प्रश्न : भारतीय धर्म और दर्शन की अवधारणा स्पष्ट करें
भारतीय संस्कृति बहुत प्राचीन और गहरी सोच पर आधारित है। यहाँ जीवन को केवल खाने-पीने या काम करने तक सीमित नहीं माना गया, बल्कि आत्मा, सत्य और अच्छे आचरण को भी जीवन का हिस्सा समझा गया है। इसी कारण भारत में धर्म और दर्शन दोनों का विशेष महत्व है। ये दोनों मिलकर मनुष्य को सही मार्ग दिखाते हैं और जीवन को सार्थक बनाते हैं।
धर्म की अवधारणा —
‘धर्म’ शब्द संस्कृत के “धृ” धातु से बना है, जिसका अर्थ है “धारण करना” या “संभालना”। यानी जो चीज़ दुनिया को संभालकर रखती है, वही धर्म है। धर्म का मतलब केवल पूजा-पाठ या मंदिर जाना नहीं है, बल्कि वह आचरण है जो सबके लिए अच्छा हो — जो हमें सत्य, न्याय, करुणा और प्रेम की ओर ले जाए।
मनुस्मृति में कहा गया है —
“धारणात् धर्म इत्याहुः धर्मो धारयते प्रजाः।”
अर्थात — जो सबको संभालता और टिकाए रखता है, वही धर्म है।
भारतीय संस्कृति में धर्म को बहुत व्यापक रूप में समझा गया है। यहाँ हर व्यक्ति का अपना धर्म होता है — जैसे विद्यार्थी का धर्म पढ़ाई करना, माता-पिता का धर्म बच्चों की परवरिश करना, और राजा का धर्म प्रजा की रक्षा करना। धर्म का असली उद्देश्य समाज में शांति, प्रेम और न्याय बनाए रखना है।
दर्शन की अवधारणा —
‘दर्शन’ शब्द का अर्थ है “देखना” या “सत्य को जानना”। भारतीय दर्शन जीवन को समझने और सत्य को खोजने का तरीका है। हमारे ऋषि-मुनियों ने सोचा कि मनुष्य क्यों जन्म लेता है, मृत्यु के बाद क्या होता है, आत्मा क्या है और ईश्वर कौन है। इन सवालों के उत्तर खोजने से भारतीय दर्शन का विकास हुआ।
भारत में दर्शन के छह प्रमुख रूप माने गए हैं — न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत। इनका उद्देश्य मनुष्य को अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाना और जीवन के दुखों से मुक्ति दिलाना है। भारतीय दर्शन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष यानी आत्मा की शांति और मुक्ति प्राप्त करना है।
धर्म और दर्शन का संबंध —
भारत में धर्म और दर्शन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। धर्म बताता है कि मनुष्य को क्या करना चाहिए, जबकि दर्शन यह समझाता है कि ऐसा क्यों करना चाहिए। धर्म हमारे आचरण को सही दिशा देता है और दर्शन हमारे विचारों को। दोनों मिलकर मनुष्य को सच्चा और अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
निष्कर्षतः, भारतीय धर्म और दर्शन मनुष्य को सिखाते हैं कि जीवन का असली उद्देश्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, सत्य और सबके कल्याण की भावना है। यही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी पहचान है, जिसने हमेशा “सर्वे भवन्तु सुखिनः” यानी “सब सुखी रहें” का संदेश दिया है।