प्राचीन भारतीय संगीत के इतिहास पर संक्षिप्त प्रकाश डाले? PDF Notes Download

उत्तर- प्राचीन भारतीय संगीत का इतिहास अत्यंत समृद्ध, गहन और सांस्कृतिक रूप से विकसित माना जाता है। इसकी जड़ें वैदिक काल तक पहुँचती हैं, जब संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण अंग था। भारतीय संगीत की सबसे प्राचीन और विश्वसनीय जानकारी सामवेद से प्राप्त होती है, जिसे संगीत का मूल स्रोत कहा जाता है। सामवेद के मंत्रों का गायन विशेष स्वरों और छंदों के साथ किया जाता था, जिससे संगीत की प्रारंभिक संरचना, जैसे—स्वर, श्रुति, लय और ताल—का विकास हुआ।

वेदकाल के बाद उत्तरवैदिक काल में संगीत सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया। यज्ञों, अनुष्ठानों और उत्सवों में संगीत का उपयोग बढ़ा। इसी समय विभिन्न वाद्ययंत्रों, जैसे—वीणा, बांसुरी, डग्गरू और मृदंग—का प्रयोग भी व्यवस्थित हुआ। इसके बाद, रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में संगीत, नृत्य और वाद्यों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इससे स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में संगीत न केवल धार्मिक, बल्कि सामरिक, सामाजिक और राजदरबारी जीवन का भी हिस्सा था।

भारतीय संगीत के वैज्ञानिक विकास का अगला महत्वपूर्ण चरण भरतमुनि का नाट्यशास्त्र है, जो लगभग 2000 वर्ष पुराना माना जाता है। इस ग्रंथ में स्वरों, श्रुतियों, रागों, तालों, वाद्यों और नृत्य की परंपरा को नियमबद्ध रूप दिया गया है। नाट्यशास्त्र ने संगीत को एक संगठित और शास्त्रीय स्वरूप प्रदान किया। इसमें गान, वादन और नृत्य को समान रूप से महत्व दिया गया है। इस ग्रंथ की वजह से भारत में संगीत विधिवत कला के रूप में स्थापित हुआ।

गुप्तकाल और पश्चात काल को भारतीय संगीत का स्वर्णिम युग माना जाता है। इस समय राग–रागिनी व्यवस्था का विकास हुआ। मंदिरों में भक्ति संगीत का प्रचलन बढ़ा, और संगीत आध्यात्मिकता से गहराई से जुड़ गया। देवालयों में कीर्तन, भजन और स्तोत्र गाए जाने लगे, जिससे संगीत जन–जन तक पहुँचा।

समय के साथ संगीत की दो प्रमुख धाराएँ विकसित हुईं—हिंदुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत। इन दोनों की नींव प्राचीन भारतीय संगीत परंपरा में ही निहित है। प्राचीन भारतीय संगीत की एक और विशेषता यह है कि यह प्रकृति के साथ सामंजस्य रखता था। ऋतु अनुसार राग गाए जाते थे, जिनमें वर्षा, वसंत, ग्रीष्म और शरद ऋतु से जुड़े भाव स्पष्ट दिखाई देते थे।

निष्कर्षत:- प्राचीन भारतीय संगीत प्रकृति, आध्यात्मिकता, धार्मिक अनुष्ठानों, साहित्य, संस्कृति और सामाजिक जीवन का अनूठा संगम है। सामवेद से लेकर नाट्यशास्त्र और मंदिर-परंपराओं तक, संगीत ने निरंतर विकास करते हुए भारतीय संस्कृति को गहराई और विशिष्टता प्रदान की है। आज भी भारतीय संगीत विश्व में अपनी प्राचीनता, गाम्भीर्य और विविधता के लिए प्रसिद्ध है।





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