ब्राह्मी लिपि का वर्णन करें |
उत्तर : ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ । देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी ब्राह्मी लिपि से हुआ । ब्राह्मी लिपि को वर्तमान समय में हमें परिचित कराने का श्रेय अंग्रेज अधिकारी जेम्स प्रिंसेप को जाता है । उन्होंने 1837ई. में ब्राह्मी में लिखे गए एक शिलालेख को पढ़ा था । इसमें देवानांप्रियदर्शी नामक राजा का वर्णन किया गया था । कालान्तर में इस बात की पुष्टि हुई कि यह वर्णन अशोक के बारे में किया गया है । इस लिपि को बायीं तरफ से दाई तरफ लिखा जाता है । इस लिपि में अक्षर प्रायः सीधे लिखे जाते हैं । अधिकतर अक्षरों के अन्त व कुछ अक्षरों के प्रारम्भ तथा अन्त दोनों जगहों में सीधी रेखाएँ संलग्न रहती हैं । जेम्स प्रिंसेप ने सबसे पहले ‘साँची के स्तूप पर लिखी गई ब्राह्मी लिपि के अक्षरों में ‘दानं’ शब्द को पढ़ा व इसी शब्द के आधार पर उन्होंने इस लिपि की वर्णमाला निर्मित की । भारतीय ऐतिहासिक परम्पराओं के अनुसार ब्राह्मी के उदय का प्रमुख कारण उत्तर वैदिक काल के प्रमुख देवता ब्रह्मा के द्वारा इस लिपि का आविष्कार होना था । ब्राह्मी लिपि के उद्भव के बारे में विद्वानों में मत भिन्नता है । कुछ इसे भारतीय तो कुछ विदेशी लिपि सिद्ध करने की चेष्टा करते हैं । यह भारत में विकसित सिंधु लिपि के पश्चात् सबसे प्रारम्भिक लेखन प्रणाली है । इसे सर्वप्रमुख प्रभावशाली लेखन शैलियों में से एक माना जा सकता है, इसका कारण समस्त आधुनिक भारतीय लिपियाँ तथा दक्षिण पूर्वी व दक्षिण एशिया में प्रयोग की जाने वाली कई सौ लिपियाँ ब्राह्मी लिपि से ग्रहण की गयी हैं । अशोक कालीन शिलालेखों में इस लिपि को ‘धम्मलिपि’ का नाम दिया गया है कहीं भी उसके लेखों में इसे ‘ब्राह्मी’ नाम नहीं दिया गया है । परन्तु जैन, बौद्ध व हिन्दू धर्म ग्रन्थों के विवरणों से यह ज्ञात होता है कि इस लिपि का नाम ‘ब्राह्मी’ लिपि ही रहा होगा ।
ब्राह्मी लिपि की विशेषताएँ (Features of Brahmi Script)
- यह लिपि बाएँ से दाएँ ओर लिखी जाती है।
- इसमें वर्णों का क्रम उसी प्रकार है, जैसा आधुनिक भारतीय लिपियों का है ।
- यह लिपि मात्रात्मक होती है। इसको व्यंजनों पर मात्रा लगाकर लिखा जाता है ।
- कुछ व्यंजनों में संयुक्ताक्षर का प्रयोग किया जाता है-
उदाहरण ( प्र = प + र ) ।
ब्राह्मी लिपि से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य
- बौद्ध ग्रंथ ललितविस्तार में 64 लिपियों का वर्णन है । इनमें पहला नाम ‘ब्राह्मी’ और दूसरा नाम ‘खरोष्ठी’ का है । परन्तु इन 64 लिपि नामों में से अधिकतर काल्पनिक प्रतीत होते हैं।
- भगवती सूत्र में आरम्भ में ‘बंभी’ (ब्राह्मी) लिपि को नमस्कार करने के उपरान्त (नमो बंभीए लिविए) सूत्र का आरम्भ हुआ है ।
- कंनिंघम का विचार है, कि ब्राह्मी लिपि भारतवासियों की ही देन है।
- जैनों के ‘पण्णवणासूत्र’ व ‘समवायांगसूत्र में 16 लिपियों का वर्णन है इनमें प्रथम नाम ‘बंभी’ (ब्राह्मी लिपि का है ।
- ताँबे की प्लेटों पर इसका प्रयोग किया जाता था ।