है।

  • उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – हार्विन, म्यामुजे, युंगचिंग, लूटा 
  • उत्तरी मैदान : मुख्य केन्द्र – पीकिंग एवं टिन्टसिन
  • उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – तायुयान एवं पाओटोव
  • यांगटिसीक्यांग का मुहाना क्षेत्र : मुख्य केन्द्र – इर्थादग् एवं चिन्क्यांग
  • अन्य क्षेत्र : मुख्य केन्द्र चुंगचिग एवं कुनगिंग आदि

 (I) भारत (India) : यह एशिया का तीसरा एवं विश्व का 10 वाँ वृहत्तम इस्पात का उत्पादक देश है। यहाँ आधुनिक इस्पात का युग 1907 से शुरू होता है, जब साकची ( वर्त्तमान जमशेदपुर) पर कारखाना स्थापित किया गया था। यहाँ 1911 ई0 में ढलवाँ लोहा तथा 1913 में इस्पात का उत्पादन हुआ। 

यहाँ लौह-इस्पात उद्योग का केन्द्रीयकरण उत्तरी-पूर्वी भारत (बिहार एवं पश्चिम बंगाल) में हुआ था, क्योंकि इस क्षेत्र में इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक सभी कच्ची सामग्रियाँ उपलब्ध हैं। बिहार एवं पश्चिम बंगाल के बाद उड़ीसा, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश में इस उद्योग का विकास हुआ है।

भारत की मुख्य लोहा-इस्पात उत्पादक इकाइयाँ अग्रलिखित हैं-

TISCO – जमशेदपुर (बिहार) , MISL – भद्रावती (कर्नाटक) , भिलाई – मध्य प्रदेश , बोकारो – बिहार , विजयनगर – कर्नाटक , TISCO – कलकत्ता , राउरकेला – उड़ीसा , दुर्गापुर – पश्चिम बंगाल , आन्ध्र प्रदेश – विशाखापत्तनम , सलेम – तमिलनाडु 


लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के कारक
(Factors for Localisation of Iron-Steel Industry): लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करनेवाले निम्नलिखित कारक हैं- 

1. कच्चे माल की सुविधा : किसी भी उद्योग की स्थापना में उस उद्योग में काम में आनेवाले कच्चे माल की उपलब्धता का विशेष महत्त्व रहता है। प्रायः एक टन इस्पात बनाने में लगभग दो टन खनिज लोहे तथा डेढ़ टन कोयले की जरूरत होती है। इसलिए यह उद्योग मुख्यतः इन दोनों के प्राप्ति-स्थान पर ही स्थापित किया जाता है। 

2. शक्ति संसाधन की समीपता : किसी भी उद्योग के स्थानीयकरण में शक्ति का विशेष महत्त्व है, क्योंकि उद्योगों को गति देनेवाली शक्ति संसाधन ही होता है। इस दृष्टि से लोहा-इस्पात उद्योग में कोयले का कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है तथा गति देने के लिए शक्ति की प्राप्ति प्राय: कोयले से ही की जाती है। उदाहरणार्थ, भारत में दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल ) का विकास शक्ति-साधन (कोयले) के नजदीक हुआ है तथा टाटा में आयरन एण्ड स्टील उद्योग की स्थापना लोहे के अधिक समीप है। यहाँ से लोहे एवं कोयले की खानें लगभग 100-150 किलोमीटर की दूरी पर हैं। 

3. बाजार की समीपता : इन उद्योगों के समान ही लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण में बाजार की समीपता भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है। इन उद्योगों में भारी मशीनों आदि का उत्पादन होता है। अत:, यदि उद्योग बाजार से दूर होंगे, तो उन भारी मशीनों आदि को बाजार तक लाने में अधिक व्यय होगा। उदाहरणार्थ, संयुक्त राज्य अमेरिका में पूर्वी समुद्रतटीय क्षेत्र तथा जापान का क्वांटो क्षेत्र, जहाँ लौह-इस्पात उद्योग बाजार क्षेत्र में ही स्थित है। 

4. बैंकिंग एवं वित्तीय सुविधाएँ : किसी भी उद्योग के स्थानीयकरण में पूँजी एक अनिवार्य तत्त्व है। लोहा-इस्पात जैसे बड़े उद्योगों के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है । अतः, किसी स्थान विशेष पर उद्योग के स्थानीयकरण के लिए पर्याप्त मात्रा में बैंकिंग एवं वित्तीय सुविधाओं का होना आवश्यक है। 

5. श्रमिकों का उपलब्ध होना : लोहा-इस्पात उद्योग में अधिक श्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती, फिर भी पर्याप्त मात्रा में कुशल एवं योग्य श्रमिकों की आवश्यकता होती है। ऐसा न होने पर उत्पादन लागत बढ़ जाती है। जिन प्रदेशों में श्रमिक संघों का अधिक विकास हुआ. है, वहाँ श्रम की लागत अधिक होती है। 

6. जल की पूर्ति : लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण में जल का विशेष महत्त्व है क्योंकि एक टन इस्पात बनाने में लगभग 20 हजार गैलन जल की जरूरत होती है। इतनी अधिक मात्रा में जल की पूर्ति करने के लिए ही प्राय: यह उद्योग नदियों, झीलों आदि के किनारे स्थापित किया जाता है। 

7. सस्ती एवं विस्तृत भूमि की उपलब्धता : लोहा-इस्पात उद्योग लगाने में विस्तृत एवं समतल भूमि की जरूरत होती है। 

8. अन्य कारण : (i) राज्य द्वारा प्रोत्साहन, (ii) राजकीय नियम एवं प्रशुल्क नीति (iii) यातायात, संवाद वाहन के साधनों का होना, (iv) उपयुक्त प्राकृतिक रचना एवं जलवायु (v) शीघ्र शुरू करने का आवेग, (vi) व्यक्तिगत कारण, (vii) सुरक्षित स्थान, (viii) सामाजिक कारक, (ix) ऐतिहासिक कारक, (x) सहायक उद्योग । 


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