खरोष्ठी लिपि का वर्णन करें |

खरोष्ठी लिपि का वर्णन करें |

उत्तर : खरोष्ठी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिसका उपयोग प्राचीन गांधार (वर्तमान अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान) में गांधारी प्राकृत एवं संस्कृत लिखने हेतु किया जाता था । यह ब्राह्मी की सहयोगी लिपि है जिसे दायें से बायें की ओर लिखा जाता था । इस लिपि को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था । इस लिपि का विदेशी उद्गम अर्थात् अरामाइक एवं सीरियाई लिपि से विकसित माना जाता है । इस लिपि में कुल 37 वर्ण है तथा इसमें स्वरों के साथ – साथ मात्राएँ एवं संयुक्ताक्षर का भी अभाव है। मौर्य सम्राट अशोक के शहबाज़गढ़ी एवं मानसेहरा (पाकिस्तान) स्थित अभिलेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रमाण मिलता है ।

खरोष्ठी लिपि की उत्पत्ति ( Origin of Kharosthi Script)

खरोष्ठी की उत्पत्ति के बारे में अनेक मत प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  1. इसका उपयोग कुषाणों द्वारा पहली शताब्दी ई. पू. से तीसरी शताब्दी ई. के मध्य किया जाता था।
  2. इस लिपि का प्रथम प्रमाण अशोक के मुख्य शिलालेखों द्वारा प्राप्त होता है ।
  3. वी. एन. मुखर्जी का मत है कि यह लिपि 5वीं या चतुर्थ शताब्दी ई. पू. में एकेमेनिडस द्वारा निर्मित की गई थी ।
  4. खरोष्ठी लिपि का सम्बन्ध भारतीय महाद्वीप के उन क्षेत्रों से था जिन पर फारसियों का शासन था ।
  5. इसका विकास मौलिक रूप से जन साधारण की स्थानीय भाषा हेतु किया गया था । परन्तु बाद में स्थानीय आबादी से सम्पर्क जोड़ने हेतु विदेशी विजेताओं द्वारा इसे ग्रहण किया गया ।

खरोष्ठी लिपि की विशेषताएँ (Features of Kharosthi Script)

  1. खरोष्ठी लिपि का लेखन दाएँ से बाँए की तरफ होता है ।
  2. इसमें स्वर का केवल एक ही भौतिक स्वरूप होता है ।
  3. यह एक मध्य इंडो आर्यन भाषा है।
  4. इस लिपि में रोमन अंको की भाँति संख्याएँ होती है ।
  5. इस लिपि के बीच में स्वरों को भी स्थान दिया जाता है ।
  6. इस लिपि में प्रायः यूनानी, ईरानी व भारतीय शब्दों का प्रयोग होता है I
  7. इस लिपि के मौलिक अक्षर अरबी पर आधारित थे तथा बाकी विशेषक चिह्नों के सम्मिलित होने से विकसित हुए हैं।

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