मेसोपोटामिया के धार्मिक जीवन की विवेचना कीजिए

उत्तर : मेसोपोटामिया विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जो वर्तमान इराक क्षेत्र में स्थित थी। यह सभ्यता मुख्य रूप से दजला और फरात नदियों के किनारे विकसित हुई थी । इस सभ्यता के लोग बहुत धार्मिक थे। उनका जीवन, संस्कृति और शासन धर्म पर आधारित था। वे मानते थे कि सभी प्राकृतिक घटनाएँ देवी-देवताओं की इच्छा से होती हैं और देवताओं को खुश रखना उनका सबसे बड़ा कर्तव्य था।

मेसोपोटामिया के लोग अनेक देवी-देवताओं में विश्वास करते थे। वे हर प्राकृतिक शक्ति के पीछे किसी देवता का हाथ मानते थे।

प्रमुख देवी-देवता:

  • अनु : आकाश के देवता और सबसे बड़े देवता माने जाते थे।
  • एनलिल : हवा और तूफान के देवता, जिनसे लोग डरते भी थे।
  • एनकी : जल और ज्ञान के देवता।
  • शमश : सूर्य और न्याय के देवता।
  • ईश्तर : प्रेम, युद्ध और उपजाऊता की देवी।

हर नगर-राज्य में एक विशेष देवता होता था, जिसे वहाँ का रक्षक माना जाता था।




मेसोपोटामिया में विशाल मंदिर बनाए जाते थे जिन्हें ज़िग्गुरैट कहा जाता था। ये बहुमंज़िली और ऊँची ईंटों की इमारतें होती थीं। ये सीढ़ीदार पिरामिड जैसी संरचनाएँ थीं, जिन्हें देवताओं के निवास के रूप में देखा जाता था । प्रत्येक प्रमुख नगर में एक ज़िग्गुरैट होता था । लोगों का विश्वास था कि देवता इन्हीं मंदिरों में निवास करते हैं। ज़िगुरात केवल पूजा का स्थान नहीं बल्कि धार्मिक और राजनीतिक केंद्र भी होते थे। यहां पुजारी रहते थे जो पूजा-पाठ और अनुष्ठान करते थे।




मेसोपोटामिया के लोग नियमित रूप से देवी-देवताओं की पूजा करते थे। वे देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अन्न, दूध, शराब, जानवरों आदि की बलि चढ़ाते थे।

  • पुजारी वर्ग पूजा की व्यवस्था करता था और समाज में उनका विशेष स्थान था।
  • प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों या युद्ध को देवताओं का क्रोध समझा जाता था।

मेसोपोटामिया के लोगों का विश्वास था कि मनुष्य को देवताओं की सेवा के लिए बनाया गया है। वे यह भी मानते थे कि जीवन और मृत्यु दोनों पर देवी-देवताओं का नियंत्रण होता है।

  • मृत्यु के बाद आत्मा अधोलोक (नीचे की अंधेरी दुनिया) में जाती है, जहां केवल अंधकार और शांति होती है।
  • इसलिए वे जीवन में अच्छे कर्म करने और धर्म के अनुसार जीने पर जोर देते थे।
  • उन्हें शांत करने के लिए विशेष प्रार्थनाएं और हवन किए जाते थे।




मेसोपोटामिया के धार्मिक विचार अनेक कथाओं और ग्रंथों में मिलते हैं। सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ “गिलगमेश महाकाव्य” है, जिसमें जीवन, मृत्यु और अमरता से जुड़ी बातें हैं। साल भर में कई धार्मिक त्योहार मनाए जाते थे, जिनमें नृत्य, संगीत और भव्य आयोजन होते थे। ये त्योहार लोगों को जोड़ने का काम करते थे।

मेसोपोटामिया का धार्मिक जीवन बहुत समृद्ध, व्यवस्थित और समाज से गहराई से जुड़ा हुआ था। उनके देवी-देवता, ज़िगुरात, पूजा-पद्धति, धार्मिक ग्रंथ और त्योहार उनके धार्मिक विश्वासों को दर्शाते हैं। धर्म ने उन्हें एकजुट किया और उनकी संस्कृति को दिशा दी। इसलिए आज भी मेसोपोटामिया को उसकी धार्मिकता के लिए याद किया जाता है।





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