पत्र लेखन एक कला है, जो दो व्यक्तियों के विचारों को साहित्यिक तकनीक में समेट कर प्रस्तुत करती है । पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है ।
पत्र की विशेषताएँ
पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं –
• भाषा की संक्षिप्तता पत्र लेखन में अपने भावों एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त किया जाना चाहिए । पत्र में अनावश्यक रूप से विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए। पत्र में व्यर्थ के शब्दों से भी बचा जाना आवश्यक है।
• क्रमबद्धता पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है, जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।
• भाषा की स्पष्टता एवं सरलता पत्र की भाषा पूरी तरह सरल व स्पष्ट होनी चाहिए । भाषा में स्पष्टता का गुण न होने पर पत्र पढ़ने वाला पत्र – लेखक के भावों को समझ नहीं पाएगा। स्पष्टतः पत्र लिखते समय प्रचलित शब्दों एवं सरल वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
• प्रभावपूर्ण शैली पत्र की भाषा शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिए, जिससे पाठक पत्र – लेखक के भावों को सरलता से समझ सके। पत्र की भाषा मौलिक होनी चाहिए तथा अनावश्यक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
• उद्देश्यपूर्ण पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए, जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए । पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए । पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए।
पत्र के प्रकार
पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं –
1. अनौपचारिक पत्र
2. औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
सगे-सम्बन्धियों, मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं, इन्हें ‘व्यक्तिगत पत्र’ भी कहा जाता है। इनमें व्यक्तिगत प्रवृत्तियों, सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, बधाई, शुभकामना आदि का वर्णन किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों की भाषा आत्मीय व हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।
अनौपचारिक पत्र के भाग
1. प्रेषक का पता अनौपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम प्रेषक का पता लिखा जाता है । यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।
2. तिथि – दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे बायीं ओर तिथि लिखी जाती है। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा है।
3. सम्बोधन तिथि के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसे सम्बोधित किया जाता है । सम्बोधन का अर्थ है- किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द | सम्बोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
4. अभिवादन सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर प्रणाम, चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है।
5. विषय-वस्तु अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक सम्भव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
6. स्वनिर्देश / अभिनिवेदन इसके अन्तर्गत प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी ‘ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
7. हस्ताक्षर पत्र में अभिनिवेदन के पश्चात् अपना नाम लिखा जाता है अथवा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
अनौपचारिक पत्र के सम्बोधन , अभिवादन तथा अभिनिवेदन
पत्र पाने वाले के साथ सम्बन्ध | संबोधन | अभिवादन | स्वनिर्देश /अभिनिवेदन |
अपने से बड़े सम्बन्धी ( माता , पिता , बड़ा भाई , बड़ी बहन , शिक्षक इत्यादि ) | पूजनीय ,आदरणीय , पूज्य ( पिता ) आदरणीया ( माता , बहन ) , पूजनीया ( माता ) | चरण स्पर्श , सादर प्रणाम | आज्ञाकारी , प्यारा स्नेह्कांक्षी आदि |
अपने से छोटे सम्बन्धी ( छोटा भाई , छोटी बहन ,पुत्र , पुत्री , भतीजा इत्यादि ) | प्रिय ,केवल नाम ,चिरंजीवी | शुभाशीर्वाद , प्रसन्न रहो | शुभेच्छु , शुभाकांक्षी , हितैषी इत्यादि |
मित्र , सहपाठी | प्रिय , मित्रवर , केवल नाम | नमस्ते , सप्रेम नमस्कार | तुम्हारा सहृदय , मित्र , आपका मित्र इत्यादि |
अपरिचित पुरुष | महाशय , श्रीमान ( नाम ) , महोदय | नमस्ते ,नमस्कार | आपका भवदीय , हितैषी , भवदीय |
अपरिचित | श्रीमती ( नाम ) , महोदया | नमस्ते ,नमस्कार | भवदीय , हितैषी |
अनौपचारिक पत्र के प्रकार
अनौपचारिक पत्र के निम्नलिखित प्रमुख प्रकार है |
- सलाह सम्बन्धी पत्र
- निमंत्रण सम्बन्धी पत्र
- शोक सम्बन्धी पत्र
- अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्र
- खेद सम्बन्धी पत्र
- धन्यवाद सम्बन्धी पत्र
- बधाई सम्बन्धी पत्र
- कुशल क्षेम सम्बन्धी पत्र
सलाह सम्बन्धी पत्र
• अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए ।
18, जीवन नगर, गाजियाबाद। ( प्रेषक का पता )
दिनांक 19-3-20XX ( दिनांक )
प्रिय कुसुमलता, शुभाशीष । ( संबोधन , अभिवादन )
आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी। प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो, जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन सँवारने का अवसर प्राप्त हुआ है, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आज़ादी का तुम दुरुपयोग मत करना। बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना । तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना, जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले।
यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना । मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज़्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना ।
आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी।
शुभकामनाओं सहित। ( अभिनिवेदन )
तुम्हारा भाई,
कैलाश
बधाई सम्बन्धी पत्र
• अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखिए |
40/3, नेहरू विहार, झाँसी । ( प्रेषक का पता )
दिनांक 16-3-20XX ( दिनांक )
प्रिय मित्र शेखर, ( संबोधन )
जय हिन्द ! ( अभिवादन )
15 मार्च, 20XX के समाचार-पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया है।
मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो। मुझे पूरी आशा है कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।
शुभकामनाओं सहित। ( अभिनिवेदन )
तुम्हारा अभिन्न मित्र मोहन राकेश
निमन्त्रण सम्बन्धी पत्र
• अपने जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में किसी संगीतकार को बुलवाने का आग्रह करते हुए अपने बड़े भाई को पत्र लिखिए ।
145, ज्वाला नगर,
नई दिल्ली। ( प्रेषक का पता )
दिनांक 20 सितम्बर, 20XX ( दिनांक )
आदरणीय भैया, ( संबोधन )
सादर प्रणाम। ( अभिवादन )
मैं यहाँ कुशलपूर्वक रहते हुए आप सभी की कुशलता की कामना करता हूँ। मेरी पढ़ाई व्यवस्थित ढंग से चल रही है। मैं दुर्गापूजा की छुट्टी में घर आऊँगा तथा अपना जन्मदिन मनाने के उपरान्त वापस लौटूंगा। मैं अपने जन्मदिन (8 अक्टूबर) के अवसर पर कुछ गीत-संगीत कार्यक्रम का आयोजन करवाना चाहता हूँ, ताकि मेरे परिचितों को अधिक आनन्द आए और वे इसे कुछ दिनों तक याद भी रख सकें।
मेरी इच्छा है कि किसी स्तरीय गायक एवं संगीतकार से जन्मदिन के कार्यक्रम के लिए बात करके, उसे सुनिश्चित कर दिया जाए। वह कोई बहुत लोकप्रिय या प्रसिद्ध संगीतकार न हो, लेकिन बजट के अन्तर्गत एक अच्छा संगीतकार अवश्य हो, जिससे सुनने वालों को स्वस्थ एवं सुकून देने वाला मनोरंजन प्राप्त हो सके। इसमें आपकी तथा घर के अन्य लोगों की सहमति अति आवश्यक है।
आशा करता हूँ कि जन्मदिन के लिए निर्धारित व्यय में ही यह कार्यक्रम सम्भव हो जाएगा। शेष मिलने पर घर के सभी लोगों को मेरा यथोचित अभिवादन।
आपका अनुज ( अभिनिवेदन )
राकेश
कुशल क्षेम सम्बन्धी पत्र
• अपने परिवार से अलग रहकर नौकरी कर रहे पिता का हाल-चाल जानने के लिए पत्र लिखिए।
20/3, रामनगर,
कानपुर।
दिनांक 15-3-20XX
पूज्य पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श ।
कई दिनों से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। हम सब यहाँ कुशलपूर्वक रहकर भगवान से आपकी कुशलता एवं स्वास्थ्य के लिए सदा प्रार्थना करते हैं। पिताजी, मैंने घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ सम्भाल ली हैं। घर एवं बाहर के अधिकांश काम अब मैं ही करता |
सलोनी आपको बहुत याद करती है। वह हर समय पापा-पापा की रट लगाए रहती है। इस बार घर आते समय उसके लिए गुड़िया का उपहार लेते आइएगा। आप अपनी सेहत का ख्याल रखना। समय पर खाना, समय पर सोना। यदि आपको तनिक भी अस्वस्थता महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श कर तुरन्त ही अपना उचित इलाज करवाना।
आपके पत्र की प्रतीक्षा में।
आपका पुत्र, विजय मोहन
शोक सम्बन्धी पत्र
अपने मित्र को उनकी पुत्र वधू की असामयिक मृत्यु होने पर शोक प्रकट करते हुए शोक पत्र लिखिए ।
15, स्वरूप नगर, पीलीभीत।
दिनांक 1-4-20XX
प्रिय बिष्ट जी,
आपकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु की सूचना पाकर अपार दुःख हुआ। मृत्यु पर किसी का वश नहीं है। आप धैर्य धारण करें।
मेरी परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति तथा शोक
संतप्त परिवार को शोक वहन करने की शक्ति प्रदान करें।
भवदीय
उमेश सिंह
अभिप्रेरणा सम्बन्धी पत्र
• डांस प्रतियोगिता में चयन न होने पर मित्र को अभिप्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए ।
ई, 550 यमुना विहार,
दिल्ली।
दिनांक 21 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र आकाश, जय हिन्द !
आज सुबह मुझे तुम्हारे बड़े भाई से यह जानकारी मिली कि सोनी चैनल पर आने वाले एक डांस रियलिटी शो के ‘ऑडिशन’ में सफल न होने के कारण तुम काफ़ी उदास हो ।
मित्र, व्यक्ति के जीवन में सफलता-असफलता लगी रहती है। मैंने तुम्हारा नृत्य देखा है। तुम्हारे नृत्य में विविधता है। तुम प्रतिभाशाली हो । एक ऑडिशन में असफल हो गए तो क्या ! आगे बहुत-से नए डांस शो शुरू होने वाले हैं। इनमें तुम जैसे प्रतिभाशाली प्रतिभागियों को पूरा मौका मिलेगा।
मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम इस असफलता को जीवन का एक अनुभव मान आगे और मेहनत करोगे और तब ऑडिशन में नहीं, बल्कि शो में सर्वश्रेष्ठ डांसर का खिताब जीत परिवार का नाम रोशन करोगे।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा मित्र,
विशाल
खेद सम्बन्धी पत्र
• अपने चाचा जी को पत्र लिखिए, जिसमें पर्वतीय स्थलों पर घूमने हेतु चाचा जी के आमन्त्रण पर न पहुँच पाने के लिए खेद प्रकट किया हो।
15, महेन्द्रगढ़,
राजस्थान।
दिनांक 16 अगस्त, 20XX
पूजनीय चाचा जी,
सादर चरण स्पर्श ।
पिछले दिनों मुझे आपका पत्र मिला। पत्र में आपने मुझे हिमाचल आकर घूमने का निमन्त्रण दिया है। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहूँगा।
चाचा जी मेरी तमन्ना भी हिमाचल घूमने की है। वहाँ की पर्वतों से घिरी सुन्दर, आकर्षक वादियों का मैं भी आनन्द उठाना चाहता हूँ।
मेरे कई दोस्त हिमाचल घूम कर आ चुके हैं। उनके मुँह से मैंने वहाँ की काफ़ी तारीफ़ सुनी है। मेरा भी मन है कि मैं भी वहाँ आकर आपके साथ हिमाचल घूमकर वहाँ की वादियों का आनन्द लूँ, किन्तु मुझे खेद है कि मैं अभी वहाँ नहीं आ सकता। अगले महीने मेरी अर्द्धवार्षिक की परीक्षाएँ होने वाली हैं। इस समय मेरा पूरा ध्यान उन्हीं परीक्षाओं की तैयारी पर है। मैं परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हूँ।
चाचा जी, परीक्षाओं के बाद दशहरा की छुट्टियों में मैं हिमाचल अवश्य आना चाहूँगा।
चाची जी को चरण-स्पर्श, रोहन मोहन को प्यार ।
आपका भतीजा,
राजेश कुमार
धन्यवाद सम्बन्धी पत्र
• आपकी खोई हुई वस्तु लौटाए जाने हेतु उस व्यक्ति को धन्यवाद करते हुए पत्र लिखिए।
15, संजय एन्क्लेव,
जहाँगीरपुरी,
दिल्ली।
दिनाकं 21 मई, 20XX
आदरणीय विनोद जी,
सादर नमस्कार।
आपको पत्र लिखकर मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूँ। आप जैसे ईमानदार व्यक्ति आज के युग में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। आपने मेरी खोई हुई अटैची लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। जब से मेरी अटैची गुम हुई थी, मेरी दिनचर्या ही अस्त-व्यस्त हो गई थी। मानसिक तनाव अत्यधिक बढ़ गया था, क्योंकि उसमें कार्यालय के पचास हज़ार रुपये के साथ-साथ कुछ महत्त्वपूर्ण फाइलें भी थीं।
रेलवे स्टेशन पर खोई इस अटैची के वापस मिलने की मैं उम्मीद ही खो चुका था। किन्तु उस दिन जब मैं रुपयों का प्रबन्ध करने घर से निकलने ही वाला था कि वह अटैची हाथ में लिए आपका छोटा भाई मेरे पास आया। मुझे लगा मानो यह कोई स्वप्न हो और अटैची हाथ में लिए कोई देवदूत आया हो। अपने सामान के मिल जाने पर जो खुशी मुझे हुई उसे शब्दों में बयाँ करना असम्भव है। वास्तव में, आप जैसे लोगों के बल पर ही इस दुनिया में ईमानदारी शेष है।
मैंने अटैची देख ली है। सभी चीजें यथावत हैं। मैं आप जैसे ईमानदार व्यक्ति का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। आपकी ईमानदारी ने मेरे बुझे मन में एक नवीन उत्साह का संचार किया है। आपका आभार व्यक्त करने के लिए मुझे शब्द नहीं मिल पा रहे हैं। हृदय से मैं आपकी मंगल कामना करता हूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
के. के. वर्मा