प्रश्न : भारतीय संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन करें |
भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम एवं समृद्ध संस्कृति है । कई देशों की संस्कृतियाँ समय के साथ समाप्त हो गईं, लेकिन भारतीय संस्कृति आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तित्व के साथ निरन्तर बनी हुई है । इसने स्वयं की उदारता तथा समन्वयवादी प्रकृति के कारण अन्य संस्कृतियों को समाहित किया है, परन्तु इसके साथ उसने अपने अस्तित्व के मूल को सुरक्षित रखा है ।
प्राचीन भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
1) प्राचीनता – भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से है। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वर्तमान समय तक इसकी निरंतरता देखी जा सकती है। वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और पुराण इसके प्राचीन प्रमाण हैं। इतिहासकारों का मानना है कि भारतीय संस्कृति रोम और यूनान की संस्कृति से भी अधिक प्राचीन है। यह मिस्र, असीरिया और बेबीलोन जैसी प्राचीन सभ्यताओं की समकालीन मानी जाती है, लेकिन इन सभ्यताओं के लुप्त हो जाने के बाद भी भारतीय संस्कृति जीवित रही और लगातार विकसित होती रही।
2) निरंतरता : भारतीय संस्कृति की खासियत यह है कि यह आज तक जीवित है। मिस्र, यूनान और रोम जैसी पुरानी संस्कृतियाँ लुप्त हो गईं, लेकिन भारत की संस्कृति हजारों सालों से बनी हुई है। आज भी गंगा, पीपल, सूर्य की पूजा होती है और गीता व उपनिषद लोगों की आस्था का आधार हैं। यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।
3) सहिष्णुता : भारतीय संस्कृति की एक बड़ी विशेषता इसकी सहिष्णुता है। यहाँ हर धर्म और सम्प्रदाय का सम्मान किया जाता है। अलग-अलग विचार और परंपराएँ मिलकर एक साथ रहती हैं। सम्राट अशोक ने भी सिखाया था कि हमें अपने धर्म का आदर करना चाहिए और दूसरे धर्मों की निंदा नहीं करनी चाहिए। इसी गुण ने भारतीय संस्कृति को स्थायी और मजबूत बनाया।
4) ग्रहणशीलता : भारतीय संस्कृति ने हमेशा दूसरों की अच्छी बातें अपनाई हैं। यूनानी, शक, हूण, कुषाण, अरब और मुग़ल जब भारत आए, तो उनकी कुछ अच्छी परंपराएँ और रीति-रिवाज भारतीय संस्कृति में शामिल हो गए। नई बातों को अपनाकर भी भारतीय संस्कृति ने अपनी पहचान बनाए रखी और और भी समृद्ध हो गई।
5) धर्म की प्रधानता : भारतीय संस्कृति में धर्म और अध्यात्म को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। यहाँ जीवन के चार उद्देश्य बताए गए हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। धर्म इंसान को सही रास्ता दिखाता है, अर्थ और काम जीवन यापन के साधन और इच्छाओं को पूरा करते हैं, और मोक्ष आत्मा की मुक्ति का मार्ग है। इस प्रकार धर्म जीवन का आधार माना गया है।
6) कर्मवाद : भारतीय संस्कृति में कर्म को बहुत महत्व दिया गया है। यहाँ माना जाता है कि जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल मिलेगा। अच्छे कर्म करने से अच्छा परिणाम और बुरे कर्म करने से बुरा परिणाम मिलता है। इसी कारण मनुष्य को सदा श्रेष्ठ और अच्छे कर्म करने की शिक्षा दी गई है।
7) शांति और अहिंसा : भारतीय संस्कृति का मूल सिद्धांत शांति और अहिंसा रहा है। जैन और बौद्ध धर्म ने सिखाया कि सभी प्राणियों से प्रेम करो और किसी को हानि मत पहुँचाओ। सम्राट अशोक ने भी दया और करुणा का संदेश दिया। इसी शिक्षा के कारण भारत पूरी दुनिया में शांति का दूत माना जाता है।
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