हड़प्पा कालीन / सिंघु घाटी सभ्यता कालीन विज्ञान – प्रोधोगिकी के विकास विकास का वर्णन करे |

प्रश्न : हड़प्पा कालीन / सिंघु घाटी सभ्यता कालीन विज्ञान – प्रोधोगिकी के विकास विकास का वर्णन करे |

उत्तर : हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और विकसित सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत के क्षेत्र में विकसित हुई थी। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगा, राखीगढ़ी और धोलावीरा जैसे नगर इस सभ्यता के प्रमुख केंद्र थे। यह सभ्यता अपने उच्चस्तरीय विज्ञान, तकनीक, नगर नियोजन और जीवन शैली के कारण विश्व में विशिष्ट स्थान रखती है।

1. नगर नियोजन और अभियंत्रण : सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता उसका अद्भुत नगर नियोजन था। नगरों को ईंटों से बनी चौड़ी सड़कों और सीधी गलियों में बसाया गया था। सड़कों को एक-दूसरे के समकोण पर बनाया गया था, जिससे पूरा नगर एक ग्रिड की तरह दिखाई देता था। यह इस बात का प्रमाण है कि उस समय अभियंत्रण (Engineering) और स्थापत्य विज्ञान अत्यंत उन्नत था। हर घर में पक्की ईंटों से बने नालियाँ थीं, जो मुख्य नालों से जुड़ी थीं। यह प्राचीन जल निकासी व्यवस्था आज के आधुनिक नगरों से भी कहीं अधिक संगठित थी। यह दर्शाता है कि हड़प्पावासी स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति सजग थे।

2. भवन निर्माण और वास्तुकला : हड़प्पावासी पकी हुई ईंटों का उपयोग करते थे, जो आकार और मजबूती में समान होती थीं। यह दर्शाता है कि उनके पास ईंट बनाने की वैज्ञानिक तकनीक विकसित थी। मकानों में कई कमरे, आंगन और कुएँ होते थे। कई मकानों में ऊपर की मंज़िल भी बनाई जाती थी, जिससे पता चलता है कि उन्हें निर्माण तकनीक का अच्छा ज्ञान था।

3. जल प्रबंधन और सिंचाई तकनीक : मोहनजोदड़ो का “महान स्नानागार” (Great Bath) इस सभ्यता की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धियों में से एक है। इसे पक्की ईंटों और जलरोधक पदार्थों से बनाया गया था। यह स्नानागार जल संरक्षण, निकासी और स्वच्छता की उत्कृष्ट मिसाल है। लोथल में बंदरगाह की खोज हुई है, जिससे पता चलता है कि हड़प्पावासी नौवहन और जल प्रबंधन में निपुण थे।

4. धातु विज्ञान : हड़प्पा सभ्यता के लोग तांबा, कांसा, सोना, चांदी और सीसा जैसी धातुओं का उपयोग करते थे। उन्होंने धातुओं को गलाने और ढालने की तकनीक विकसित कर ली थी। लोथल और हड़प्पा में धातु ढालने की भट्टियाँ मिली हैं। वे उपकरण, आभूषण और मूर्तियाँ बनाने में धातुओं का प्रयोग करते थे।

5. माप-तौल और गणित: सिंधु घाटी के लोगों ने सटीक माप-तौल की प्रणाली विकसित की थी। पत्थर के बने वजन और पैमाने एक निश्चित मानक पर आधारित थे। यह गणितीय ज्ञान और व्यापारिक समझ की प्रगति को दर्शाता है।

6. व्यापार और नौवहन तकनीक : हड़प्पावासी समुद्री और स्थलीय दोनों प्रकार के व्यापार में निपुण थे। उन्होंने नावों और जहाजों का निर्माण किया, जिससे वे मेसोपोटामिया जैसे दूर देशों से व्यापार करते थे। यह उनकी तकनीकी कुशलता का प्रमाण है।

7. शिल्पकला और औद्योगिक तकनीक : सिंधु घाटी के लोग मृदभांड (मिट्टी के बर्तन), मनके, वस्त्र, आभूषण और मूर्तियाँ बनाते थे। ये वस्तुएँ अत्यंत सुंदर और कलात्मक थीं। उनके निर्माण में उच्च तकनीकी ज्ञान और सौंदर्यबोध झलकता है।

निष्कर्ष:हड़प्पा सभ्यता वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से अत्यंत उन्नत थी। नगर नियोजन, स्वच्छता व्यवस्था, धातु विज्ञान, जल प्रबंधन और व्यापारिक संगठन उनकी बुद्धिमत्ता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतीक हैं। यह सभ्यता न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण मानव सभ्यता की वैज्ञानिक यात्रा का स्वर्णिम अध्याय है। हड़प्पावासियों की वैज्ञानिक समझ और प्रौद्योगिकी आज भी आधुनिक समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


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